भारत ने चुना सबसे मुश्किल मिशन, राह भटक चुके हैं काई विकसित देश

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भारत के चंद्र मिशन को उस समय झटका लगा, जब लैंडर विक्रम से चंद्रमा की सतह से महज दो किलोमीटर पहले इसरो का संपर्क टूट गया. मिशन के पूरा होने और देश के इतिहास रचने के लम्हे का देश रात को जाग कर बेसब्री से इंतजार कर रहा था लेकिन कुछ ही पल में मायूसी छा गई.

दरअसल, 48 दिन के महात्वाकांक्षी सफर की मंजिल तक पहुंचने से ठीक पहले अचानक इसरो के कंट्रोल रूम में एक अजीब सी चुप्पी छा गई. जो आंखे कुछ देर पहले बड़ी उत्सुकता से स्क्रीन पर मिशन चंद्रयान-2 के हर कदम को परख रही थी, वो ठिठक गईं. चंद्रयान-2 का सफर आखिरी और बेहद चुनौतीपूर्ण हिस्से तक पहुंच चुका था लेकिन ये इंतजार लंबा खिंचने लगा और इसरो की तरफ से औपचारिक ऐलान कर दिया गया कि लैंडर विक्रम से सेंटर का संपर्क टूट चुका है.

चंद्रयान-2 के इस मिशन पर दुनिया भर की नजरें टिकी थीं और उसकी वजह ये थी कि भारत के वैज्ञानिकों ने चांद के सबसे मुश्किल हिस्से पर पहुंचने को अपना लक्ष्य बनाया था. मिशन के मुताबिक चंद्रयान- 2 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना था. चांद के इस हिस्से पर सूरज की रोशनी बहुत कम पहुंचती है. इस वजह से लैंडर और रोवर के लिए सौर ऊर्जा हासिल कर पाना मुश्किल होगा.

वैज्ञानिकों के सामने थीं ये चुनौतियां
-चांद के इस हिस्से पर अभी तक दुनिया के किसी देश की पहुंच नहीं हो पाई है, इसलिए वैज्ञानिकों को यहां की सतह की जानकारी नहीं थी.

-अमेरिका के अपोलो मिशन सहित ज्यादातर मिशनों में लैंडिंग चांद के मध्य में की गई और चीन का मिशन चांद के उत्तरी ध्रुव की तरफ था.

-चांद की पथरीली जमीन भी सॉफ्ट लैंडिंग के लिए बड़ी चुनौती थी, लैंडर विक्रम को दो क्रेटरों के बीच सॉफ्ट लैंडिंग की जगह तलाशनी थी.

मुश्किल से सफल हुए विकिसत देश
भले ही चांद पर मानव के पहुंचने के 50 साल हो गए हों लेकिन तमाम विकसित देशों के लिए भी चांद को छूना आसान नहीं रहा है. रूस ने 1958 से 1976 के बीच करीब 33 मिशन चांद की तरफ रवाना किए, इनमें से 26 अपनी मंजिल नहीं पा सके. वहीं अमेरिका भी इस होड़ में पीछे नहीं था. 1958 से 1972 तक अमेरिका के 31 मिशनों में से 17 नाकाम रहे.

यही नहीं अमेरिका ने 1969 से 1972 के बीच 6 मानव मिशन भी भेजे. इन मिशनों में 24 अंतरिक्ष यात्री चांद के करीब पहुंच गए लेकिन सिर्फ 12 ही चांद की जमीन पर उतर पाए. इसके अलावा इसी साल अप्रैल में इजरायल का भी मिशन चांद अधूरा रह गया था. इजरायल की एक प्राइवेट कंपनी का ये मिशन 4 अप्रैल को चंद्रमा की कक्षा में तो आ गया लेकिन 10 किलोमीटर दूर रहते ही पृथ्वी से इसका संपर्क टूट गया.