बस्ती में बदहाली के आंसू बहा रहा मत्स्य हाट, 13 साल पहले 9 लाख की लागत से हुआ था निर्माण

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(www.arya-tv.com) बस्ती में मत्स्य हाट बदहाली के आंसू बहा रहा है. बड़ी बड़ी झाड़ियां मत्स्य हाट में उग गई हैं. मत्स्य हाट के निर्माण पर जिम्मेदारों ने फानी में फेर दिया. 13 वर्ष बीतने के बाद भी मत्स्य हाट का संचालन नहीं होने से आस-पास गंदगी का अंबार लग गया है. मछुआरे खुले में मछली बेचने को मजबूर हैं. राहगीरों को भी बदबू का सामना करना पड़ रहा है. कई बार विभागीय मंत्री संजय निषाद ने बस्ती का दौरा भी किया. जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही हावी हो जाती है. दीवारों पर बड़ी बड़ी कंपनियों को विज्ञापन के लिए फ्री में जगह भी मिल जाती है. बड़ेबन के पास 2011-12 में मत्स्य हाट का निर्माण कराया गया था. निर्माण के बाद विभागीय अधिकारियों ने सुध लेने की कोशिश नहीं की.

13 वर्ष बाद भी शुरू नहीं हुआ मत्स्य हाट

13 वर्ष बीत जाने के बाद संचालन नहीं होने से मत्स्य हाट में झाड़ियों और कूड़े का अंबार है. बता दें कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत वर्ष 2011-12 में मत्स्य हाट का निर्माण कराया गया था. मत्स्य हाट निर्माण का उद्देश्य खुले में मछलियों की बिक्री पर रोक लगाने की मंशा थी. मछली के कारोबार से जुड़े लोगों को छत भी मुहैया कराना मकसद था. मत्स्य हाट की छत के नीचे मछली की बिक्री से लोगों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता.

9 लाख की लागत से हुआ था निर्माण

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत मत्स्य हाट निर्माण पर 9 लाख की राशि खर्च हुई थी. 13 वर्ष बीतने के बाद जिम्मेदार अधिकारियों ने मत्स्य हाट शुरू करने की सुध नहीं ली. जिला पूर्ति कार्यालय के समीप, दक्षिण दरवाजा, पक्का बाजार सहित अन्य स्थानों पर खुले में मछली मंडी लगने से दुर्गंध फैल रही है. मुख्य कार्यकारी अधिकारी मत्स्य विकास अभिकरण संदीप वर्मा ने संचालन के पीछे मत्स्य हाट की नीलामी नहीं होने की वजह बताई.