हम सबका सपना सही पोषण देश रोशन

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मनीष यादव
शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आवश्यक सूक्ष्म तत्व जो हमें भोजन से प्राप्त होते है पौष्टिक तत्व कहलाते है और जब यह हमारे शरीर में वृद्धि और विकास करते है तो इस प्रक्रिया को पोषण कहते है । भारत में कुपोषण को दूर करने तथा जनसाधारण में पोषण को लेकर जागरूकता बढाने के लिए लगातार 1982 से राष्ट्रीय पोषण सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है । पिछले कुछ वर्षो से राष्ट्रीय पोषण सप्ताह को विस्तृत करे हुए अब हम इसे राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाते है ।

महिला बाल विकास मंत्रालय के खाद्य एवं पोषण बोर्ड द्वारा प्रति वर्ष कुपोषण, एनीमिया, जन्म के समय बच्चो का वजन कम होना, किशोरियों का पोषण और स्वास्थ्य, गर्भवती एवं धात्री महिलाओ का पोषण जैसे आवश्यक विषयों की जानकारी विभिन्न कार्यक्रमों जैसे पोषण उन्मुखिकरण प्रशिक्षण कार्यक्रम, पोषण जागरूकता कार्यक्रम, फल सब्जी परिरक्षण और पोषण प्रशिक्षण कार्यक्रम, आंगनवाडी निरक्षण व पोषण प्रशिक्षण कार्यक्रम आदि के माध्यम से भी वर्षभर लोगो तक पहुचाई जा रही है । मंत्रालय लगातार आठ मुख्य विषयों जैसे स्तनपान, वृद्धि निगरानी, स्वच्छता, आहार, किशोरियों की शिक्षा, किशोरियों की आहार तालिका आदि पर भी निरंतर कार्यक्रमों का आयोजन करता है ।

राष्ट्रीय पोषण माह जनसाधारण में पोषण की जानकारी पहुचाने तथा कुपोषण को दूर करने के लिए मनाया जाता है । इस वर्ष पोषण माह तीन मुख्य बातो पर केन्द्रित है जिसमे पोषण वाटिका को बढावा देना, स्तनपान तथा एसएएम बच्चो की पहचान व प्रबंधन शामिल है । हमें यह ध्यान रखना है कि भोजन की थाली में खाने के लिए जो भी भोजन शामिल करे उसके हर कौर में पोषण हो तथा स्वास्थ्य की दृष्टी से सही हो । चूँकि अच्छे पोषण की सहायता से हम बच्चो के मानसिक और शारीरिक विकास को सुधार सकते है जिस तरह का पोषण हम अपने बच्चो को देंगे उसी के अनुरूप उसका विकास होगा और वह मानसिक व शारीरिक विकास के साथ ही आर्थिक और सामाजिक विकास भी कर सकेगा । छह माह तक बच्चे के पोषण की जरूरत माँ के दूध से पूरी हो जाती है उसके बाद उसे माँ के दूध के साथ-साथ ऊपरी आहार की जरूरत होती है बिना इसके बच्चे का पूर्ण रूप से विकास संभव नहीं है 7 हम घर में ही उपलब्ध अनाज, दाल, फल और सब्जियों के द्वारा ही बच्चे का पोषण पूरा कर सकते है ।

महिला के संदर्भ में हम कह सकते है कि निश्चित रूप से स्त्री जीवनदायनी है, एक स्त्री पर स्वयं के साथ पूरे परिवार के शारीरिक स्वास्थ्य के साथ ही उनकी मानसिक स्वास्थ्य की भी जिम्मेदारी होती है और आज के परिवेश में एक महिला घर के साथ ही विभिन्न कार्यक्षेत्रो में अपनी पहचान बना रही है । इन कामों को करने के लिए उसका स्वस्थ होना तथा पोषण के विषय में सही जानकारी होना आवश्यक है ताकि वह बिना किसी स्वास्थ्य समस्या के सभी काम कर सके ।

वर्तमान समय में किशोर और किशोरियों के पोषण और स्वास्थ्य में कोई विशेष अंतर नहीं है जरूरत है तो बस जानकारी आगे बढाने की । जिस प्रकार एक सुखी जीवन के लिए हमें स्वयं प्रतिदिन परिश्रम करना पढ़ता है ठीक उसी प्रकार उत्तम स्वास्थ्य के लिए हमें खुद ही पोषण जानकारी को जहाँ से भी प्राप्त हो उसे अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाना होगा तभी हम सबका ये सपना “सही पोषण देश रोशन” साकार हो पायगा । यदि हम अपने भोजन का पूर्ण पोषण प्राप्त करना चाहते है तो स्वछता का विशेष ध्यान रखना ही पड़ेगा ।

हम अपना भोजन कितना भी पौष्टिक बना ले परन्तु यदि उसे गंदे बर्तन में रखकर खाएगें, या गंदे हाथो से खायगे तो उसका कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिलने वाला । इसलिए हमें तीन स्तरीय स्वछता व्यक्तिगत, घरेलू और सामाजिक स्वछता का ध्यान रखना होगा । एनीमिया को दूर करने के लिए हमें अपने भोजन में आयरन से भरपूर चीजे सामिल करनी है जैसे अनाज, अंकुरित दाल, हरी पत्तेदार सब्जी, गुड, मछली, मांस, बीन्स आदि । साथ ही यह भी सुनिश्चित करना है कि जब भी आयरन युक्त भोजन हो तो विटामिन- सी से भरपूर फल या सब्जी सामिल हो ताकि उस आयरन का अवशोषण हमारे शरीर में हो सके ।

पोषण से सम्बंधित शोध और मुल्यांकन राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन) हैदराबाद द्वारा सतत रूप से किये जाते है इसी तरह सीएफटीआरआई मैसूर, विभिन्न विश्वविद्यालय, विद्यालय, राज्य स्तरीय विभाग भी निरंतर पोषण को लेकर जानकारी और प्रशिक्षण प्रदान करते है 7

(लेखक कार्यालय प्रभारी, खाद्य एवं पोषण बोर्ड, भारत सरकार, रायपुर छ.ग. हैं और ये लेखक के अपने विचार हैं)