चारों सोमवार को बाबा के अलग-अलग रूपों का होगा दर्शन:सावन की 244 साल पुरानी परंपरा

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(www.arya-tv.com)आज सावन का पहला सोमवार है। आज रात वाराणसी के बाबा धाम में शिवभक्तों को काशी विश्वनाथ स्वरूप में दर्शन देंगे। शाम को होने वाली सप्तर्षि आरती के बाद शयन आरती तक गर्भगृह स्थित ज्योर्तिलिंग के बगल में बाबा की चांदी की प्रतिमा भी होगी। दर्शन का समय दो घंटे का होगा। रात 8 बजे 10 बजे तक हर सोमवार को बाबा विश्वनाथ के अलग-अलग स्वरूपों के दर्शन होंगे। यह सिलसिला पूरे सावन भर चलेगा।

इस स्वरूप में आज काशी विश्वनाथ के रूप का दर्शन खास होगा। काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डाॅ. कुलपति तिवारी ने बताया कि स्वरूप दर्शन की यह प्रथा आज 244 साल से चली आ रही है। वहीं, 242 साल पहले यानी कि 1780 में महरानी अहिल्याबाई होलकर ने मंदिर को पुनर्स्थापित कराया था।

चारों सोमवार को इन-इन रूपों के होंगे दर्शन

सावन के दूसरे साेमवार यानी कि 25 जुलाई को शंकर-पार्वती की रजत प्रतिमा के दर्शन होंगे। वहीं, 1 अगस्त सावन के तीसरे सोमवार को भक्त भगवान शंकर के अर्द्धनारीश्वर रूप का दीदार करेंगे। चौथे साेमवार 8 अगस्त को बाबा का रुद्राक्ष शृंगार होगा। शिव की पंचबदन प्रतिमा दर्शन के लिए गर्भगृह में रखी जाती है। उस दिन गर्भगृह से मुख्य मंडप तक सभी स्तंभों को भी रुद्राक्ष से सजा दिया जाता है।

शिव ने सप्तऋषियों को दिया था 132 विधान का ज्ञान
कहा जाता है कि भगवान शिव ने अपना रूप धारण का सप्तऋषियों को दीक्षित किया था। इस स्वरूप में सदाशिव ने सप्तर्षि यानी कि पुलस्थ, पुलह: क्रतु, अंगिरा, अत्रि, वशिष्ठ और अरुंधति को 132 विधानों का ज्ञान दिया था। शिव ने उन्हें बताया था कि इनके पालन से मानव जीवन की कठिनाइंया दूर हो जाएंगी।

शंकर-पार्वती रूप
शंकर और पार्वती का युगल स्वरूप वैराग्य और वैवाहिक जीवन के बीच संतुलन का प्रतीक है। यह एक तरह से प्रकृति और इंसान के बीच के रिश्ते को बताता है। काशी पुराधिपति इस स्वरूप से संसारिक लोगों को आदर्श जीवन सूत्र में बांधने का प्रयास करते हैं।

अर्द्धनारीश्वर रूप
भगवान शंकर ने सप्तर्षियों को दिया ज्ञान माता पार्वती को भी दिया। इसके लिए उन्होंने माता को अपने शरीर में समाहित कर लिया। इसे ही अर्द्ध नारीश्वर स्वरूप कहा गया।

रुद्राक्ष शृंगार
सावन के अंतिम सोमवार पर बाबा की रजत प्रतिमा विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृ़ह में रखी जाती है। कहा गया है कि रुद्राक्ष को शिव की आंखों का दर्जा प्राप्त है।