यूपी के 5 बच्चों को सबसे महंगी दवा की जरूरत:बचाने के लिए खर्च करने होंगे 110 करोड़, 22 करोड़ का है एक इंजेक्शन

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(www.arya-tv.com) यूपी में 5 पांच बच्चे इन दिनों एक ऐसी बीमारी से जूझ रहे हैं, जिसके इलाज के लिए दुनिया की सबसे महंगी दवा की जरूरत है। इस बीमारी का नाम ‘स्पाइनल मस्कुलर एथ्रोपी (SMA) है। इसका इलाज भारत में संभव नहीं है। यह बीमारी 10 लाख बच्चों में एक को होती है।

इसके इंजेक्शन ‘जोलगेनेस्मा’ की कीमत 16 करोड़ रुपए है, जो अमेरिका में मिलता है। भारत में लाने पर 6 करोड़ टैक्स लग जाता है। यानी की एक इंजेक्शन की कीमत 22 करोड़ रुपए है। अगर, हम पांचों बच्चों की बात करें, तो 110 करोड़ रुपए चाहिए।

यह बीमारी अयोध्या में 2 सगे भाइयों, सुल्तानपुर, अलीगढ़ और अमेठी में एक-एक बच्चे में मिली है। इसमें से अयोध्या में एक पिता ने बच्चों के इलाज के लिए अपना खेत तक बेच दिया। इसके बाद भी इतनी बड़ी रकम नहीं इकट्‌ठा कर पाया। अमेठी में एक बच्चे को सौतेले बाप ने छोड़ दिया। अब वह अपने मामा के घर पर रहता है। सुल्तानपुर के एक बच्चे को लॉटरी के जरिए इंजेक्शन मिल गया है। लेकिन 4 बच्चे अभी भी भगवान के भरोसे हैं। इनके पास न तो इतने रुपए हैं और न ही सरकार से कोई मदद मिल रही है।

  • अयोध्या में पिता ने दो बच्चों के इलाज के लिए खेत बेच दिया

    अयोध्या के मयाबाजार ब्लॉक के रौव्वा लोहंगपुर के रहने वाले धर्मेंद्र पांडेय के दो बच्चे हैं। एक 12 साल का प्रखर और दूसरा 10 साल का प्रज्ज्वल है। धर्मेंद्र पांडेय ने बताया, “साल 2010 में हमारे बड़े बेटे प्रखर का जन्म हुआ। इसके 2 साल बाद छोटा बेटा प्रज्ज्वल हुआ। सब कुछ ठीक चल रहा था। घर में सब खुश थे।

    2014 में बड़ा बेटा चलता, तो गिर जाता। उठने-बैठने में भी परेशानी होने लगी। एक साल बाद छोटे बेटे प्रज्ज्वल को भी यही समस्या शुरू हो गई। इसके बाद डॉक्टर को दिखाया। कोई आराम नहीं मिला, तो लखनऊ मेडिकल कॉलेज और SGPGI में डॉक्टरों को दिखाया। वहां इस बीमारी के बारे में पता चला। तकलीफ बढ़ती ही गई। दिल्ली के AIIMS, उदयपुर, राजस्थान और केरल सहित कई अस्पतालों में दौड़ लगाई। कहीं से कुछ आराम नहीं मिला।”

    अब हमारे पास 44 हजार भी नहीं बचे
    उन्होंने बताया, “मेरी सारी जमा-पूंजी भी खत्म हो गई। इस दौरान खेत भी बेचना पड़ा। खेती के साथ एक छोटी-सी परचून की दुकान चलाता हूं। डॉक्टरों ने बताया कि भारत में इसका इलाज संभव नहीं है। इस बीमारी के लिए एक इंजेक्शन है, जो अमेरिका से आएगा। जिसकी कीमत 16 करोड़ रुपए है। भारत में लाने में 6 करोड़ रुपए टैक्स लग जाएगा।

    इस तरह से 22 करोड़ रुपए एक बच्चे को इंजेक्शन लगाने में खर्च होंगे। दोनों बच्चों को इंजेक्शन लगाने में 44 करोड़ रुपए खर्च होंगे। अब हमारे पास 44 हजार रुपए भी नहीं हैं। इतनी बड़ी रकम कहां से ले आएंगे। सरकार से भी मदद मांग चुके हैं, वहां से भी कोई मदद नहीं मिली। अब तो हम भगवान भरोसे ही हैं। बच्चों को तड़पते हुए देखा नहीं जा सकता है।”

    “घुटनों के बल चलते हैं दोनों बच्चे”
    प्रखर और प्रज्ज्वल चलने की कोशिश तो करते हैं, लेकिन कदम जमीन पर नहीं टिकते। थक कर घुटनों के बल पर चलना अब इनकी मजबूरी बन गई है। इन बच्चों को बैठने के लिए भी सहारे की जरूरत पड़ती है। मां साधना ने बताया, “इलाज के लिए हमारे पास अब न तो पैसा बचा है और न ही ताकत। बच्चों को तड़पते हुए देखती हूं, तो कलेजा मुंह को आ जाता है। किसी से बात करने का भी मन नहीं करता है। लोगों से मदद की गुहार भी लगाती हूं, लेकिन इतने पैसों का इंतजाम नहीं हो पा रहा है।”

