सोनिया गांधी के बाद अब मायावती का बड़ा बयान,क्यों लिया गया श्रमिको से रेलवे टिकट पर धन

Lucknow UP

लखनऊ।(www.arya-tv.com) अलग—अलग प्रदेशों में फंसे लोगों को अपने प्रदेश भेजने का अज आदेश बना तों सबसे बड़ा फैसला था कि सभी को एक साथ अपने अपने प्रदेश कैसे बहुचांया जाएं। ऐसे में रेलवे एक मात्र तरीका था कि सभी श्रमिको को एक ही बार में प्रदेश पहुचाया जाएं। यह परायस सफल भी रहा पर श्रमिकों से रूपये लिये जाने के बाद अब इस पर राजनीतिक घमा शान हो रहा है।

क्योंकि सभी से कहां ​गया था कि किसी से किसी भी प्रकार का भुगतान न​हीं किया जाएंगा और इसके बवाजूद रूपयें लिेये गए। कही न कही विपक्षि दल यह भी सवाल उठा रहा है कि विदेश से जब लोगों को लाया गया था पर किसी से किसी प्रकार की रकम नहीं ली गई थी तों अब क्यों ली जा रही है। कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान में विभिन्न प्रदेशों में फंसे उत्तर प्रदेश के श्रमिक-कामगार को घर वापसी में रेलवे टिकट का धन लेने के सियासी संग्राम में अब बसपा की मुखिया मायावती भी कूद पड़ी हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बाद बसपा मुखिया मायावती ने भी प्रवासी कामगारों के रेल टिकट का खर्च उठाने का प्रस्ताव दिया है।

बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने इसको लेकर मंगलवार को दो ट्वीट भी किया है। मायावती ने कहा कि लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों की अपने राज्य में वापसी बेहद जरूरी है। स्पेशल ट्रेन से आने वाले मजदूरों को अगर सरकार किराया देने में जरा भी आनाकानी करती है तो ऐसी स्थिति में बसपा आगे आएगी। मायावती ने कहा कि यदि सरकारें प्रवासी मजदूरों का किराया देने में आनाकानी करती है तो फिर बीएसपी अपने सामर्थवान लोगों से मदद लेकर, उनके भेजने की व्यवस्था करने में अपना थोड़ा योगदान जरूर करेगी। उन्होंने कहा कि यह अति-दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्र व राज्य सरकारें प्रवासी मजदूरों को ट्रेनों व बसों आदि से भेजने के लिए, उनसे किराया भी वसूल रही हैं। सभी सरकारें यह स्पष्ट करें कि वह उन्हेंं भेजने के लिए किराया नहीं दे पायेंगी। इसके बाद का काम बसपा कर सकती है।

इससे पहले मायावती ने एक मई मजदूर दिवस पर कहा था कि देश में लॉकडाउन के कारण श्रमिकों की रोजी-रोटी पर गहरा संकट छाया हुआ है। उन्होंने कहा कि ऐसे में केन्द्र और राज्यों की कल्याणकारी सरकार के रूप में भूमिका बहुत ही जरूरी है। मायावती ने एक ट्वीट में कहा कि मजदूर तथा मेहनतकश वर्ग अन्तरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस को मई दिवस के रूप में हर वर्ष धूमधाम से मनाते हैं। वर्तमान कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन के कारण उनकी रोजी-रोटी पर अभूतपूर्व गहरा संकट छाया हुआ है। ऐसे में केन्द्र तथा राज्यों की कल्याणकारी सरकार के रूप में भूमिका बहुत ही जरूरी है।