40 बार से ज्यादा फेल हुए रूस और अमेरिका, तब जाकर छू पाए चांद

International

शनिवार तड़के उस समय सांस रुक गई जब जब लैंडर विक्रम से चंद्रमा के सतह से महज दो किलोमीटर पहले इसरो का संपर्क टूट गया. भारत के चंद्रयान-2 मिशन चांद की सतह छूने से चूक गया. लेकिन वैज्ञानिकों का हौसला नहीं डगमगाया. प्रधानमंत्री मोदी ने इसरो के वैज्ञानिक का हौसला बढ़ाते हुए कहा- “विज्ञान में विफलता होती नहीं है. प्रयोग और प्रयास रहते हैं बस”. आइए जानते हैं कौन- कौन से देश कितने प्रयास में चंद्रमा की सतह पर उतरे हैं और कितनी बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा.सबसे पहले आपको बतादें, अगर चंद्रयान 2 चांद की सतह पर उतरता तो वह ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाता. दुनिया के सिर्फ 3 और देशों को ही ये सफलता मिली है.

इजरायल का मिशन मून हुआ फेल
5 महीने पहले अप्रैल में इजरायल का चंद्र अंतरिक्ष यान बेरेशीट चांद पर लैंडिग का प्रयास करते हुए इंजन खराब होने के कारण उसका पृथ्वी से संपर्क कट गया और वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. चन्द्रमा पर उतरने के अंतिम चरण में अंतरिक्ष यान का संपर्क पृथ्वी पर स्थित नियंत्रण कक्ष से टूट गया. उसके कुछ ही देर बाद इजरायल ने मिशन को असफल घोषित कर दिया गया था. 22 फरवरी 2019 को इजराइल ने अपना चंद्र अंतरिक्ष यान लॉन्च किया था.

चंद्रमा पर कुल 110 मिशन
अब तक चंद्रमा पर कुल 109 मिशन हो चुके हैं. जिसमें से 41 असफल हुए हैं. अब मिशन की संख्या 110 हो चकी है. जिसमें असफल प्रयास की संख्या 42 हो चुकी है.
आंकड़ों के अनुसार अभी चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिग के लिए कुल 38 बार कोशिश की गई है. जिसमें से 52 फीसदी प्रयास ही सफल रहे हैं.
आपको बता दें, भारत से पहले चंद्रमा पर दुनिया के केवल 6 देशों या एजेंसियों ने अपने यान भेजे हैं लेकिन कामयाबी केवल 3 को मिल पाई है. ये तीन देश अमेरिका, रूस और चीन है.

कब हुआ था चंद्रमा पर पहला मिशन
चंद्रमा तक पहले मिशन की प्लानिंग 17 अगस्त 1958 में अमेरिका ने बनाई थी लेकिन ‘पायनियर 0′ का प्रक्षेपण असफल रहा. सफलता 6 मिशन के बाद मिली. जिसके बाद अमेरिका ने 20 जुलाई 1969 को अपोलो 11 मिशन के जरिए चांद पर यान उतारा था. अमेरिका के अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन चांद पर उतरने वाले क्रमश: पहले और दूसरे अंतरिक्ष यात्री बने थे.

कितनी बार फेल हुआ अमेरिका
अमेरिका ने 17 अगस्त 1958 से 14 दिसंबर 1972 तक करीब 31 मिशन भेजे. इनमें से 17 फेल हो गए. यानी अमेरिका के 45.17 फीसदी मिशन को सफलता मिली.

रूस
रूस ही पहला ऐसा देश बना जिसे पहली बार अपने यान को चंद्रमा की सतह पर उतारने में सफलता मिली. वहीं अमेरिका पहली बार अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा की सतह पर उतारने में सफल रहा. रूस के मिशन का नाम ‘लूना 2’ था जो 12 सितंबर 1959 को चांद की सतह पर पहुंचा. रूस के लूना 2 मिशन को कामयाबी मिली.

कितनी बार फेल हुआ रूस
चांद को छूने और उसकी सतह पर उतरने के लिए रूस ने 23 सितंबर 1958 से 9 अगस्त 1976 तक करीब 33 मिशन भेजे. इनमें से 26 फेल हो गए. रूस को सिर्फ 21.21 प्रतिशत सफलता मिली. रूस जहां एक तरफ चांद के चारों ओर चक्कर लगाने वाले ऑर्बिटर, सतह पर उतरने वाले लैंडर और सतह से टकराने वाले इंपैक्टर की तैयारी कर रहा था. वहीं, एक कदम आगे बढ़ते हुए अमेरिका ने चांद पर इंसानों को पहुंचा दिया था. आपको बता दें, अमेरिका और रूस ने कुल मिलाकर 64 मिशन चांद पर भेजे, जिसमें 43 बार सफलता हाथ लगी.

सबसे कम खर्च में सफल स्पेस मिशन
सोवियत रूस ने सबसे पहले अपना मून मिशन लूना-1 सबसे कम समय में पहुंचाया था. 2 जनवरी 1959 में लॉन्च किया गया लूना-1 सिर्फ 36 घंटे में चांद की कक्षा में पहुंच गया था. यह करीब 3 किमी प्रति सेकंड की गति से उड़ रहा था.

चीन
चीन की सतह पर चीन का यान चांगई 4 इसी साल पहुंचा है, चीन ने 8 दिसंबर 2018 को अपना मिशन लॉन्च किया था और उसका लैंडर और रोवर 3 जनवरी 2019 को चांद की सतह पर पहुंचा है.

धरती से नहीं दिखता चांद का हिस्सा, वहां चीन ने उतारा यान
आपको बता दें, चांद का वो हिस्सा जो पृथ्वी से कभी दिखता ही नहीं है, उस हिस्से पर चीन ने अपना अपना स्पेसक्राफ्ट चांग-4 उतारा था. अंतरिक्ष के क्षेत्र में इस कदम को बड़ी क्रांति माना जा रहा है. चांद के इस हिस्से को डार्क साइड कहा जाता है, जो पृथ्वी से देखा नहीं जा सकता है.

इससे पहले 2013 में चीन का चांग 3 साल 1976 के बाद चांद पर उतरने वाला पहला स्पेसक्राफ्ट बना था.