इंसान फिर से बनने लगे बंदर? तुर्की के इस परिवार से वैज्ञानिक हैरान, चलते हैं चार पैरों पर, जानें पूरा मामला

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(www.arya-tv.com) तुर्की में रहने वाले एक परिवार से वैज्ञानिक हैरान हैं। इसके साथ ही इस परिवार के साथ जो हो रहा है, उसने वैज्ञानिकों को इंसानों के विकास का एक बार फिर अध्ययन करने पर मजबूर कर दिया है। यहां के उलास परिवार के कुछ सदस्य दो नहीं बल्कि चार पैरों पर चलते हैं। यानी वो चलने-फिरने के लिए अपने दोनों हाथों का भी इस्तेमाल करते हैं।

ये सदस्य किसी जानवर की तरह चलते हैं। ऐसा कभी भी पहले पूर्ण रूप से विकसित वयस्कों में नहीं देखा गया था। सबसे पहले बीबीसी ने 2016 में एक डॉक्यूमेंट्री में इस परिवार के बारे में बताया था। इसमें परिवार के सदस्यों को भालू की तरह चलते हुए दिखाया गया है। इसके अलावा एक वैज्ञानिक पेपर भी पब्लिश किया गया, जिसमें परिवार के बारे में विवरण दिया गया है।

बीबीसी के कार्यक्रम में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर हम्फ्री ने कहा था कि चार बहनें और एक भाई में असामान्य लक्षण देखा गया था। इससे यह सुराग मिल सकता है कि आखिर हमारे पूर्वज चार पैरों से दो पैरों वाले जानवर कैसे बने। इसी परिवार के छठे सदस्य में इस तरह के लक्षण थे, लेकिन दुर्भाग्य से उसकी मौत हो गई।

क्यों चलते हैं चार पैरों पर

इस स्थिति की पहचान हल्की बौद्धिक विकलांगता के रूप में हुई। इन लोगों को दो पैरों पर सीधे चलने और संतुलन बनाए रखने में कठिनाई पैदा होती है। इस कारण उन्हें अपने दोनों हथेलियों का भी इस्तेमाल करना पड़ा है। यह घटना मानव विकास की पारंपरिक धारणाओं को भी चुनौती देती है। प्रोफेसर हम्फ्री ने 60 मिनट्स ऑस्ट्रेलिया के एक कार्यक्रम में कहा, ‘मुझे कभी भी इस बात की उम्मीद नहीं थी कि आधुनिक मनुष्य अपनी पशु अवस्था में लौट सकता है।’

वानरों से मिलते हैं कंकाल

उन्होंने कहा, ‘हम चार पैरों पर चलते थे, लेकिन फिर धीरे-धीरे दो पैरों पर खड़े हो गए।’ लीवरपूल युनिवर्सिटी की एक स्टडी में पता चला कि बच्चों के कंकाल इंसानों की तुलना में वानरों से ज्यादा मिलते जुलते हैं। उनका सेरिबैलम सिकुड़ा हुआ था। कुछ वैज्ञानिक बैकवर्ड इवोल्यूशन की धारणा दे चुके हैं, जिसके कारण उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ा। उचित देखभाल से ये कभी-कभी सीधे चलने में भी सक्षम हुए हैं। विशेष उपकरणों और फिजियोथेरेपी के कारण उन्हें दो पैरों पर चलने में मदद मिली है।