(www.arya-tv.com)उत्तर प्रदेश में हाल ही में सम्पन्न हुए जिला पंचायत चुनाव में समाजवादी पार्टी (SP) को करारी हार का सामना करना पड़ा था। इस हार से आहत पूर्व CM अखिलेश यादव ने शुक्रवार को कोर कमेटी की बैठक में इसकी समीक्षा की। लखनऊ में समाजवादी पार्टी दफ्तर में हुई जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनावों में मिली हार पर मंथन में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, पार्टी अध्यक्ष नरेश उत्तम समेत, पार्टी के सभी वरिष्ठ पदाधिकारी भी शामिल थे। इस बैठक में पार्टी के सभी जिला अध्यक्ष और जिला पंचायत अध्यक्ष प्रत्याशियों को बुलाया गया था।
जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में मिली करारी हार के बाद अखिलेश यादव ने सभी जिला अध्यक्ष और चुनाव में हारे जिला पंचायत अध्यक्ष प्रत्यशियों के अलावा जिलों के सीनियर नेताओं से रिपोर्ट मांगी थी। मंगलवार को हुई बैठक में सभी अपनी अपनी रिपोर्ट के साथ पहुंचे थे। सपा कि हार के बाद कहा गया कि कई जिलों में भितरघात हुआ। पार्टी के जिला अध्यक्षों ने पार्टी के साथ गद्दारी की, कुछ जिलों में प्रत्याशियों ने ही पाला बदल लिया। इन आरोपों से नाराज अखिलेश यादव ने ही रिपोर्ट मांगी थी।
रिपोर्ट में जिला प्रशासन की गुंडई को बताया जिम्मेदार
आज समीक्षा बैठक में पहुंचे अधिकतर जिला अध्यक्ष और हारे हुए जिला पंचायत अध्यक्ष प्रत्यशियों ने अपनी रिपोर्ट में जिला प्रशासन की गुंडई को जिम्मेदार बताया है। साथ ही कुछ जिलों में भितरघात को भी हार की वजह बताई गई है। पार्टी ने कुछ जिलों में भितरघातियों की चिन्हित किया है और कड़ी कार्रवाई के संकेत भी दिए हैं।
हार के बाद अखिलेश ने 11जिलाध्यक्षों को हटाया था
अखिलेश यादव ने जिला पंचायत अध्यक्ष के नामांकन के दिन 11 जिला अध्यक्षो को तत्काल प्रभाव से पद मुक्त कर दिया था। जिला पंचायत चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों के नामांकन दाखिल न कर पाने से नाराज सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने गोरखपुर, मुरादाबाद, झांसी, आगरा, गौतमबुद्ध नगर, मऊ, बलरामपुर, श्रावस्ती, भदोही, गोंडा और ललितपुर के जिलाध्यक्षों को हटाया था।
जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में सपा को मिली थी करारी हार
जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में BJP के जहां 67 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष जीते, वहीं समाजवादी पार्टी को 5 जिलों में ही जीत से संतोष करना पड़ा। लोकदल 1,जनसत्ता दल 1 और निर्दलीय 1 सीटों पर जीत दर्ज की थी। हालांकि पिछले पंचायत चुनावों में सपा के 63 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए थे।सपा की इस हार के पीछे स्थानीय नेताओं का खराब मैनेजमेंट रहा तो कई जिलों में पार्टी के पंचायत सदस्य भी बीजेपी के साथ हो लिए।
दरअसल, 26 जून को जिला पंचायत अध्यक्ष का नामांकन था और उसी दिन BJP के 17 जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध जीत गए थे, जबकि समाजवादी पार्टी महज 1 सीट (इटावा) पर निर्विरोध जीत हासिल कर पाई थी। इसके बाद 29 जून को नाम वापसी के दिन समाजवादी पार्टी के 4 नामांकन वापस हो गए थे। लिहाजा BJP के 21 प्रत्याशी निर्विरोध जीत गए, जबकि सपा महज 1 सीट ही निर्विरोध करने में कामयाब हो पाई थी।