प्राचीन भारतीय गौरव को समर्पित एक परमाणु वैज्ञानिक और कवि

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(www.arya-tv.com)लखनऊ शहर में जन्में, लखनऊ विश्वविद्यालय से बीएससी, एचबीटीआई कानपुर से बीटेक और एमटेक करने के पश्चात विश्व की अग्रणी परमाणु संस्था भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई में अपनी 35 वर्षों की सेवा देने के पश्चात सेवानिवृत्त होकर अपने जीवन का एकमात्र लक्ष्य प्राचीन भारतीय गौरव को ज्ञान और विज्ञान को आधुनिक विज्ञान के द्वारा पूरे विश्व में पहुंचाने का संकल्प लिए हुए नवी मुंबई निवासी प्रसिद्ध कवि लेखक और वैज्ञानिक विपुल सेन उर्फ विपुल लखनवी आजकल सनातनपुत्र देवीदास विपुल के नाम से चर्चित, जिनके द्वारा निर्मित ग्रामीण आदि रिसर्च एंड वैदिक इन्नोवेशन ट्रस्ट यानी गर्वित की क्या योजनाएं हैं इस विषय में पत्रकार डा. अजय शुक्ला ने एक बेबाक साक्षात्कार लिया। प्रस्तुत है उस साक्षात्कार के कुछ प्रश्न!

डॉ.अजय शुक्ला : सर आपने यह ट्रस्ट क्यों बनाया?
डॉ.विपुल सेन : मैं बचपन से जिज्ञासु हूं और शोध से जुड़ा रहा हूं और मुझे सनातन भारतीय संस्कृति से जुड़े हुए लगभग 50 वर्ष हो गए। मैं छात्रावस्था से बहुत कुछ बातों को जानना चाहता था इस कारण अपनी व्यक्तिगत शोध करता रहा लेकिन सरकारी नौकरी होने के कारण बहुत बंधन हो जाते हैं इसलिए इसको बिना किसी से चर्चा किए व्यक्तिगत रूप से करता रहा। अब मुझे सेवानिवृत्त हुए लगभग 3 वर्ष होने आ रहे हैं। अब मैं अपनी ट्रस्ट के माध्यम से सनातन की गहराई को और हिंदुत्व की ऊंचाई को आधुनिक विज्ञान और प्रयोग के माध्यम से पूरे विश्व में फैलाना चाहता हूं जिससे मेरा भारत एक बार फिर से विश्व गुरु बन जाए। यही मेरे जीवन का अब एकमात्र लक्ष्य और उद्देश्य है। व्यक्तिगत स्तर पर मैं बहुत चैरिटी करता रहा किंतु मित्रों ने सुझाव दिया आप अकेले कुछ नहीं कर सकते क्योंकि आपके उद्देश्य बड़े हैं और संसाधन छोटे हैं इसलिए आप एक ट्रस्ट का निर्माण करें और मित्रों के सहयोग से यह ट्रस्ट जून 2022 में रजिस्टर्ड हो गया इसको आयकर की धारा 12 A और 80G का लाभ भी प्राप्त हो गया।

