उदयपुर जयपुर रेल मार्ग पर भीलवाड़ा के निकट वंदे भारत रेल को डिरेल करने का प्रयास किया गया

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  • विपुल लखनवी ब्यूरो प्रमुख पश्चिमी भारत

राजस्थान। उदयपुर जयपुर रेल मार्ग पर भीलवाड़ा के निकट वंदे भारत रेल को डिरेल करने का प्रयास किया गया। आश्चर्यजनक रूप से रेल की पटरियों पर पत्थरों को रखा गया और पत्थर कंपन से न हिले इसके लिए लोहे की सरिया भी फंसा दी गई।

ज्ञात हो 24 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 वंदे भारत नई रेलगाड़ियां का उद्घाटन किया था, लेकिन लगता है देश विरोधियों को जनता को मिल रही सुविधाएं हजम नहीं हो पाती है, इस कारण वे मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए नए-नए षड्यंत्र रचते रहते हैं। वंदे भारत एक्सप्रेस को पटरी से उतारने का यह प्रयास इसी और इशारा करता है।

वह तो चालक दल की सावधानी से उनको कुछ दूरी पर पड़े हुए पत्थर और लगी हुई सरिया दिख गई जिस कारण उन्होंने वंदे भारत एक्सप्रेस को रोक दिया और किसी बड़ी दुर्घटना को घटना से पहले बचाव कर लिया। वास्तव में इस तरह की घटना आम जनता में भय के वातावरण के साथ रेल यात्रा में क्या-क्या हो सकता है इस तरह की शंका और भारी संभावनाओं को जन्म दे देती है।

अब इस घटना के पीछे राजस्थान सरकार की तुष्टिकरण नीति को दोषी ठहराया जा रहा है क्योंकि कुछ दिन पूर्व दो मोटरसाइकिल सवारों के बीच में जब झगड़ा हुआ था तो जो एक मर गया था वह भी इसी संप्रदाय का था जिन्होंने मारा था। लेकिन मरनेवाला क्योंकि मुस्लिम था इस कारण मृतक के परिवार को 50 लाख रुपए दूध की डेरी का लाइसेंस और एक दुकान तुरंत प्रदान कर दी गई। वहीं पर कन्हैयालाल की हत्या होने पर कई दिनों बाद पांच लाख की आर्थिक सहायता दी गई थी।

सत्य यह है कि राजस्थान में इस तरह की घटनाएं चाहे वह बलात्कार की हो अथवा वंदे भारत एक्सप्रेस को डिरेल करने का प्रयास हो, दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है क्योंकि वहां पर आने वाले चुनाव के मद्दे नजर अपनी वोट बैंक पॉलिटिक्स के कारण गहलोत सरकार के द्वारा मुस्लिम तुष्टिकरण भी उसी अनुपात में बढ़ता जा रहा है।
प्रश्न यह है कि क्या नेताओं का यह तुष्टीकरण देश की आम जनता के साथ उसके जीवन के साथ खिलवाड़ करने का अधिकार उनको देता है? यह प्रश्न सोचने का है कि क्या भारत की सर्वोच्च न्यायालय इस तरह के तुष्टिकरण पर अपने आप संज्ञान नहीं ले सकती क्या वह भी पंगु है?