ये सब महिलाओं के लिए नहीं… राजस्थान में चुनाव आयोग के ऐप पर अजब दुविधा

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(www.arya-tv.com) राजस्थान में विधानसभा चुनाव की डेट का ऐलान हो चुका है। राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदाताओं को जागरूक करने के लिए मोबाइल ऐप लॉन्च किया। अब इसी ऐप को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग के प्रतिनिधि अजब दुविधा में है। दरअसल राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रतिनिधियों को मोबाइल ऐप के बारे में लोगों को जागरूक करने का काम सौंपा।

प्रतिनिधियों ने लोगों को जागरूक करना भी शुरू कर दिया, लेकिन कुछ समुदाय के लोगों ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया। कुछ समुदाय के लोग नहीं चाहते हैं कि उनकी महिलाएं मोबाइल ऐप और सोशल मीडिया का इस्तेमाल करें। समुदाय के लोगों का कहना है कि ये सब महिलाओं के लिए ठीक नहीं है।

दरअसल राज्य सरकार ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इंदिरा गांधी स्मार्ट फोन योजना के तहत महिला निवासियों को लाखों स्मार्टफोन वितरित किए थे। सिस्टेमेटिक वोटर्स एजुकेशन एंड इलेक्टोरल पार्टिसिपेशन (स्वीप) समिति के एक सदस्य ने आरोप लगाया कि, ‘जब सरकार ने महिलाओं को स्मार्टफोन बांटे थे तब ऐसी कोई नाराजगी नहीं थी।

लेकिन, अब महिला मतदाताओं को मोबाइल ऐप के बारे में जागरूक करने के लिए शिविर आयोजित करने की कोशिश की गई तो उन्हें कई इलाकों में जाने नहीं दिया गया।’ उन्होंने कहा कि उस क्षेत्र के पुरुषों का दावा है कि ऐसी तकनीकें महिलाओं के लिए नहीं हैं।

चुनाव आयोग ने लॉन्च किए थे चार ऐप

बता दें, इस समिति का गठन मतदाताओं को वोट देने के लिए प्रेरित करने, चुनाव आयोग की ओर से शुरू किए गए सोशल मीडिया टूल और मोबाइल ऐप के बारे में जागरूक करने के लिए किया गया था। राजस्थान में ‘स्वीप’ को लागू करने के लिए प्रत्येक जिले के लिए अलग-अलग समितियां हैं।

चुनाव आयोग ने चार ऐप-वीएचए, सक्षम, सी-विजिल और केवाईसी लॉन्च किए हैं। इनमें से प्रत्येक ऐप में मतदाताओं को मतदान करने में सुविधा प्रदान करने के लिए विशिष्ट विशेषताएं हैं।

क्या कहना है स्वीप समिति की जिला समन्वयक का?

इस मामले पर जयपुर के लिए स्वीप समिति की जिला समन्वयक स्निग्धा शर्मा ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा, ‘वास्तव में, हमने महिला मतदाताओं को मोबाइल एप्लिकेशन और सोशल मीडिया उपकरणों के बारे में जागरूक करते हुए नाराजगी का सामना किया है।

मैं सभी राजनीतिक दलों से अपील करना चाहूंगी कि वे अपने प्रचार अभियानों के दौरान इस मुद्दे को उठाएं और सभी मतदाताओं को प्रेरित करने में हमारी मदद करें। इस तरह के सामाजिक कलंक 21वीं सदी में स्वीकार्य नहीं हैं।’जयपुर के सरकारी कॉलेज की प्राचार्य स्निग्धा शर्मा ने कहा ने कहा कि स्वीप के सदस्यों ने दावा किया कि उन्हें न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में बल्कि जयपुर के शहरी क्षेत्रों में भी इस तरह की नाराजगी का सामना करना पड़ा था।