डॉ.अजय शुक्ला : कुछ कार्यों पर समझाते हुए प्रकाश डालें।
डॉ.विपुल सेन : मेरी ट्रस्ट में जनकल्याण के पर्यावरण संरक्षण और गोपालन सहित चैरिटी के सभी आयाम खुले हुए हैं। इसके अंतर्गत मैंने नवी मुंबई कोपरखैरने में लगभग 7 माह तक हफ्ते में 3 दिन भोजन बांटा। जो तकनीकी कारणों से अभी रुका हुआ है। दो सनातन लाइब्रेरी की स्थापना की। 80% से ऊपर अंक लाने वाली कन्याओं की सहायता की। शर्ट के पीस और कंबल बांटे। पर्यावरण से प्रेम होने के कारण ग्राम भवानीपुर जो प्रयागराज में आता है वहां पर बिना भ्रमण किए हुए 500 वृक्षों का वृक्षारोपण किसी के माध्यम से करा चुका हूं। इन में आम पीपल बरगद नीम आदि शामिल है। इसी भांति मेरा जो निवास स्थान है यहां पर बिल्कुल भी कचरा नहीं निकलता है क्योंकि मेरे पास करीबन 200 गमले हैं। घर के जो गीला कचरा है यानी बायोडिग्रेडेबल भाजी इत्यादि है उन के छिलके से खाद बनाता हूं केवल जो कुछ थोड़ा बहुत पेपर निकलता है वही मैं कचरा इकट्ठा करने वाले को देता हूं और वह भी सूखा देता हूं जिससे वह उसको बेच सके और वह पेपर री साइकिल हो सके। मेरे घर में हर उस व्यक्ति का स्वागत है जो बरसात के पानी को इकट्ठा करना चाहता है मैंने कई हजार खर्च करके अपने घर में बरसात के पानी को इकट्ठा करने की योजना को कार्यान्वित किया है जो मैंने 5 साल पहले किया था इस क्षेत्र में पहला है। इस कारण मैं सोसाइटी का पूरी बरसात में 2 लाख लीटर पानी बचा देता हूं हलांकि इससे मुझे कोई फायदा नहीं क्योंकि पानी का बिल तो सबको बराबर देना पड़ता है लेकिन फिर भी यह समाज के लिए है पर्यावरण के लिए है इस कारण मैंने इसको किया। कई डिग्री कॉलेज में कई विश्वविद्यालय और विभिन्न संस्थानों क्लब इत्यादि में एक सौ से अधिक व्याख्यान पर्यावरण के ऊपर दिए हैं। लोग छोटी सी जगह में भी वे क्या कर सकते हैं इस पर भी सुझाव दिए हैं। कुछ वर्ष पूर्व मैंने इसको बच्चों की शिक्षा से जोड़ने हेतु केंद्र सरकार को लिखा था लेकिन वह नक्कारखाने में तूती की आवाज साबित हुई। मैं आपको एक तालिका दे रहा हूं उससे आप कार्य को समझें और जैसा प्रश्न होगा मैं उत्तर दे दूंगा।

  • गर्वित जन कल्याण सेवा योजना

– सौभाग्य छात्रवृत्ति सीमित रूप में चालू
– अन्नपूर्णा भोजन वितरण नियमित रूप से चालू
– वृद्ध सम्मान निवास योजना धन अभाव। भविष्य योजना
– निर्धन कन्या / युवक विवाह योजना धन अभाव। भविष्य योजना
– आदिवासी ज्ञान अनुसंधान भविष्य योजना

  •  गर्वित भारत अनुसंधान केंद्र की स्थापना

-अंतर्गत वैज्ञानिक ध्यान केन्द्रों की स्थापना
-प्रथम प्रधान कार्यालय में दूसरा अमलनेर, जलगाँव, महाराष्ट्र
– नास्तिकों को विनम्र चुनौती के साथ दर्शन/दिव्य अनुभूति
– मस्तिष्क वृद्धि प्रौद्योगिकी
– मस्तिष्क संवर्धन तकनीक छात्रों हेतु
– नव दंपति हेतु उत्तम संतान प्राप्त तकनीक
-मुद्रा ध्यान द्वारा निरोग से योग
– कॉस्मिक कोडिंग अनलॉकिंग
– दश महाविद्या सीमित शिक्षा

  •  गर्वित संस्कृति और विरासत

– गर्वित संस्कृति लेखन और शिक्षण जोर शोर से चालू
– सनातन ट्रेकर्स सीमित रूप में चालू
– गुरुकुल बचाओ। गुरुकुल बनाओ। धन अभाव। भविष्य योजना
– संस्कृत पढ़ो। भारत गढ़ो

