ज्ञानवापी मामले में अब 14 जुलाई को होगी सुनवाई:कोर्ट ने ASI सर्वे को लेकर दलीलें सुनी

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(www.arya-tv.com) ज्ञानवापी के वजूस्थल को छोडकर पूरे परिसर के सर्वे की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनी। उसके बाद उनसे लिखित प्रति ली, उके बाद सुनवाई के लिए 14 जुलाई की तारीख तय की।

इससे पहले न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की कोर्ट में याचियों की ओर से बहस में कहा गया था कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 की धारा चार के तहत सिविल वाद सुनने योग्य नहीं है। अनुच्छेद 227 के अंतर्गत याचिका में चुनौती दी जा सकती है।

हिन्दू पक्ष ने कहा- स्वयंभू का शिवलिंग प्राकृतिक
कोर्ट में हिंदू पक्ष का कहना था कि भगवान विश्वेश्वर स्वयंभू भगवान हैं। वह मानव द्वारा निर्मित नहीं बल्कि प्रकृति प्रदत्त हैं, मूर्ति स्वयंभू प्राकृतिक है। सुप्रीम कोर्ट के एम सिद्दीकी बनाम महंत सुरेश दास व अन्य केस के फैसले का हवाला दिया था। बताया कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट की धारा चार इस मामले में लागू नहीं होगी। सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश सात के नियम 11 की अर्जी वाद के तथ्यों पर ही तय होगी।

प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 की धारा 4 पर बहस
हाईकोर्ट में पिछले दिनों याचियों की तरफ से बहस की गई थी कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 की धारा 4 के तहत सिविल वाद सुनने योग्य नहीं है। स्थापित कानून है कि कोई आदेश पारित हुआ है और अन्य विधिक उपचार उपलब्ध नहीं हैं, तो अनुच्छेद 227 के अंतर्गत याचिका में चुनौती दी जा सकती है।

हिन्दूपक्ष ने कहा कि मूर्ति स्वयं भू प्राकृतिक है, इसलिए प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट की धारा 4 इस मामले में लागू नहीं होगी। कहना था कि आदेश 7 नियम 11 सिविल प्रक्रिया संहिता की अर्जी वाद के तथ्यों पर ही तय होगी। सिविल वाद में लिखा है कि स्वयं भू विश्वेश्वर नाथ मंदिर सतयुग से है। 15 अगस्त 1947 से पहले और बाद में लगातार निर्बाध रूप से वहां पूजा की जा रही है।

28 नवंबर 2022 से सुरक्षित है फैसला
ज्ञानवापी परिसर का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से सर्वे कराने संबंधी वाराणसी की अदालत के आदेश तथा सिविल वाद की वैधता को लेकर दाखिल याचिकाओं पर फैसला विगत वर्ष से सुरक्षित है। शुरू में न्यायमूर्ति अजीत कुमार फिर न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की पीठ ने इसकी सुनवाई की।

विचाराधीन याचिकाओं पर 28 नवंबर 2022 को फैसला सुरक्षित कर लिया गया था। वादियों के अनुसार केस में 20 से अधिक सुनवाई के समेत जिरह हो चुकी है। आज भी कई मुद्दों को स्पष्ट करने के लिए फिर से सुनवाई होगी और दोनों पक्ष को तलब किया गया है।

मुस्लिम पक्ष की दलील, औरंगजेब ने नहीं तोड़ा मंदिर
सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने दलील दी थी कि मुगल औरंगजेब क्रूर नहीं था। उसने ना ही वाराणसी के किसी भगवान आदि विश्वेश्वर मंदिर को तोड़ा था। औरंगजेब के आदेश पर किसी मंदिर को तोड़े जाने का कोई साक्ष्य नहीं दिखाया गया। वाराणसी में दो काशी विश्वनाथ मंदिरों (पुराने और नए) की कोई अवधारणा नहीं थी।

घटनास्थल पर जो ढांचा या भवन मौजूद है, मस्जिद आलमगिरी/ज्ञानवापी मस्जिद वहां हजारों साल से है। कल भी मस्जिद थी और आज भी मस्जिद है। वाराणसी और आस-पास के जिलों के मुसलमान बिना बंदिश के नमाज पंजगाना और नमाज जुमा और नमाज ईद अदा कर रहे हैं।