इस तरह दुनिया की किसी भी स्मार्ट डिवाइस को किया जा सकता है हैक

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पिछले सप्ताह एक यूजर ने शिकायत की थी कि उसके एपल मैक को कोई हैक कर सकता है, साथ ही कैमरा और माइक्रोफोन का एक्सेस अपने कंट्रोल में ले सकता है। यूजर की शिकायत के बाद एपल ने अपनी तमाम डिवाइस से वॉकी-टॉकी ऑडियो चैट फीचर को बंद कर दिया, ताकि किसी यूजर्स की निजी बातचीत हैकर्स तक ना पहुंचे।

43 फीसदी अमेरिकी मानते हैं कि फोन को ट्रैक किया जाता है
मई में जारी राष्ट्रीय प्रतिनिधि सर्वेक्षण की एक रिपोर्ट के मुताबिक 43 प्रतिशत अमेरिकी लोगों का मानना है कि उनकी इजाजत के बिना उनकी डिवाइस की रिकॉर्डिंग होती है। इस सर्वे में 1,000 से अधिक वयस्क लोगों को शामिल किया गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक टेक कंपनियां विज्ञापन के लिए यूजर्स की डिवाइस ट्रैक और रिकॉर्ड कर रही हैं। शोधकर्ताओं का मानना है इस तरह की ट्रैकिंग से विज्ञापनदाताओं को विज्ञापन देने में आसानी होती है और विज्ञापन सिर्फ उन्हीं लोगों तक पहुंचाया जाता है, जो वाकई उसमें रूची रखते हैं। वहीं दूसरी तररफ स्मार्ट डिवाइस के साथ हमेशा इस बात का खतरा बना रहता है कि हैकर्स किसी भी वक्त आपकी डिवाइस के कैमरे और माइक्रोफोन को रिमोट कंट्रोल पर ले सकते हैं।

स्मार्ट डिवाइस की हैकिंग पर एक्सपर्ट की क्या है राय?
डिस्कोकॉन के मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी पैट्रिक जैक्सन का मानना है कि हमें इस बात को स्वीकार करना होगा कि स्मार्ट डिवाइस के साथ जोखिम है, क्योंकि इन डिवाइस में तमाम तरह के सेंसर्स होते हैं जिनके बारे में यूजर्स को जानकारी नहीं होती है। इस मामले पर सीआर की भागीदारी वाली एक साइबरसिटी फर्म का भी मानना है कि यूजर्स को पता नहीं चलता कि उसकी डिवाइस का कौन-सा सेंसर कब ऑन है और वह सेंसर क्या कर सकता है। जैक्सन ने इन सबसे बचने के कुछ तरीके भी बताए हैं आइए जानते हैं इनके बारे में।

डेडिकेटेड वीडियो-ऑडियो कॉलिंग से करें तौबा
उपभोक्ता रिपोर्ट में सुरक्षा और गोपनीयता परीक्षण के लिए प्रोजेक्ट लीडर कोडी फेंग का कहना है, ‘जब भी आप अपने फोन या सिस्टम में कोई एप डाउनलोड करते हैं तो आप हैकर के लिए एक नया दरवाजा खोलते हैं। डिजिटल सिक्योरिटी में इसे अटैक सरफेस कहा जाता है।’ गूगल हैंगआउट, स्काइप और जूम जैसे एप का इस्तेमाल लोग वीडियो कॉलिंग के लिए करते हैं, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि इन एप के इस्तेमाल से बेहतर इनके वेब वर्जन ब्राउजर हैं, जो अधिक सुरक्षित है। ऐसे में आपके लिए बेहतर है कि आप इन एप्स को डाउनलोड ना करें। एप्स के बदले आप इनके वेब वर्जन का इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि कोई भी वेब ब्राउजर पूरी तरह से सुरक्षित नहीं होता है। लेकिन ब्राउजर कैमरा और माइक्रोफोन के एक्सेस के लिए आपसे बार-बार इजाजत लेते हैं, वहीं एप्स एक ही बार में पूरा एक्सेस मांग लेते हैं। ऐसे में एप्स के साथ सिक्योरिटी का खतरा अधिक है।

डिवाइस परमिशन की जांच करें
इस बात से आप भी पूरी तरह से वाकिफ होंगे कि आप जब भी किसी एप को अपने फोन या लैपटॉप में इंस्टॉल करते हैं तो वह आपसे कैमरा, कॉन्टेक्ट्स नंबर, गैलरी और माइक्रोफोन जैसे एक्सेस मांगते हैं। इसके अलावा कुछ एप्स ऐसे भी होते हैं जो लोकेशन की भी परमिशन मांगते हैं। ऐसे में आपके लिए जरूरी है कि आप इसकी जांच करें कि कौन-से एप के पास किस चीज का एक्सेस है और जरूरत ना होने पर एक्सेस बंद कर दें। ऐसे में हैकर आपकी डिवाइस में डायरेक्ट तौर पर नहीं पहुंच सकेगा।

एंड्रॉयड में ऐसे करें परमिशन की सेटिंग्स
यदि आपके पास एंड्रॉयड फोन है तो उसकी सेटिंग्स में जाकर आप एप्स का परमिशन चेक कर सकते हैं। इसके लिए इन स्टेप्स को फॉलो करें  Settings>Apps (or Apps & Notifications)>Advanced>App permissions>Camera> पर टैप करें और परमिशन को बंद कर दें। इसकी तरह माइक्रोफोन के एक्सेस को भी बंद कर दें।

आईफोन में ऐसे बंद करें एप्स की परमिशन
आईफोन की सेटिंग्स में जाकर प्राइवेसी में जाकर आप एप्स एक्सेस चेक कर सकते हैं।Settings>Privacy>Camera> पर टैप करके आप परमिशन को बंद कर सकते हैं। इसी तरह आप माइक्रोफोन वाले एक्सेस में जाकर माइक्रोफोन की परमिशन को बंद कर सकते हैं।

एपल मैक में ऐसे करें परमिशन की सेटिंग्स
मैक कंप्यूटर की सेटिंग्स में जाकर इन स्टेप्स को फॉलो करें Settings > Security & Privacy > Privacy > Camera > इसके बाद बॉक्स पर लगे टिक को हटा दें और इसकी तरह माइक्रोफोन की भी सेटिंग करें।

कंप्यूटर के लिए कैसे करें सेटिंग
कंप्यूटर में भी आपको इन स्टेप्स को फॉलो करना होगा। Settings > Privacy > Camera > इसके बाद कैमरा एक्सेस को बंद करें और फिर माइक्रोफोन मीनू में जाकर माइक्रोफोन एक्सेस को बंद करें। सेटिंग्स के अलावा समय-समय पर सॉफ्टवेयर अपडेट करते रहें। साथ ही कैमरा एक्सेस को बंद करने के लिए आप कैमरे पर टेप भी लगा सकते हैं।