UP में बनेंगी देश की पहली लाइफ साइंस सिटी: इंडियन साइंटिस्ट का 1 हजार करोड़ का इन्वेस्टमेंट

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(www.arya-tv.com) अमेरिका और यूरोप की तर्ज पर भारत में लाइफ साइंस सिटी के कॉन्सेप्ट को इम्प्लीमेन्ट करने की तैयारी है। बड़ी बात यह हैं कि इसे विदेशों में बनी लाइफ साइंस सिटी का अपडेटेड वर्जन माना जा रहा है। गौतमबुद्धनगर में जेवर के करीब 100 एकड़ की जमीन पर इसे डेवलप करने का प्रस्ताव हार्वर्ड स्कूल ऑफ मेडिसिन के मॉलिक्यूलर ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ.राम एस. उपाध्याय ने दिया है। इससे करीब 20 हजार जॉब्स मिलने की उम्मीद है।

यहाँ प्रस्तुत हैं ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान डॉ. उपाध्याय से हुई बातचीत के अंश

सवाल : लाइफ साइंस सिटी का कॉन्सेप्ट यूपी के लिए नया है, इसकी विशेषता क्या हैं?

जवाब : हम पूरा ईको सिस्टम तैयार कर रहे हैं। भारत 2 चीजों में खुद को साबित कर चुका है। जेनेरिक मेडिसिन और बल्क मेडिसिन मैन्युफैक्चरिंग में भी हम दुनिया में आगे हैं। इस बीच भारत वैक्सीनेशन हब ऑफ वर्ल्ड भी बन चुका है, लेकिन नई दवाइयों की खोज और असाध्य रोगों के इलाज में हम पीछे हैं। इसके लिए हमें रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर फोकस करना होगा।

R&D सेंटर में जीनोमिक्स, प्रोटॉमिक्स, सेल मैपिंग, फीनो टाइप पिकिंग या उनसे जुड़े सभी म्युटेशन्स मैपिंग के टूल्स और टेक्नीक को लागू करना है। इसके अलावा नए ड्रग्स की क्लीनिकल ट्रायल्स की सुविधा भी मौजूद रहेगी। इसके लिए लाइफ सांइंस सिटी में 3 हॉस्पिटल्स को तैयार किया जाएगा। इनमें प्रीसाइज ट्रीटमेंट और टारगेट ट्रीटमेंट थैरेपी की सुविधा भी उपलब्ध होगी।

सवाल: लाइफ साइंस सिटी का मकसद क्या है?
जवाब: 
हॉस्पिटल और रिसर्च का फोकस कैंसर पर होगा। कैंसर का इलाज एक दिन या 2 दिन का नहीं लंबा प्रोसेस का होता है। मेरा मानना है कि कैंसर के मरीज बीमारी से नहीं अकेलापन या चिंता से पहले मर जाते हैं। इसके अलावा कैंसर की मो थैरेपी, जो मरीजों को दी जाती हैं, यह उनके लाइफ को जरूर प्रभावित करती हैं। उसकी वजह से भी अच्छे परिणाम नहीं आते। यही कारण है कि हम टारगेट थैरेपी और प्री साइज थैरेपी की तरफ जाएंगे।

सवाल : ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में आप शामिल हुए हैं। इसके पीछे क्या मकसद है?

जवाब : यह एक लाइफ साइंस का बहुत बड़ा प्रोजेक्ट है। जनसंख्या के लिहाज से यूपी दुनिया का 6वां सबसे बड़ा प्रदेश कहा जा सकता हैं। यहां मेडिकल और हेल्थ की बेहतरीन सेवाओं को तैयार करने के लिए एक पूरा ईको सिस्टम तैयार करना होगा। हम जिप्रोपना लाइफ साइंस के नाम से प्रोजेक्ट लेकर आए हैं। जिप्रोपना का मतलब हीलिंग द लाइफ है। इसमें कई आयाम हैं। पहला आयाम रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑफ न्यू ड्रग डिस्कवरी है।

इसके तहत असाध्य रोग की दवाइयां और नए ड्रग की खोज की जाएगी। बड़ी बात यह है कि इस खोज में सिर्फ भारतीय वैज्ञानिक नहीं, बल्कि दुनियाभर के शीर्ष देशों के मेडिसिनल साइंटिस्ट भी होंगे। इस मुहिम में मेरा खुद का अनुभव भी काम आ सकेगा। मुझे जर्मनी, लंदन, कनाडा में भी रिसर्च करने का मौका मिला है। फिलहाल हार्वर्ड मेडिकल स्कूल बोस्टन चिल्ड्रन हॉस्पिटल से जुड़ा हूं। मकसद प्रिवेंशन और ट्रीटमेंट से यूपी के लोगों की मदद करना, यहां के लोगों को अफोर्डेबल और इफेक्टिव ट्रीटमेंट देना हैं।

सवाल: क्या हॉस्पिटल इन होटल के कॉन्सेप्ट को भी इम्प्लीमेन्ट करेंगे?
जवाब: 
कई बार दवा तो जरूर बेहतर दी जाती है, पर वो बेहतर माहौल और एक सिस्टम नहीं तैयार हो पाता। यही कारण है कि हम हॉस्पिटल इन होटल के सिस्टम को लाने जा रहे हैं। ट्रीटमेंट के दौरान मरीज अपने परिवार के साथ रह सकें, इस मकसद से हम होटल चेन को भी इस लाइफ साइंस सिटी में लेकर आएंगे। ऐसे ही कुछ प्रयासों से मरीज को रोग से मुक्ति के साथ स्वास्थ्य और खुशहाली दोनों ही देने का प्रयास होगा।