इलाहाबाद नाम तो इलाहाबादियों के दिल में बसा है, साहब

UP

Arya Tv: Lucknow (Soni Singh)

अकबर के शासनकाल से चले आ रहे इलाहाबाद का नाम 2018  में अब योगी सरकार के द्वारा फिर से प्रयागराज रखने की घोषणा की गयी है  इलाहाबाद का नाम 444 साल बाद फिर से प्रयागराज होने जा रहा है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को इसकी घोषणा कर दी है। उनके मुताबिक राज्यपाल ने भी इस पर अपनी सहमति दी है। घोषणा से संत समाज उत्साहित है। दरअसल पुराणों में इसका नाम प्रयागराज ही था।

पौराणिक और धार्मिक महत्व को देखते हुए वर्षों से इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने की मांग उठती आ रही थी। मगर कभी इस पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया। जब मार्च 2017 को योगी सरकार उत्तर प्रदेश में आई तो उन्होंने यह वादा भी किया कि वे इलाहाबाद प्रयागराज कर देंगे। इसके बाद कई संतों ने उन्हें उनके वादे को याद दियाला। इलाहाबाद में मुख्यमंत्री ने इस घोषणा को अमली जामा पहनाने की शुरुआत कर दी।

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रामचरितमानस है प्रयागराज होने का सबूत

 रामचरित मानस में इसे प्रयागराज ही कहा गया है। इलाहाबाद  संगम के जल से प्राचीन काल में राजाओं का अभिषेक होता था। इस बात का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में है।

वन जाते समय श्रीराम प्रयाग में भारद्वाज ऋषि के आश्रम पर होते हुए गए थे। भगवान श्रीराम जब श्रृंग्वेरपुर पहुंचे तो वहां प्रयागराज का ही जिक्र आया। सबसे प्राचीन एवं प्रामाणिक पुराण मत्स्य पुराण के 102 अध्याय से लेकर 107 अध्याय तक में इस तीर्थ के महात्म्य का वर्णन है। उसमें लिखा है कि प्रयाग प्रजापति का क्षेत्र है जहां गंगा और यमुना बहती हैं।

अकबर ने बसाया इलाहाबाद नगरी

अकबरनामा और आईने अकबरी व अन्य मुगलकालीन ऐतिहासिक पुस्तकों से ज्ञात होता है कि अकबर ने सन 1574 के आसपास प्रयागराज में किले की नींव रखी। उसने यहां नया नगर बसाया जिसका नाम उसने इलाहाबाद रखा। उसके पहले तक इसे प्रयागराज के ही नाम से जाना जाता था।

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शहर का नाम बदलने के लिए कुछ महत्वपूर्ण प्रक्रिया

  • किसी शहर के स्थानीय लोग या जनप्रतिनिधि नाम बदलने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजे
  • राज्य मंत्रिमंडल प्रस्ताव पर विचार करती है और मंजूरी देने के बाद राज्यपाल की सहमति को भेजती है
  • राज्यपाल प्रस्ताव पर अनुंशसा देने के साथ अंतिम मंजूरी के लिए केंद्रीय गृहमंत्रालय को भेजता है
  • गृहमंत्रालय से हरी झंडी मिलने के बाद राज्य सरकार नाम बदलने की अधिसूचना जारी करती है

मुख्यमंत्री ने जाग्रत की भारत की संसकृति

प्रयाग पौराणिक नाम है जो कि यज्ञ और तपस्या की भूमि है। यदि किसी शासक ने इसका नाम बदलकर अपनी रुचि के अनुसार इलाहाबाद रख दिया तो उससे इतिहास नहीं बदल गया। संत मुख्यमंत्री ने भारतीय संस्कृति को पुनर्जागृत कर दिया। यह बहुत पहले हो जाना चाहिए था।

 नाम कोई मुद्दा नहीं बल्कि सियासत के मुद्दों से हटने की अद्भुत चाल  है

इलाहाबाद नाम तो इलाहाबादियों के दिल में बसा है उसे कैसे बदला जाएगा बल्कि सरकार की यह एक नयी सियासत है जो की देश अन्य मुद्दों से हटने की चाल है सरकार को शहर की दूसरी समस्या पर भी ध्यान देना चाहिए  नाम की तो कोई समस्या नहीं है। रही संस्कृति की बात तो माघ मेला  में शहर तो प्रयागराज के नाम से जाना ही जाता है। अगर देखा जाए तो यह कोई मुद्दा नही है देश की प्रगति में शामिल होने का बल्कि देशवसियों को नाम बदलने के लिए उनके मन में विवाद की भावना जगाना है