क्या अल-फलाह यूनिवर्सिटी बन चुकी है आतंकवादियों का गढ़? दिल्ली ब्लास्ट का आरोपियों का कनेक्शन

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मुस्लिम बहुल इलाके धौज में 76 एकड़ क्षेत्र में बसी अल-फलाह यूनिवर्सिटी अचानक वैश्विक स्तर पर सुर्खियों में छा गई है। लगातार सामने आ रहे तीन डॉक्टरों के आतंकी कारनामों के खुलासे और मंगलवार को सात डॉक्टरों समेत 13 व्यक्तियों को गिरफ्तार करने के बाद यह संस्थान अब संदिग्ध गतिविधियों का केंद्र बनता दिख रहा है।

यह सच है कि पहले कभी इस यूनिवर्सिटी का नाम किसी राष्ट्र-विरोधी साजिश से नहीं जुड़ा, लेकिन पिछले एक साल से ज्यादा समय तक यहां सेवा दे रहे तीन चिकित्सकों—जिनमें एक महिला भी शामिल है—के गुप्त आतंकी योजनाओं में लिप्त होने का पर्दाफाश होना चिंताजनक है। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि यूनिवर्सिटी प्रबंधन को इनकी गतिविधियों की हवा तक क्यों नहीं लगी? यदि प्रबंधकों को संदेह था, तो फिर समय पर कदम क्यों नहीं उठाया गया?

तीन साल पहले आया था डॉ. मुज्जमिल, जो हाल ही में पकड़ा गया

हाल ही में 12 दिन पहले गिरफ्तार डॉ. मुज्जमिल यहां तीन साल से ज्यादा समय से काम कर रहे थे। यूनिवर्सिटी के एक अस्पताल कर्मचारी ने बताया कि डॉ. शाहीन करीब दो साल पहले यहां जुड़ीं। पुलिस के अनुसार, डॉ. शाहीन पहले कानपुर के गणेश शंकर विद्यापीठ मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर थीं।

2013 में वे अचानक लापता हो गईं और 2021 में कॉलेज ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया। लापता होने का मुख्य कारण संभवतः आतंकी संगठनों से जुड़ाव था, जिसके बाद वे अल-फलाह में नौकरी पा गईं। प्रशासन पर यह गंभीर आरोप है कि बिना पृष्ठभूमि जांच के उन्होंने डॉ. शाहीन को कैसे भर्ती किया? ठीक इसी तरह, दिल्ली में बम विस्फोट को अंजाम देकर मारे गए डॉ. उमर भी इसी यूनिवर्सिटी में लेक्चर देते थे।

सात डॉक्टरों समेत 13 संदिग्धों को हिरासत में लिया

इन घटनाओं के अलावा, फरीदाबाद व दिल्ली पुलिस ने सोमवार को यूनिवर्सिटी में छापेमारी के दौरान सात चिकित्सकों सहित 13 लोगों को हिरासत में ले लिया। इनमें कुछ के व्हाट्सएप कॉल रिकॉर्ड डिलीट पाए गए, जिससे सभी जांच के दायरे में आ गए हैं।

इससे साफ होता है कि संस्थान में आतंकी साजिशें पनप रही थीं, लेकिन न तो प्रबंधन को और न ही स्थानीय पुलिस को इसका अंदाजा था।

यूनिवर्सिटी का संक्षिप्त इतिहास

मुस्लिम बहुल गांव धौज में 2006 में अल-फलाह मेडिकल कॉलेज के रूप में शुरू हुई यह संस्था 2015 में यूजीसी से यूनिवर्सिटी का दर्जा पाई। अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित यह परिसर 76 एकड़ में फैला है। यहां अल-फलाह स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर के तहत 650 बेड वाला चैरिटेबल अस्पताल भी संचालित होता है।

वीसी और मेडिकल अधीक्षक ने तोड़ी चुप्पी नहीं

यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर भूपेंद्र कौर हैं, जबकि मेडिकल अधीक्षक डॉ. जमील हैं। मुख्य गेट से वीसी से मिलने का संदेश भेजा गया, लेकिन सिक्योरिटी स्टाफ ने प्रवेश रोका। फोन पर भी संपर्क नहीं हो सका। डॉ. जमील का मोबाइल स्विच ऑफ पाया गया।