विकास दुबे के बाद अब उसके साथियों पर पुलिस का शिकंजा, प्रशांत शुक्ला और मैनेजर का भेजा जेल

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कानपुर।(www.arya-tv.com) विकास दुबे के काले कारोबार में बड़े सहयोगी जय बाजपेई व प्रशांत शुक्ला को अदालत में पेश किया गया। जिसके बाद चौबेपुर पुलिस ने मेडिकल कराने के बाद जेल भेज दिया। जय बाजपेई को विकास दुबे का मैनेजर माना जाता है।

वह विकास दुबे को आॢथक मदद कर अलावा कारतूस और फरार होने में वाहन भी उपलब्ध कराता था। कानपुर से विकास दुबे को भगाने में जय बाजपेई और उसके साथी ने मदद की थी।

दुर्दांत गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद अब उसके साथियों पर भी पुलिस का शिकंजा कसता जा रहा है। विकास दुबे के मैनेजर के रूप में चर्चित जय बाजपेई के साथ उसके एक साथी प्रशांत शुक्ला को पुलिस ने मशक्कत के बाद सोमवार को जेल भेज दिया।

कानपुर की नजीराबाद पुलिस रविवार शाम को जय बाजपेई को लेकर उसके घर भी गई थी। कल एसएसपी व एसपी समेत कई थानों की फोर्स देर रात नजीराबाद थाने में मौजूद थी। जहां पर जय बाजपेई से यूपी एसटीएफ ने भी पूछताछ की। जय बाजपेई को 13-14 दिन हिरासत में रखने के बाद एसटीएफ ने रविवार को छोड़ दिया था।

उसके छोड़े जाने पर काफी शोर मचा तो पुलिस ने रविवार देर रात तक काफी कश्मकश के बाद जय बाजपेई और उसके एक साथी प्रशांत शुक्ला को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने जय पर घटना के दो दिन पहले विकास दुबे को दो लाख रुपये और 25 कारतूस देने के आरोप समेत कई धाराओं में देर रात नजीराबाद थाने में मुकदमा दर्ज किया है।

.चौबेपुर के बिकरू कांड के बाद एसटीएफ जय बाजपेई को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही थी। 15 दिन बाद रविवार की शाम वह सुरक्षित घर पहुंचा तो बखेड़ा खड़ा हो गया। देर रात पुलिस ने जय को दोबारा घर से हिरासत में लिया था। इसके बाद एसएसपी दिनेश कुमार प्रभु ने नजीराबाद थाने पहुंचकर उससे पूछताछ की।

पुलिस के अनुसार यहां पर पूछताछ में सामने आया कि जय ने घटना के दो दिन पहले विकास दुबे को दो लाख रुपये और 25 कारतूस दिए थे। पुलिस की जांच में लाइसेंसी रिवाल्वर में 25 कारतूस की खरीद मिली लेकिन वह नहीं बता सका कि कारतूस कहां प्रयोग किए।

 विकास दुबे के खजांची जय बाजपेई पर पुलिस का शिकंजा कसना शुरू हो गया है। पुलिस ने रविवार को जय की रिवाल्वर, शस्त्र लाइसेंस और पासपोर्ट जब्त कर लिए। इसके साथ ही शस्त्र लाइसेंस और पासपोर्ट के निरस्तीकरण की फाइल भी तैयार कर ली गई है। निरस्तीकरण के लिए दस्तावेज सोमवार को जिलाधिकारी को भेजे जाएंगे। आपराधिक मुकदमे के बावजूद जय का शस्त्र लाइसेंस बना था। उसके पास पासपोर्ट भी था और वह विदेश भी जाता था।

तत्कालीन एएसपी कन्नौज केसी गोस्वामी की सवा दो साल से दबी हुई रिपोर्ट दैनिक जागरण में प्रकाशित होने के बाद पुलिस महकमे ने कार्रवाई का डंडा चलाना शुरू किया है। शस्त्र लाइसेंस और पासपोर्ट निरस्तीकरण के लिए एसएसपी ने शनिवार को बजारिया और नजीराबाद पुलिस को आदेशित किया था। इंस्पेक्टर बजरिया राममूॢत यादव ने बताया कि शस्त्र लाइसेंस और पासपोर्ट निरस्तीकरण की कार्यवाही भी पूरी कर ली गई है। फाइल अनुमोदन के लिए एसएसपी के यहां भेज भी दी गई है।

