मुस्लिम बहुल इलाके धौज में 76 एकड़ क्षेत्र में बसी अल-फलाह यूनिवर्सिटी अचानक वैश्विक स्तर पर सुर्खियों में छा गई है। लगातार सामने आ रहे तीन डॉक्टरों के आतंकी कारनामों के खुलासे और मंगलवार को सात डॉक्टरों समेत 13 व्यक्तियों को गिरफ्तार करने के बाद यह संस्थान अब संदिग्ध गतिविधियों का केंद्र बनता दिख रहा है।
यह सच है कि पहले कभी इस यूनिवर्सिटी का नाम किसी राष्ट्र-विरोधी साजिश से नहीं जुड़ा, लेकिन पिछले एक साल से ज्यादा समय तक यहां सेवा दे रहे तीन चिकित्सकों—जिनमें एक महिला भी शामिल है—के गुप्त आतंकी योजनाओं में लिप्त होने का पर्दाफाश होना चिंताजनक है। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि यूनिवर्सिटी प्रबंधन को इनकी गतिविधियों की हवा तक क्यों नहीं लगी? यदि प्रबंधकों को संदेह था, तो फिर समय पर कदम क्यों नहीं उठाया गया?
तीन साल पहले आया था डॉ. मुज्जमिल, जो हाल ही में पकड़ा गया
हाल ही में 12 दिन पहले गिरफ्तार डॉ. मुज्जमिल यहां तीन साल से ज्यादा समय से काम कर रहे थे। यूनिवर्सिटी के एक अस्पताल कर्मचारी ने बताया कि डॉ. शाहीन करीब दो साल पहले यहां जुड़ीं। पुलिस के अनुसार, डॉ. शाहीन पहले कानपुर के गणेश शंकर विद्यापीठ मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर थीं।
