नक्सल क्षेत्रों में 4 साल से नही हुई यूनिफाइड कमांड की बैठक, केन्द्र ​की निर्देश को किया दरकिनार

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(www.arya-tv.com) केंद्रीय गृह मंत्रालय की सलाह है कि हर तीन माह पर यूनिफाइड कमांड की बैठक करें। इसके बावजूद झारखंड में राज्यस्तरीय यूनिफाइड कमांड की बैठक नहीं हाे पा रही है। राज्य में नक्सलियों पर नकेल कसने और सुरक्षा व विकास कार्यों के बीच समन्वय बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार के निर्देश पर बनाए गए यूनिफाइड कमांड की पिछले करीब चार साल से बैठक ही नहीं हो रही है।

आखिरी बैठक जून 2017 में हुई थी। यूनिफाइड कमांड की बैठक इसलिए जरूरी है, ताकि राज्य के पुलिस प्रशासन की ओर से नक्सलियों के विरुद्ध रणनीतिक निगरानी लगातार चलती रहे। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से हर तीन माह में बैठक करने के साथ ही यह भी सलाह दी गई थी कि बैठक की जानकारी से केंद्र काे भी अवगत कराया जाए।

राज्य में जून 2017 में हुई थी यूनिफाइड कमांड की अंतिम बैठक
उग्रवाद प्रभावित इलाकों में सुरक्षा व विकास पर मंडरा रहे खतरे को देखते हुए केंद्रीय कैबिनेट ने साल 2010 में यूनिफाइड कमांड के गठन का निर्णय लिया था। राज्य में 2011 में यूनिफाइड कमांड की पहली बैठक हुई थी। उस बैठक के बाद साल 2012 में इसकी दूसरी बैठक हुई। इसी तरह लगातर लगभग हर साल बैठक होती रही। अंतिम बैठक जून 2017 में हुई। छह माह पूर्व केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर कहा था कि वह तीन-तीन माह के अंतराल पर बैठक कर इसकी जानकारी से अवगत कराए। विकास कार्य जल्द हाेने पर नक्सल समस्या भी उसी हिसाब से काबू में आएगी।

नक्सल क्षेत्र में विकास के कार्य न रुकें, इसलिए पड़ी यूनिफाइड कमांड की जरूरत
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नक्सलियों की वजह से सुरक्षा में लगातार परेशानी आ रही थी। इसका सबसे ज्यादा असर उन क्षेत्रों में विकास कार्यों पर पड़ रहा था। ऐसे में नक्सलियों पर अंकुश लगाने और क्षेत्र में विकास कार्य पहुंचाने के लिए यूनिफाइड कमांड के गठन की जरूरत महसूस की गई। केंद्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता में साल 2019 में दिल्ली में उग्रवाद प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई गई थी। जिसमें यूनिफाइड कमांड पर भी विशेष चर्चा हुई थी। उस समय भी सभी राज्यों को यूनिफाइड कमांड की बैठक लगातार करने का सुझाव दिया गया था, लेकिन इस पर झारखंड में अमल नहीं हो पाया।