    अलीगढ़ का श्लोक 8 साल से बिस्तर पर पड़ा है

    अलीगढ़ के 8 साल के श्लोक को SMA बीमारी है। जन्म से ही वह बिस्तर पर पड़ता रहता है। श्लोक के पिता प्रशांत माहेश्वरी स्कूली बच्चों के यूनिफॉर्म और जूते-मोजे बेचते हैं। उन्होंने बताया, “सितंबर, 2014 को श्लोक का जन्म हुआ। 4 महीने के बाद भी शरीर में हरकत नहीं होने पर डॉक्टर के पास ले गया।

    अलीगढ़ के डॉक्टरों ने सर गंगाराम हॉस्पिटल के मस्कुलर विभाग में दिखाने के लिए बोला। वहां पर डॉ. आईसी वर्मा ने श्लोक की स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी की जांच कराई। जिससे SMA टाइप टू बीमारी के बारे में पता चला। 2015 में डॉक्टर ने इलाज नहीं होने की बात कहकर वापस लौटा दिया। हमको बहुत निराशा हुई।”

    उन्होंने बताया, ”फीजियोथेरैपी कराई इससे बच्चा और अधिक परेशान हो जाता है। बिस्तर से उठ नहीं पाता है। 8 साल एक व्यक्ति उसके पास 24 घंटे रहता है। बैठाने, सुलाने से लेकर हर काम कराना पड़ता है। बच्चा बोल तो लेता है, जिससे वह अपनी जरूरतों को बता देता है। अब 22 करोड़ रुपए कहां से लाएं।”

    “बेटा पूछता है कि पापा कब तक इलाज चलेगा, तो हमारे पास कोई जवाब नहीं होता”
    प्रशांत माहेश्वरी ने बताया, “मैं स्कूली बच्चों के ड्रेस और जूते-मोजे बेचता हूं। उससे जो भी जमा पूंजी थी, सारी खत्म हो चुकी है। 16 करोड़ रुपए का इंतजाम करना बहुत मुश्किल है। बस यही सोचता हूं कि भगवान ने किस बात की सजा हमें दी है। श्लोक जब भी हमसे पूछता है, पापा हम कब तक ठीक हो जाएंगे? पापा 16 करोड़ रुपए कितना होता है? तब हमारे पास कोई जवाब नहीं होता है। उसका मासूम चेहरा देखकर आंखें भर जाती हैं। कोई काम भी करने का मन नहीं करता है। सरकार की मदद के बिना इतनी बड़ी रकम का इंतजाम मुश्किल है।

    सुल्तानपुर के 8 महीने के अनमय को SMA टाइप वन

    इसलिए महंगी है ये दवा
    इंजेक्शन महंगा है, लेकिन रिसर्च के नतीजे बताते हैं कि यह बेहद कारगर भी है। इसने कई बच्चों की उम्र बढ़ाई है। दरअसल, जोलगेनेस्मा उन तीन जीन थेरेपी में से एक हैं, जिनके इस्तेमाल की अनुमति यूरोप में दी गई है। कंपनी के मुताबिक, SMA के इलाज में यह दवा एक बार ही रोगी को दी जाती है, इसलिए यह महंगी है।

    रमेश दुबे ने बताया- अनमय की निकली लॉटरी, लगेगा इंजेक्शन

    ‘वानर सेना’ के अध्यक्ष रमेश दुबे ने बताया, “अनमय की मां जब गुहार लगाई, तो यह रकम बहुत अधिक लग रही थी। मां की ममता और मासूम बच्चे का चेहरा देखकर रात की नींद उड़ गई। हमने सोशल मीडिया और स्कूल, कॉलेज और सड़क निकलकर क्राउड फंडिंग शुरू की। इसमें करीब 4 करोड़ रुपए इकट्‌ठा भी कर लिए। इसके बाद ‘इम्पैक्टर गुरु’ से लॉटरी निकली। अब अनमय को इंजेक्शन लग जाएगा।”

    ‘इम्पैक्ट गुरु’ एक संस्था है, जो एम्स से जुड़ी है। यह SMA बीमारी से पीड़ित बच्चों की इलाज के लिए क्राउड फंडिंग करती है। साल में लॉटरी भी निकालती है। जिसमें 3 बच्चों का इलाज करती है। इसमें अनयम की लॉटरी निकली है। इम्पैक्ट गुरु ही अनमय के इंजेक्शन का खर्च उठाएगी।”

    रमेश दुबे ने बताया, “जब हम लोग क्राउड फंडिंग के लिए लोगों से अपील कर रहे थे, तो अयोध्या, अमेठी और अलीगढ़ के घर वालों ने हमसे मदद की गुहार लगाई। इतनी बड़ी रकम इकट्‌ठा कर पाना संभव नहीं है। सरकार को ऐसे बच्चों की इलाज के लिए एक अलग से बजट लाना चाहिए। जिससे ऐसे बच्चों का इलाज हो सके।”