1000 नक्‍सल‍ियों ने बोला हमला, जहानाबाद जेल से उड़ा ले गया 389 कैदी; अब RJD से मांग रहा ट‍िकट

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(www.arya-tv.com)  लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का ऐलान होने के बाद से लोग टिकट का जुगाड़ करने में लगे हुए हैं। इसमें आम नेताओं के साथ बाहुबली और आपराधिक प्रवृत्ति के लोग भी शामिल हैं। बिहार के जहानाबाद जेल ब्रेक मामले में दोषी ठहराए गए पूर्व नक्सली कमांडर अजय कानू भी अपनी पत्नी शारदा देवी के लिए राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से टिकट पाने की कोशिश कर रहा है। वह अपनी पत्नी को जहानाबाद सीट से चुनाव लड़ाना चाहता है।

अजय कानू ने लालू प्रसाद यादव से की मुलाकात

अजय कानू ने बुधवार को कहा कि उसने जहानाबाद सीट से टिकट के लिए आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की है। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि उन्हें टिकट का आश्वासन मिला है या नहीं। जहानाबाद में आखिरी बार आरजेडी को 2004 में जीत मिली थी। यहां से जेडीयू के चंदेश्वर प्रसाद सांसद हैं।

‘मुझे उम्मीद है कि पत्नी को टिकट मिलेगा’

कानू ने कहा कि जेडीयू के चंदेश्वर चंद्रवंसी कहार समुदाय से हैं, जबकि मैं कानू समुदाय से हूं। किसी भी दल ने कभी भी जहानाबाद से कानू समुदाय का उम्मीदवार नहीं उतारा। मुझे उम्मीद है कि लालू यादव मेरी पत्नी को टिकट देंगे। जहानाबाद से पूर्व मंत्री सुरेंद्र यादव भी सीट के दावेदार हैं।

जहानाबाद जेल ब्रेक कांड कब हुआ था?

जहानाबाद जेल ब्रेक कांड बिहार का सबसे बड़ा जेल ब्रेक कांड माना जाता है। इस पर ‘जहानाबाद ऑफ लव एंड वार’ नाम से वेब सीरीज भी बन चुकी है। यह मामला 13 नवंबर 2005 का है, जब रात 9 बजे करीब एक हजार माओवादियों ने जहानाबाद जेल पर हमला बोल दिया और मगध रेंज के एरिया कमांडर अजय कानू समेत 389 कैदियों को छुड़ा लिया। कानू पर 1990 में हुई एक हत्या का आरोप था, जिसमें वो फरार चल रहा था। इस मामले में 2002 में उसे गिरफ्तार कर जहानाबाद जेल में रखा गया था। इस दौरान रणवीर सेना के कमांडर बीनू शर्मा उर्फ बड़े शर्मा की भी हत्या कर दी गई थी।

2007 में कानू को दोबारा किया गया गिरफ्तार

कानू को 4 फरवरी 2007 को धनबाद से कोलकाता जाते समय गिरफ्तार कर लिया। कानू ने जहानाबाद कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है। वह जमीन विवाद में अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए नक्सली बना था। वह 2020 में जमानत पर जेल से रिहा हुआ। जब उसे 2007 में गिरफ्तार किया गया था तो उस पर 42 मामले चल रहे थे। हालांकि, अदालत ने उसे 36 मामलों बरी कर दिया। जहानाबाद जेल ब्रेक मामले में कानून को दोषी ठहराया गया, लेकिन उसे 4 दिसंबर 2019 को पटना हाईकोर्ट ने जमानत दे दिया।