नाग पंचमी 2019: देश के इन प्राचीन मंदिरों में कालसर्प दोष से मिलती है मुक्ति

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सावन के महीने में पड़ने वाली नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा का विशेष महत्व है। श्रावण शुक्ल पंचमी को पड़ने वाला नाग पंचमी का पर्व आज यानी पांच अगस्त को मनाया जा रहा है। मान्यता है कि इस दिन नाग देवता की पूजा करने से उनकी कृपा मिलती और सर्प से किसी भी प्रकार की हानि का भय दूर हो जाता है। नागों से जुड़े देश में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। जहां पर कालसर्प दोष योग की विशेष पूजा की जाती है। 

नागचंद्रेश्वर मंदिर
देश के प्रसिद्ध नाग मंदिरों में सबसे पहले बात करते हैं जो देश के 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक महाकाल मंदिर के परिसर में स्थित है। नाग देवता के इस मंदिर की खासियत है कि यह साल में केवल एक बार आम लोगों के दर्शन के लिए खोला जाता है। महाकाल मंदिर के तीसरी मंजिल पर भगवान शंकर और माता पार्वती फन फैलाए नाग के सिंहासन पर विराजमान हैं। मान्यता है कि नागपंचमी के दिन इस तक्षक नाग के ऊपर विराजमान शिव-पार्वती के दर्शन मात्र से कालसर्प दोष दूर हो जाता है।

तक्षकेश्वर नाथ
प्रयागराज स्थित तक्षकेश्वर नाथ का मंदिर यमुना नदी के किनारे स्थित है। इस अति प्राचीन मंदिर वर्णन पद्म पुराण के 82 पाताल खंड के प्रयाग माहात्म्य में 82वें अध्याय में मिलता है। मान्यता है कि कि इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन से न सिर्फ व्यक्ति का बल्कि उसकी आने वाली पीढ़ी का भी सर्पभय दूर हो जाता है।

मन्नारशाला
केरल के अलेप्पी जिले से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर स्थित मन्नारशाला मंदिर एक नहीं, दो नहीं बल्कि 30 हजार नागों वाला मंदिर है। 30 हजार नागों की प्रतिमाओं वाला यह मंदिर 16 एकड़ में हरे-भरे जंगलों से घिरा हुआ है। नागराज को समर्पित इस मंदिर में नागराज तथा उनकी जीवन संगिनी नागयक्षी देवी की प्रतिमा स्थित है।

नाग वासुकी मंदिर
प्रयागराज में संगम के पास ही दारागंज क्षेत्र में नाग वासुकी का मंदिर स्थित है। नाग वासुकी मंदिर को शेषराज, सर्पनाथ, अनंत और सर्वाध्यक्ष कहा गया है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां नागपंचमी के दिन दर्शन और पूजन से कुंडली का कालसर्प दोष दूर हो जाता है। नाग पंचमी के दिन यहां एक बड़ा मेला लगता है।