2017 से हर चुनाव में अलग साथी के साथ गए अखिलेश, चुनाव खत्म-साथ खत्म

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(www.arya-tv.com) 2022 के विधानसभा चुनाव में कई छोटे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़े अखिलेश के लिए चुनाव के बाद परेशानियां कम नहीं हो रही हैं। पहले चाचा शिवपाल यादव नाराज हुए। फिर आजम खान के नाराज होने की खबरें महीनों चलती रहीं। राज्यसभा चुनाव के बाद गठबंधन की साथी महान दल ने साथ छोड़ दिया। अब समाजवादी पार्टी गठबंधन में शामिल एक और पार्टी के गठबंधन छोड़ने की अटकलें हैं।

कहा जा रहा है कि ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी भी गठबंधन छोड़ सकती है। अखिलेश के लिए चुनाव के पहले गठबंधन और चुनाव खत्म होने के बाद उसके टूटने का ये पहला मौका नहीं है। 2016 में पार्टी पर प्रभुत्व के लिए परिवार में हुए संघर्ष के बाद हर चुनाव में ये देखने को मिलता है। यानी, जब से पार्टी अखिलेश यादव के नियंत्रण में आई है उसके बाद जितने चुनाव हुए हर चुनाव में ऐसा ही देखा गया।

चुनाव के पहले अखिलेश को नए साथी मिले। तब से अब तक किसी भी चुनाव में उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं आए। नतीजे के बाद कभी सहयोगी ने साथ छोड़ दिया तो कभी खुद अखिलेश ने उनसे किनारा कर लिया। आइये जानते हैं पिछले दस साल में सपा ने कब कैसे चुनाव लड़ा? चुनाव का नतीजा क्या रहा है। नतीजे का उसके गठबंधन पर क्या असर पड़ा।

2017: घऱ में घिरे अखिलेश ने लिया राहुल का साथ

2017 के विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया। इन चुनावों में 311 सीटों पर सपा ने उम्मीदवार उतारे। वहीं, 114 सीटों पर कांगेस ने चुनाव लड़ा। गठबंधन के बाद भी 24 सीटों पर दोनों के प्रत्याशी आमने-सामने थे। कुंडा और बाबागंज में 2012 की तरह ही 2017 में भी सपा ने राजा भैया और विनोद सोनकर को समर्थन दिया। इन दोनों सीटों पर कांग्रेस और सपा ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे। ये वही दौर था जब अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच सपा पर कब्जे की लड़ाई चल रही थी। परिवार में अकेले पड़े अखिलेश ने कांग्रेस का साथ लिया। हालांकि, चुनाव में उन्हें अपेक्षित सफलता नहीं मिली। अखिलेश को सत्ता गंवानी पड़ी।