विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना बीमारी से बचाव के लिए लिवर मजबूत होना आवश्यक

Lucknow

लखनऊ (www.arya-tv.com) कोविड वैक्सीनेशन के बाद मजबूत लिवर वालों में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी तेजी से बनती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार किसी भी बीमारी से बचाव के लिए जब व्यक्ति को कोई वैक्सीन लगाई जाती है तो शरीर में रोग के खिलाफ एंटीबॉडी बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। अक्सर यह देखा गया है कि मजबूत लिवर वाले लोगों में एंटीबॉडी फॉर्मेशन काफी तेज होता है।

जिन लोगों के लिवर कमजोर होते हैं, उनमें एंटीबॉडी बनने की प्रक्रिया अपेक्षाकृत काफी मंद होती है। अगर किसी का लिवर फंक्शन टेस्ट (एलएफटी) परफेक्ट है तो इसका मतलब है कि उस व्यक्ति में वैक्सीन के बाद एंटीबॉडी तेजी से बनेगी।

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल में कोरोना के नोडल प्रभारी डॉ. एनबी सि‍ंह कहते हैं कि वैक्सीन के जरिए एक तरह से शरीर में एंटीजन को प्रवेश कराया जाता है। इसके बाद हमारे शरीर की इम्युनिटी उस एंटीजन से जंग करती है। फिर उस बीमारी के खिलाफ एंटीबॉडी बन जाती है। ऐसे में संबंधित वायरस या बैक्टीरिया का असर शरीर पर नहीं हो पाता या आंशिक रूप से होता है।

उन्होंने बताया कि एंटीबॉडी बनने की पूरी प्रक्रिया लिवर से ही शुरू होती है। वैक्सीन लगाने के बाद इम्युनिटी कमजोर नहीं पड़ती। जिनकी इम्युनिटी पहले से कमजोर है, सिर्फ उनमें यह आशंका रहती है। इसीलिए पहले से बेहद कमजोर इम्युनिटी वालों को वैक्सीन नहीं लगाई जा रही।

कोवैक्सीन की दूसरी डोज के बाद 81 फीसद प्रतिरोधक क्षमता : डॉ. एनबी सि‍ंह के अनुसार अब तक के शोध में यह पाया गया है कि कोवैक्सीन की दूसरी डोज 28वें दिन लेने के 14 दिन बाद करीब 81 फीसद रोग एंटीबॉडी बन जाती है। वहीं कोविशील्ड की दूसरी डोज 28वें दिन लेने के बाद 69 फीसद तक रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा होती है।

अगर दूसरी डोज 60 से 90 दिन बाद ली जाए तो 91 फीसद तक यह क्षमता बढ़ जाती है। लंदन में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में ट्रायल के बाद यह बात साबित की जा चुकी है। इसीलिए कोविशील्ड की दूसरी डोज अब छह से आठ हफ्ते में दी जा रही है।