(www.arya-tv.com) विकास दुबे के मरने के बाद उसके आतंक की कहानी सामने आ ही है। बिकरू गांव पहुंचे न्यायिक आयोग के चेयरमैन रिटायर जज एसके अग्रवाल ने ग्रामीणों से विकास के आतंक कथा सुनी तो एक बारगी वह भी हैरत में पड़ गए। हर किसी ने उसके सामने अपना दर्द बयां किया। पुलिस की पुलिस से साठगांठ भी बताई गई। उन्होंने ग्रामीणों के बीच में कहा कि विकास दुबे का इतने लंबे वक्त से आतंक रहा और पुलिस खामोश रही। मैं देखता हूं क्या किया जा सकता है।
घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद न्यायिक आयोग के अध्यक्ष ने एक-एक कर गांव में सभी से हिस्ट्रीशीटर के बारे में जानकारी जुटाना शुरू किया। पेश हुए पूर्व प्रधान अमर सिंह ने बताया कि विकास के आतंक की कोई सीमा नहीं थी। वह 1986 से 1995 तक लगातार प्रधान रहे लेकिन 1992 में विकास भी गांव की राजनीति में सक्रिय हो गया। अमर के मुताबिक उसने नीचा दिखाने के लिए गांव में सबके सामने तमंचे की बट से मारा था। शिकायत लेकर शिवली थाने गए तो वहां भी विकास पहुंच गया। पुलिस वालों के सामने बेइज्जती की। पुलिस ने भी तब उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की थी। इसके बाद से विकास मनबढ़ होता चला गया।
मेरे भाई को मारकर काम कब्जा लिया
झींझक से आए मनोज दुबे ने भी रिटायर जज के सामने आपबीती बयां की। उन्होंने कहा कि विकास ने 2004 में उसके भाई दिनेश दुबे निवासी बर्रा की हत्या कर दी थी। दिनेश केबल ऑपरेटर थे। उनकी हत्या के साथ ही विकास ने केबल के काम पर भी कब्जा कर लिया।
25 साल से जमीन पर कब्जा
न्यायिक आयोग के सामने जमीन से जुड़े मामलों की खूब शिकायतें हुईं। बिकरू गांव के अब्दुला ने बताया कि विकास ने उसकी 1.5 बीघा जमीन पर कब्जा कर लिया था। जब आवाज उठाई तो इतना पीटा कि मैंने जमीन की आस ही छोड़ दी। जमीन कब्जा कर ली गई और खामोशी से बैठने के सिवा मेरे पास कोई चारा नहीं था। इसी तरह जलालुद्दीन ने बताया कि उसकी दस बीघा जमीन पर विकास के चचेरे भाई अनुराग दुबे ने कब्जा कर लिया। उसके लिए पुलिस से शिकायत की गई मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। अब्दुल वसीम ने बताया कि 25 साल से विकास ने उसकी 3 बीघा जमीन पर कब्जा कर लिया था। उसने तहसील में शिकायत की लेकिन वहां भी उसे फायदा नहीं हुआ। कहीं पर किसी ने कोई सुनवाई नहीं की।
दूसरे के घर पर कब्जा करा मामा को बसा दिया था
जिस प्रेमप्रकाश पांडेय के घर में सीओ देवेन्द्र मिश्र की हत्या की गई वह जमीन सोनेलाल तिवारी की हुआ करती थी। उस घर पर विकास ने अवैध कब्जा करके अपने प्रेमप्रकाश को बसा दिया था। घटना के बाद पुलिस ने 3 जुलाई की सुबह एनकाउंटर में प्रेमप्रकाश को मार गिराया था। पूर्व प्रधान ने बताया कि विकास सोनेलाल की हत्या कराकर 16 बीघा जमीन पर कब्जा कर लिया। उसके बाद उसका परिवार डर के मारे गांव से पलायन कर गया। विकास ने उसके घर पर कब्जा कर प्रेम प्रकाश को बसा दिया।
20 साल बाद भी आने की हिम्मत न जुटा पाए
विकास ने 20 साल पहले गांव में रहने वाले जनार्दन पंडित को इतना प्रताड़ित किया था कि वह परिवार गांव छोड़ गए। वर्तमान में उनके दो बेटे ओम प्रकाश और पप्पू कल्याणपुर में रहते हैं लेकिन दोबारा बिकरू जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। पूर्व प्रधान ने बताया कि प्रेमप्रकाश के घर के पीछे की जमीन जनार्दन की हुआ करती थी। इस पर भी विकास ने कब्जा जमा रखा था।
पौन घंटे तक लगातार चलीं गोलियां
न्यायिक आयोग के अध्यक्ष ने जब घटना से जुड़े सवाल किए तो ग्रामीणों ने बताया कि दो जुलाई की रात पौन घंटे तक लगातार गोलियां चली थीं। किन-किन असलहों का प्रयोग हुआ पता नहीं। ताबड़तोड़ फायरिंग से पूरा गांव दहल गया था। ग्रामीणों ने कहा कि वह बच्चों को लेकर घरों में दुबक गए थे। सुबह पांच बजे जब निकले तब जानकारी हुई कि पुलिसकर्मी भी इसमें शहीद हो गए हैं। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि वहां पर बम भी फोड़े गए थे।
1995 के बाद से विकास के प्रधान
ग्रामीणों ने कहा कि सन 1995 के बाद से विकास ने जिसको चाहा वही प्रधान बना। बीच में ग्राम पंचायत प्रधान का आरक्षण दलित वर्ग के लिए हो गया था। हरिजन हुई थी। उस दौरान भी विकास ने एक महिला को निर्विरोध जिता लाया था। उसका बस्ता विकास के घर पर ही रहता था।