इस सीरियल के मिलने के बाद काम करने का मेरा उद्देश्य ही पूरी तरह बदल गया शशांक व्यास

Fashion/ Entertainment

(www.arya-tv.com) टेलीविजन एक्टर शशांक व्यास ने हाल ही में एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में एक दशक पूरा किया है और वो अपनी इस यात्रा से बेहद संतुष्ट हैं। वे 2010 में अपने डेब्यू शो ‘बालिका वधू’ के लिए उज्जैन से मुंबई आए थे। शो में उनके निभाए किरदार जगदीश को काफी तारीफें मिली थी।

शशांक कहते हैं, ‘जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं, तो सोचता हूं कि आखिरकार ऐसा जोखिम मैंने उठा कैसे लिया? मैं मुंबई में किसी को भी नहीं जानता था और मेरे पिता का रिटायरमेंट भी कुछ ही दिन की दूरी पर था, मैं फिर भी अपने सपनों की तलाश में मुंबई आ गया।’

आगे उन्होंने बताया ‘मेरे माता-पिता ने पहले दिन से मेरा बहुत साथ दिया। मेरी मां ने हमेशा मुझसे कहा कि हमारे बुढ़ापे के बारे में सोचकर कभी कोई फैसला मत लेना। मुझे कभी भी पछतावा नहीं होना चाहिए कि मैं अपनी इच्छाओं के खिलाफ गया हूं। मेरे पिता ने भी हमेशा मेरे फैसलों का समर्थन किया। इन दोनों के सपोर्ट की वजह से ही इतने सालों तक मैं मुंबई में टिक पाया हूं।’

पहले सप्ताह के बाद सिर्फ 20 रु बचे थे

मुंबई में शुरुआती दिन आर्थिक रूप से आपके लिए कितने मुश्किल रहे, इस बारे में वे बताते हैं, ‘पहले सप्ताह मुंबई में केवल 20 रुपए ही बच पाए थे। सौभाग्य से उसके बाद काम हुआ और मैंने कभी पैसे के लिए संघर्ष नहीं किया।’

‘बालिका वधू’ में काम पाकर उद्देश्य ही बदल गया

अपने पहले शो ‘बालिका वधू’ के बारे में बात करते हुए शशांक कहते हैं, ‘मैं शुरूआत में पैसे के लिए काम ढूंढ रहा था लेकिन कुछ महीने बाद जब ‘बालिका वधू’ में काम करने का मौका मिला तो काम करने का कारण ही बदल गया। लोग अभिनय सीखने के लिए फिल्म स्कूल जाते हैं, जबकि मेरे लिए सेट खुद एक स्कूल था। उस वक्त मेरा उद्देश्य शो के शानदार कलाकारों के साथ सीखना बन गया था। शो में काम करने के दौरान मैं क्रिएटिव तौर पर काफी संतुष्ट था।’

अपने करियर ग्राफ से काफी संतुष्ट हूं

वे आगे बताते हैं, ‘बालिका वधू’ के बाद मुझे ‘जाना ना दिल से दूर’ में काम करने का मौका मिला जहां मैंने एक आर्मी अधिकारी की भूमिका निभाई। इस शो के लिए हामी भरने से पहले मैं थोड़ा तनाव में था क्योंकि बालिका वधू के जगदीश का किरदार अब भी लोगों के मन में बसा हुआ था और उसे निकलना भी जरूरी था। खुश हूं कि मेरी भूमिका दर्शकों द्वारा अच्छी तरह से स्वीकार की गई थी।’ ‘फिर आगे चलकर ‘रूप मर्द का नया स्वरूप’ मिला जहां मैं एक ऐसा किरदार निभा रहा था जो भारतीय टेलीविजन पर शायद ही कभी मिलता। मैं शुरू में इसे करने को लेकर अनिच्छुक था, लेकिन जब आप एक शो के लिए प्राइमटाइम पर पुरुष लीड निभा रहे हैं, जिसमें सामाजिक संदेश भी है, तो आपको ना नहीं कहना चाहिए। अपने करियर ग्राफ से काफी संतुष्ट हूं।’