सऊदी आर्मी चीफ और जनरल नरवणे की मुलाकात

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(www.arya-tv.com)बात मंगलवार 15 फरवरी की है। हमारे आर्मी चीफ जनरल एमएम. नरवणे ने नई दिल्ली में सऊदी अरब के लैंड फोर्स चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फहद बिन अब्दुल्लाह मोहम्मद अल-मुतैर से मुलाकात की। तकनीकी तौर पर फहद को ही सऊदी अरब की रॉयल आर्मी का चीफ माना जाता है। मुद्दे पर आने के पहले ये जान लीजिए कि यह सऊदी अरब के किसी भी आर्मी चीफ की पहली भारत यात्रा थी। दूसरे शब्दों में कहें तो करीब 75 साल में पहली बार कोई सऊदी आर्मी चीफ ऑफिशियल विजिट और प्रोटोकॉल के साथ भारत दौरे पर पहुंचा।

ये तो हुई बात इस यात्रा की अहमियत की, लेकिन ये क्या कि इस मुलाकात की एक तस्वीर से पाकिस्तान हिल गया। खुलकर बोलने की हिम्मत न थी, इसलिए सोशल मीडिया के जरिए ही खुसर-पुसर शुरू करा दी गई। ताकि किसी तरह सऊदी हुक्मरानों के कान पर जूं तो रेंगे, मुद्दा तो पहुंचे।

सीधे मुद्दे पर
जनरल नरवणे और जनरल फहद की मुलाकात जिस जगह हुई, वहां उस कमरे में दोनों के ठीक पीछे एक और तस्वीर लगी थी। इसने भारत में कितने लोगों का ध्यान खींचा, ये तो पता नहीं, लेकिन पाकिस्तान में तो जैसे भूचाल आ गया। उस पर मजबूरी ये कि बेतहाशा दर्द में भी कराह नहीं सकते। दरअसल, नरवणे और फहद के पीछे लगा फोटोग्राफ भारत ही नहीं, दुनिया के इतिहास को बदल देने वाला था। एक नए मुल्क की बनने की कहानी और एक देश की टूटने, बिखरने और शर्मसार होने की दास्तां।

1971 में पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश बना। भारतीय सेना ने मुक्ति वाहिनी का साथ दिया। पाकिस्तानी फौज हारी और फिर जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने पाकिस्तान के जनरल नियाजी ने सरेंडर डॉक्यूमेंट्स साइन किए।

तो तकलीफ किस बात की
पाकिस्तान का विदेश मंत्रालय चुप है। फौज का मीडिया विंग (DG ISPR) चाहकर भी कुछ नहीं बोल पा रहा। हां, कुछ जर्नलिस्ट जैसे अनिक नाज, आलिया शाह और कमर चीमा जरूर बात करते हैं। ज्यादातर को तकलीफ यह है कि नरवणे और फहद की इस तस्वीर को सऊदी गजट ने क्यों पब्लिश किया। क्या मुस्लिम देश होने के नाते सऊदी सरकार इससे परहेज नहीं कर सकती थी?

मुस्लिम देशों की एक ज्वॉइंट आर्मी है। इसका हेडक्वॉर्टर रियाद में है। इससे भी खास बात यह कि इस फौज की कमान पाकिस्तान के पूर्व आर्मी चीफ जनरल राहिल शरीफ के पास है। सवाल पूछा जा रहा है क्या सऊदी के लिए पाकिस्तान से ज्यादा भारत अहम हो गया है? क्या पाकिस्तान को नीचा दिखाने के लिए ही सऊदी गजट में इसे पब्लिश किया गया?