तालिबानी हिंसा में पाकिस्तानी सेना शामिल:तालिबानियों के कब्जे से कई गांव वापस लिए

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(www.arya-tv.com)अफगानिस्तान नेशनल डिफेंस सिक्योरिटी फोर्सेज ने अमेरिका की मदद से तालिबानियों के कब्जे वाले कई गांव खाली करा लिए हैं। फोर्सेज के एक्शन के बाद ये साफ हो गया है कि तालिबानियों की हिंसा में पाकिस्तानी लड़ाके भी बराबरी से शामिल हैं। मुठभेड़ के दौरान ऐसे कई ऐसे लड़ाकों को अफगानी फोर्सेज ने मार गिराया है, जो पाकिस्तानी सेना में अफसर हैं। इनके पास से पाकिस्तानी आईकार्ड भी मिले हैं।

20 इलाकों में तालिबान बैकफुट पर

  • हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय मदद और अमेरिकी एयर स्ट्राइक की बदौलत अफगानी फोर्सेज ने राजमार्गों के करीब के गांवों को तालिबानी कब्जे से छुड़ा लिया है। हेरात में भारतीय मदद से बने सलमा डैम पर हुए एक हमले को भी नाकाम किया है।
  • मुठभेड़ के दौरान कई तालिबानी फाइटर्स मारे गए हैं। कई ऐसे भी लड़ाके हैं, जिनके पास से पाकिस्तानी आईकार्ड मिले हैं। इनमें पाकिस्तान सेना का एक अफसर भी है। ये इस बात का इशारा है कि तालिबानी हिंसा और उसके पैर जमाने में पाकिस्तान भी पूरी तरह शामिल है।
  • अफगानी फोर्सेज ने बताया कि इंटेलिजेंस एजेंसी के अफसरों ने पाकिस्तानी सेना के अफसर जावेद को मारा है। जावेद लोगार, पकीता और पकतिया में तालिबानियों को लीड कर रहा था।
  • अफगानिस्तान के गजनी, तकहार, कंधार, हेलमैंड और बघलान समेत 20 प्रांतों में अफगानिस्तानी फोर्सेज ने तालिबानियों को पीछे धकेल दिया है। यहां दोनों तरफ से भारी जंग छिड़ी हुई है।
  • फोर्सेज ने मयमाना-अकीना, हैरातन-काबुल-तोरखाम, स्पिन बोल्डक-कंधार सिटी-लश्करगा और इस्लाम कला-हेरात हाईवे को सिक्योर कर लिया है, ताकि मूवमेंट में कोई दिक्कत ना आए। मजार-ए-शरीफ, जलालाबाद, कंधार सिटी, हेरात समेत कई शहरों में सिक्योरिटी बढ़ा दी गई है।
  • अफगानिस्तान में मौजूद अमेरिकी सेनाएं अभी अफगानी फोर्सेज की मदद कर रही हैं। कई एयर स्ट्राइक भी की गई हैं। इनमें सबसे ज्यादा 81 तालिबानी शिबरगान में मारे गए हैं।

तालिबानियों के खिलाफ फतवा जारी
लोकल लीडर्स ने लोगों से तालिबान के खिलाफ हथियार उठाने की अपील की है। दैकुंडी के शिया मौलवी अयातुल्लाह वहीजादा ने फतवा जारी किया है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे जंग में उतरें। उधर, तालिबानी प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि इस एयर स्ट्राइक के नतीजे भुगतने होंगे।इमरान ने तालिबानियों को बताया था शरणार्थी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि तालिबान कोई सैन्य संगठन नहीं हैं, बल्कि वे आम नागरिक हैं। पाकिस्तान की सीमा पर 30 लाख ऐसे रिफ्यूजी हैं। बॉर्डर पर कैंप लगे हैं। कहीं इनमें एक लाख लोग हैं और कहीं 5 लाख। इनमें सिविलियंस भी हैं। ऐसे में कोई देश इन पर कार्रवाई कैसे कर सकता है? आप इन कैंपों को पनाहगाह कैसे कह सकते हैं? इमरान ने कहा कि बॉर्डर पर जो शरणार्थी हैं, उनमें ज्यादातर पश्तून हैं यानी तालिबानियों जैसा लड़ाका समुदाय।