  •  गर्वित पर्यावरण योजनाएं

-मिट्टी से प्यार करो जोर शोर से चालू

  •  गर्वित सांस्कृतिक शिक्षण

– योगेन्द्र सनातन पुस्तकालय एक की स्थापन
– संस्कृत शिक्षण
– संस्कृत प्रतियोगिता

  •  गो सेवा प्रकल्प

– गो आहार सीमित रूप में चालू
– गोपालन और आधुनिक विज्ञान सीमित रूप में चालू
– गोपालन से पर्यावरण संरक्षण सीमित रूप में चालू

डॉ.अजय शुक्ला : आपने लिखा है। “नास्तिकों को विनम्र चुनौती के साथ दर्शन/दिव्य अनुभूति”। इसको विस्तार से बताएं।
डॉ.विपुल सेन  : आप पहले मेरा एक पत्र पढ़े जो मैंने श्याम मानव को व्हाट्सएप किया था।

“नास्तिकों तुम सनातन की शक्ति नहीं जानते!

मैं सनातनपुत्र देवीदास विपुल पूरे होशो हवास के साथ नास्तिकों के प्रमुख श्याम मानव सहित विश्व के सभी नास्तिकों को चुनौती देता हूं। बिना समय दिए तुम जगत का कोई काम नहीं कर सकते हो तो बस मुझको कुछ समय दो, मुझसे मिलने की कोई आवश्यकता नहीं न ही बात करने की आवश्यकता है जो मैं कहता हूं वह अपने घर पर कुछ दिनों के लिए करो तुमको सनातन की शक्ति का एहसास हो जाएगा। किसी धार्मिक व्यक्ति के लिए एक दिन और बगदादी जैसे पापी के लिए 6 महीने बहुत है। तुम को केवल 40 मिनट रात्रि 10:00 बजे के बाद मेरे कथन अनुसार घर पर प्रयोग करना होगा। यह चुनौती पूरे होशो हवास के साथ दी जा रही है। यदि कोई सोचता है कि यह चमत्कार है तो वह मूर्ख है। जिसके पास राम नाम का धन है उसको तुम 3 करोड़ भी दोगे तो भी वह तुम्हारी चुनौती स्वीकार कर तुम्हारे पास धन के लिए नहीं आएगा। जिसको प्रभु कृपा का धन प्राप्त हो गया जो दूसरों को धनिक बना सकता है उसको श्याम मानव ऐसे चींटी तुल्य मानव क्या धन देंगे।? यदि तुम ईमानदार नास्तिक हो पागल नहीं अथवा पूर्वाग्रहित होकर झूठ बोलने वाले नहीं तो तुमको अनुभव होकर रहेगा। यदि तुमको स्वीकार है तो मुझसे 9969680093 और व्हाट्सएप द्वारा संपर्क करो। मिलने की भी आवश्यकता नहीं। सनातन इस ब्रह्मांड की शक्ति है किसी के घर की संपत्ति नहीं।”

मेरा एक ब्लॉग है जिसकी द्रश्यता दो लाख के लगभग है। “freedhyan.blogspot.com” इस पर सचल मन वैज्ञानिक ध्यान विधि के माध्यम से अनेकों को दिव्य दर्शन के अनुभूतियां हो चुकी है। कुछ फीडबैक भी मुझे मिले हैं जो आश्चर्यजनक है। मेरा तो मानना है कलयुग में ईश्वर आपके दरवाजे पर खड़ा है कॉल बेल बजा रहा है लेकिन आप किवाड़ा नहीं खोल रहे हैं।