जय बाजपेई विकास दुबे के फंड मैनेजर की तरह काम कर रहा था जिसके बदौलत कानपुर शहर से लेकर विदेश तक में उसने अरबों की बेनामी संपत्ति जुटा ली और आयकर विभाग को पता भी नहीं चला। जय बाजपेई की दुबई, थाईलैंड में 30 करोड़ रुपए की संपत्तियों है। इसके अलावा कानपुर शहर के अंदर ब्रह्मनगर में छह मकान, आर्यनगर के एक अपार्टमेंट में आठ फ्लैट और पनकी में एक ड्यूप्लैक्स कोठी है। इनकी अनुमानित कीमत 28 करोड़ रुपए बताई जा रही है। जय और विकास के बीच बैंक के जरिए लेनदेन के ठोस सबूत मिल चुके हैं। सोशल मीडिया में दो किलो सोने से लदी अपनी और बच्चे की तस्वीर जय ने कुछ दिन पहले पोस्ट की थी।

जय बाजपेई का कानपुर के में ब्रह्मनगर में पालतू जानवरों का एक आलीशान शोरूम है। यहां पर 20 से 50 हजार रुपए की बिल्लियां, 50 हजार से एक लाख रुपए के कुत्ते और बेहद महंगी दुर्लभ प्रजाति की मछलियों का व्यापार खास तौर पर होता है। खास बात ये है कि पालतू पशुओं के इस मॉल का मालिक महज छह साल में करोड़पति बन गया। पहले इस मॉल का मालिक ब्रह्मनगर स्थित पालतू पशुओं की शॉप में केवल चार हजार रुपए महीने की नौकरी करता था।

चार हजार रुपए की नौकरी से चंद वर्षों में अरबपति बने जयकांत बाजपेई उर्फ जय बाजपेई की संपत्तियों, बैंक खातों और नकद लेन-देन की जांच आयकर विभाग की बेनामी विंग (शाखा) और आयकर निदेशालय (जांच) ने शुरू कर दी है। अभी तक जय के दो और उसकी पत्नी के एक खाते को जांच के दायरे में लिया गया है।

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और विजया बैंक के खातों के अलावा बेनामी अकाउंट्स की भी जांच की जा रही है। इसके तहत उसके भाई रजय बाजपेई और परिवार के खातों को भी खंगाला जाएगा। जय से कारोबारी लेन-देन करने वाले सात और लोगों को भी जांच के दायरे में लाया गया है। इन सभी का कानपुर के जयकांत बाजपेई के साथ नियमित लेन-देन था। यह बैंक खातों के अलावा नकदी का भी उपयोग किया जाता था।

विदेशों में संपत्ति की जड़ें तलाश रही टीम को इस बात का अंदेशा है कि यह सौदा बेनामी खातों और हवाला नेटवर्क के जरिए किया गया है। आयकर टीम उन खातों और हवाला रैकेट तक पहुंचने की कोशिश करेगी। विदेशी संपत्तियों की छानबीन में छोटा सा सुराग हाथ लगते ही फेमा के तहत कारवाई की तैयारी भी की जा रही है। विभाग इस बात की जांच कर रहा है कि विदेशों में यदि संपत्ति खरीदी गई तो पैसे कैसे ट्रांसफर किए गए। संपत्ति खरीद में लेन-देन के स्रोत तलाशे जाएंगे। अभी तक जय के बैंक खातों से इस बात के प्रमाण नहीं मिले हैं कि पैसे विदेशों में भेजे गए हों। अधिकारियों को संदेह है कि विदेशों में पैसा खपाने के लिए हवाला रैकेट का इस्तेमाल किया गया है।

कानपुर में खरीदी गई सम्पतियों के स्रोत क्या हैं, इसकी जांच अलग टीम कर सकती है। साथ ही 50 हजार रुपए सालाना कमाने वाला व्यक्ति 7 साल में 12 लाख का आईटीआर कैसे भरने लगा, इसे भी जांच में शामिल किया गया है। आयकर विभाग उन जांच रिपोर्टों पर भी गौर कर सकता है जो स्थानीय प्रशासन की ओर से बीच में कराई गई थी।