नशीली दवाओं के कारोबारी भाइयों की कहानी:गोरखपुर में मेडिकल स्टोर से शुरू किया बिजनेस

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(www.arya-tv.com)  गोरखपुर और संतकबीरनगर में शनिवार को दो करोड़ रुपए की नशीली दवाएं पकड़ी गई थीं। इस मामले में दवा व्यापारी दो भाइयों के खिलाफ ड्रग विभाग ने NDPS एक्ट के तहत केस दर्ज कराया है। अमित गुप्ता और आशीष गुप्ता भालोटिया मार्केट के बड़े दवा व्यापारी हैं। साथ ही आगरा के भी दो दवा व्यापारी भाइयों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। फिलहाल दोनों आरोपी भाई फरार हैं। दोनों भाइयों के नेपाल भागने की बात सामने आ रही है।

अमित गुप्ता और आशीष गुप्ता एबॉट कंपनी की कफ सिरप फेंसिडिल और लैबोरेट कंपनी की एस. कफ सिरप बेचते हैं। साथ ही बीमारियों की दवाएं बेचने की जगह नारकोटिक्स की दवाएं बेचकर महज कुछ साल में ही फर्श से अर्श पर पहुंच गए।

आगरा के व्यापारियों से मंगाई थी नशीली सिरप
ड्रग इंस्पेक्टर जय सिंह ने बताया, ”जांच में यह पता चला है कि जिस गोदाम का इस्तेमाल फेंसिडिल सिरप रखने के लिए किया था, वह अमित और आशीष के नाम पर हैं। इन दवाओं का कोई भी कागजात नहीं मिला है। इसके अलावा दवा मंगाने के नाम पर कोई भी लाइसेंस नहीं जारी किया गया था। भालो‌टिया के दोनों व्यापारियों ने ये सिरप आगरा के दो व्यापारी भाइयों अमित गोयल और अनुज गोयल उर्फ काके से मंगाई थी।”

ब्लीचिंग पाउडर की बिल्टी पर मंगाई कोडिन युक्त सिरप
ड्रग इंस्पेक्टर ने बताया, ”इसके लिए ब्लीचिंग पाउडर के नाम पर बिल्टी बनवाई गई थी। उसके नाम पर कोडिन फास्फेट सिरप फेंसि‌डिल मंगाई थी। अब यह जांच की जा रही है कि इससे पहले दवा कितनी बार आई और कहां-कहां उसकी सप्लाई की गई।”

असम के लिए बुक था ट्रक
उन्होंने बताया, ”जिस ट्रक से माल आया, वह असम के लिए बुक कराया गया था। मगर, वह गीडा आया। इसकी जानकारी ट्रक चालक ने अपने मालिक को दी। इस पर उसने GPS के जरिए ट्रक को लॉक कर दिया और पुलिस को भी इसकी सूचना दी।गोरखपुर के रहने वाले अमित गुप्ता और आशीष गुप्ता सगे भाई हैं। इनका एक तीसरा भाई भी है। इनकी पूरी फैमिली कैंट इलाके के दाउदपुर में रहती है। पिता लंबे समय से बेतियाहाता से हनुमान मंदिर जाने वाली रोड पर मोबाइल रिचार्ज की दुकान चलाते हैं। मगर, आशीष और अमित शुरू से ही दवा के कारोबार में लगे रहे।

बक्शीपुर में रिटेल दवा की दुकान चलाता था आशीष
पुलिस ने बताया, “90 के दशक में ही आशीष ने रिटेल मेडिकल स्टोर का लाइसेंस बनवा लिया था। उसी समय शहर के बक्शीपुर में उसने आशीष मेडिकल स्टोर के नाम से रिटेल की दुकान खोली। मगर, उस समय इनकी दुकान पर एक दिन में हजार रुपए की दवाइयां बेच पाना भी मुश्किल हो रहा था।

इससे उबरने के लिए आशीष ने नशे की दवाइयां बेचनी शुरू कर दी। उस वक्त स्पास्मो-प्रॉक्सीवॉन कैप्सूल, नॉरफिन इंजेक्शन, कंपोज, नाइट्रावेट जैसे इंजेक्शन और दवाइयों की नशे के लिए काफी डिमांड थी। ऐसे में अचानक इन दवाइयों को बेचकर इनका कारोबार चल पड़ा।”

2002 में भालोटिया में रखा कदम
पुलिस ने बताया, “इस धंधे से जब कमाई होने लगी, तो आशीष ने होलसेल का लाइसेंस बनवाया। 2002 में भालोटिया मार्केट के जीएम कॉमप्लेक्स में आशीष मेडिकल एजेंसी नाम से दुकान खोली। फिर क्या था, फुटकर में चल रहे कारोबार की रफ्तार होलसेल में पकड़ ली। आशीष नारकोटिक्स की दवाइयों की उसी समय से नेपाल में सप्लाई करने लगा। काम बढ़ता गया, तो आशीष ने अपने भाई अमित और तीसरे भाई को भी इस काम में शामिल कर लिया।”

2 साल पहले खरीदी 5 करोड़ की 4 दुकानें
पुलिस ने बताया, “कुछ ही साल में कब ये करोड़पति से अरबपति बन गए, इन्हें खुद इसका अंदाजा नहीं लगा। करीब दो साल पहले आशीष ने भालोटिया मार्केट में एक साथ 4 दुकानें खरीदी। इन दुकानों की कीमत उस वक्त करीब 5 करोड़ रुपए थी। यहीं से एबॉट और लैबोरेट कंपनी की दवाइयों का काम शुरू कर दिया।”

वाराणसी में शुरू की सप्लाई तो पड़ गई रेड
हालांकि इस दौरान इनके फर्मों पर कई बार रेड पड़ी और पकड़े भी गए, लेकिन हर बार पैसों के बूते बच जाते थे।

आशीष और अमित ने वाराणसी में फेंसिडिल सिरप भेजना शुरू कर किए। इस काम में उन्हें पांच से 6 गुना मुनाफा मिल रहा था। जबकि वाराणसी में आगरा का रहने वाला चिंटू नाम का एक दवा व्यापारी फेंसिंडिल सिरप का कारोबार काफी दिनों से करता है। उसके बाद से दोनों भाई उस व्यापारी के निशाने पर आ गए थे। सूत्रों के अनुसार चिंटू ने ही ड्रग विभाग को दवा से संबंधित पूरी जानकारी दी, जिसके बाद दवाएं बरामद की गईं।