डॉ.अजय शुक्ला : आप पर्यावरण के सुझाव पर और प्रकाश डालेंगे।
डॉ.विपुल सेन : आपने देखा होगा जो पुराने सरकारी विश्वविद्यालय होते हैं कॉलेज होते हैं उनके पास बहुत सारी जमीन होती है जो बेकार पर ही रहती है और फिर बाद में उन पर अवैध कब्जे हो जाते हैं और कानूनी समस्या पैदा होती है मैंने मदन मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर यू पी में वहां के प्रथम कुलपति डॉ ओंकार सिंह के आमंत्रण पर एक व्याख्यान में यह सुझाव दिया था और उन्होंने लागू भी किया। जितने भी डिग्री कॉलेज या विश्वविद्यालय हैं यह बच्चों के लिए 100 नंबर की एक सोशल एक्टिविटी रखें हर बच्चे को या किसी ग्रुप को अपनी जो भूमि सीमा है उसके बॉर्डर पर कुछ जमीन अलाट कर दे वहां पर बच्चों का नाम लगा दे और बच्चों से बोले वहां पर वह कुछ कार्य करके दिखाएं जैसे कि सोलर पावर भाजी फूल इत्यादि के वृक्ष यहां तक कि कोई अखाड़ा कुश्ती हो सके या उस क्षेत्र में पशुपालन की जा सके या किसी जीव के रहने का निवास बनाए जा सके यह सब बच्चों को करने का छूट होना चाहिए। साल के अंत में आप नंबर दे दे। इसके द्वारा आप बच्चों में मिट्टी के प्रति प्रेम पैदा कर सकेंगे। मैंने देखा है जो धनिक वर्ग है उनके घरों में माता-पिता बच्चों को बोलते हैं मिट्टी मत छुओ गंदी है और इस कारण बच्चे मिट्टी से घृणा करते हैं आपने देखा होगा इसीलिए मैंने मिट्टी लगे हाथ बच्चों के लिए एक प्रतियोगिता रखी और हर प्रतियोगी को एक प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा और इनाम भी दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त इको गणपति, छुईमुई का पेड़ इत्यादि प्रतियोगिताएं की है। क्या है ऐ.सी. में रहने वाला बच्चा पैसे के बल पर ऐसी इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लेगा बाद में अपने पिता के कक्ष में बैठकर अपनी फैक्ट्री देखेगा उसकी प्लैनिंग देखेगा और क्योंकि उसको मिट्टी से पर्यावरण से प्रेम है ही नहीं उसको बचपन से नफरत सिखाई गई इस कारण वह अपनी फैक्ट्री के लिए किसी भी जमीन पर पेड़ों को काटने में गड्ढों को पाटने में पोखर को पाटने में कुंवे को पाटने में और पर्यावरण को नष्ट करने में तनिक भी चिंता नहीं करेगा और यही हो रहा है। इसको हमें दूर करना है।

डॉ.अजय शुक्ला : सर अभी जो छोटे-छोटे स्कूल है जिनके पास जगह का अभाव है मुंबई जैसे शहर में, वह किस तरह बच्चों को पर्यावरण की ओर प्रेरित कर सकते हैं।
डॉ.विपुल सेन : वह अपने स्कूल में गमले रख सकते हैं और बच्चों को यह बच्चों के ग्रुप को गमले एलाट कर दें और उनसे बोले कि इसमें फूल लगाओ इसमें तुमको नंबर दिए जाएंगे तो बच्चे उन गमले को देखभाल करेंगे इससे उनके स्कूल की सुंदरता भी बढ़ेगी और बच्चों को मिट्टी से कोई भी नफरत नहीं होगी उनको समय के साथ पेड़ों से प्रेम पैदा होगा पौधों से प्रेम पैदा होगा और वह पर्यावरण को समझने लगेंगे इस कारण पर्यावरण बचाव की ओर आगे बढ़ जाएंगे।
यही योजना मैंने भारत सरकार को भेजी थी 5 साल पहले लेकिन अंधेर नगरी चौपट राजा कोई सुनने वाला ही नहीं मैंने शिक्षा मंत्री को ईमेल किया था मैंने और को ईमेल किया था लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया क्योंकि हर जगह केवल और केवल जुगाड़ ही चलती है और जुगाड़ की योजना को अंजाम दिया जाता है चाहे कोई भी सरकार क्यों न हो।

