डकैत बनने से पहले जाते थे बटेश्वर मंदिर: घंटा चढ़ाकर ही बीहड़ में कूदते थे डाकू

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(www.arya-tv.com)आगरा में चंबल नदी के बीहड़ के पास यमुना के किनारे 101 शिवलिंग की शृंखला में तीर्थराज बटेश्वर महादेव मंदिर है। आज हम आपको इस मंदिर का इतिहास बताते हैं। मान्यता है कि यहां दर्शन और जलाभिषेक से चारों धाम का पुण्य मिलता है। UP और MP के लाखों श्रद्धालु सावन में यहां कांवड़ चढ़ाने और दूध और जल से अभिषेक करने आते हैं। कहा जाता है कि पुराने समय में डकैत बनने से पहले मंदिर में घंटा चढ़ाकर ही बीहड़ में कूदते थे। नामी डाकू मानसिंह भी यहां घंटा चढ़ा चुका है।

476 साल पुराना है इतिहास
आगरा की बाह तहसील में बटेश्वर गांव के मंदिर तीर्थराज बटेश्वर पर सावन में हजारों श्रद्धालु आते हैं। यहां पहले शिवलिंग की स्थापना 1646 में भदावर घराने के राजा बदन सिंह ने की थी। मान्यता है कि उनकी एक बेटी थी। उन्हें अपने राज्य के उत्तराधिकारी के रूप में पुत्र की जरूरत थी। यमुना किनारे उन्होंने शिवलिंग की स्थापना की और पूजा शुरू की थी। शिव के आशीर्वाद से उनकी पुत्री लड़की से लड़का बन गई थी।

मान्यता है कि शिव यमुना स्नान के लिए आते हैं
साल 1655 से 1773 तक भदावर घराने के राजाओं ने 40 शिवलिंग स्थपित किए। वर्तमान में यहां 101 शिवलिंग स्थापित हैं। मान्यता है कि कार्तिक मास में भगवान शिव खुद यहा यमुना स्नान के लिए आते हैं। राजा भदावर घराने द्वारा यमुना के जल से शिवलिंग का अभिषेक करने की परम्परा के बाद से यहां सभी ग्रामीण अभिषेक करने आने लगे। लोग यमुना में स्नान कर पावन जल लेकर शिव के जलाभिषेक करते हैं।

हर वर्ष यहां सावन के सोमवार पर 1 लाख से अधिक श्रद्धालु आता है। कोरोना काल में यहां कांवड़ लाने वालों की संख्या कम हुई थी। स्थानीय निवासी इंद्रेश ने बताया कि इस बार दस हजार से ज्यादा कांवड़ आने की उम्मीद है। शुरुआत से अब तक मंदिर कमेटी का अध्यक्ष भदावर घराने का ही होता है। वर्तमान में पूर्व मंत्री राजा महेंद्र अरिदमन सिंह यहां के अध्यक्ष हैं।

डकैतों ने शुरू की थी घंटा चढ़ाने की परंपरा
स्थानीय निवासी मोनू पाराशर का कहना है कि यहां मनोकामना पूरी होने पर पीतल का घंटा चढ़ाने की परंपरा है। पहले जमींदार या राजा के अत्याचार के खिलाफ लोग बागी होकर बीहड़ में कूद जाते थे। डकैतों में बीहड़ में जाने से पहले यहां घंटा चढ़ाने की परंपरा थी। डकैत कोई भी बड़ा काम करने से पहले बटेश्वर धाम आकर आशीर्वाद लेते थे।कुख्यात डाकू मान सिंह ने भी यहां घंटा चढ़ाया था। आज भी यहां कई घंटों पर डाकूओं के नाम लिखे मिल जाएंगे। डाकू घुनघुन परिहार ने यहां घंटा चढ़ाकर बागी बनने का ऐलान किया था। डाकू पान सिंह तोमर जब भी कोई बड़ा काम करता था तो यहां घंटा चढ़ाता था। मंदिर में रहने वाले साधु सीताराम दास ने बताया कि 1978 की बाढ़ में मंदिर परिसर का पीपल का पेड़ बह गया था। इस बाढ़ में यहां के सैकड़ों घंटे बह गए। आज भी यहां हजारों घंटे लगे हैं।

अटल की अस्थियों का हुआ विसर्जन
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी बटेश्वर के रहने वाले थे। आज भी यहां उनके परिजन रहते हैं। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने यहां से ट्रेन गुजारने के प्रयास किए थे। केंद्र सरकार ने उनका जन्मदिन 24 दिसंबर को यहां रेल सेवा शुरू की थी। उनके स्वर्गवास के बाद उनकी अस्थियों का विसर्जन यहीं किया गया। CM योगी से लेकर तमाम बड़ी हस्तियां यहां जलाभिषेक कर चुकी हैं।

काशी की तर्ज पर होती है यमुना आरती
तीर्थराज बटेश्वर धाम पर रोजाना यमुना की आरती की जाती है। देव दीपावली पर यहां दीपोत्सव का नजारा देखने वाला होता है।

डाकू मानसिंह ने घंटा चढ़ाया था। लाल घेरे में आप मान सिंह का नाम देख सकते हैं।