डॉ.अजय शुक्ला : आप शोध केंद्र की बात कर रहे थे वह क्या है?
डॉ.विपुल सेन : जी गर्वित भारत अनुसंधान केंद्र इसकी स्थापना हो चुकी है। अन्य केंद्र अमलनेर, जलगांव, महाराष्ट्र में दत्त जयंती को आरम्भ हो चुका है। इसमें पहला बिंदु है कि मनुष्य को अपने घर पर बिना किसी को गुरु बनाएं ईश्वर की कृपा से मेरे द्वारा निर्मित ध्यान की विधि द्वारा सनातन की शक्तियों का अनुभव होता है। जो ऊपर बता चुका हूं। मेरे पास लोगों के अनुभववाली लंबी लिस्ट है । यह विधि सभी धर्मों के लिए सभी जातियों के लिए लाभकारी है। इसके अतिरिक्त इन केंद्रों में हमारी आने वाली जो युवा पीढ़ी है गर्भावस्था से लेकर बड़े होने तक उनके माइंड को बढ़ाने के लिए उनकी बुद्धि क्षमता बढ़ाने के लिए माइंड बूस्ट टेक्निक इस पर भी काम आरंभ हो गया मैंने क्लिप डाल दिए लोगों के पूछने पर लेकिन वह अधूरे हैं क्योंकि 1 घंटे का कोर्स 10 मिनट पर नहीं हो सकता। वर्तमान में लोगों ने केवल अष्टांग योग का नाम सुना है क्योंकि इसका बहुत प्रचार किया। योगमार्ग तो षष्टांग और सप्तांग भी होता है। जहां मुद्रायोग की बात की है ध्यान मुद्रा। इसके द्वारा भी हम निरोगी हो सकते हैं योगी हो सकते हैं। इस पर भी सफलता मिली है और काम चालू हो गया है बस एक आकार देना है। इसके अतिरिक्त सनातन में कुछ ऐसी है ध्वनि तकनीकियां है जिनको यदि हम किसी अवसाद ग्रस्त व्यक्ति को सुनाते हैं तो उसका स्वास्थ्य ठीक हो सकता है और यहां तक कि शरीर के कुछ रोग भी ठीक हो सकते हैं। इस पर भी काम चल रहा है। इसके अतिरिक्त ग्रामीण भारत में बहुत ज्ञान है जो अंग्रेजी शिक्षा के कारण नष्ट हो गया उसको पुनर्जीवित करना है उस पर शोध करना है यह भी प्रोजेक्ट है। इसके अतिरिक्त ज्योतिष शास्त्र भी एक सिद्ध किया हुआ विज्ञान है लेकिन दुकानदारी के कारण यह विद्या मृत्य हो रही है इसको आईआईटी जैसे संस्थानों के इंजीनियरों के सहयोग से और विज्ञान के माध्यम से लोगों को समझाना है। प्रेरित करना है। हमारे सनातन में सबसे महत्वपूर्ण दशविद्या होती है उसमें भी विद्या में श्री महाविद्या और सूर्य महाविद्या सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। मेरे पास बगलामुखी विद्या और श्री महाविद्या के संत हैं लेकिन सूर्य विद्या के अभी तक एक ही संत मिले हैं उन संतो के माध्यम से इन विद्याओं का प्रचार करना है। ध्यान में जो युवा अच्छे व्यवहार का और मेधावी होगा उसको मैं अपनी तरफ से इन विद्याओं में पारंगत करने का एक तरीके से आश्वासन देता हूं।
कुल मिलाकर वह सभी कार्य जो कानून के दायरे में हो और जिनसे भारत का गौरव फिर से स्थापित हो वह करने की योजना है।

डॉ.अजय शुक्ला : विपुल जी आपका बहुत-बहुत आभार मेरे साक्षात्कार के समय निकालने के लिए मैं आपके साथ हर तरीके से जुड़ा रहूंगा यह मैं आपको आश्वासन देता हूं। धन्यवाद
डॉ.विपुल सेन : धन्यवाद आपको भी जो आपने समय निकाला। नमस्कार।