आयकर विभाग के अनुसार शिवकुमार के कई अनियमित वित्तीय सौदे हैं जिनकी जांच जारी है। सिद्धार्थ के कर्ज की समस्या भारत में किसी से छुपी हुई नहीं थी। शिवकुमार के साथ लेन-देन की वजह से सीसीडी के संस्थापक सिद्धार्थ आयकर विभाग के स्कैनर में आए और उनकी परेशानियां बढ़ी। विपक्षी गलियारों में इस बात की चर्चा है कि जांच का प्राथमिक लक्ष्य डीके शिवकुमार थे। वह कर्नाटक के अमीर राजनेताओं में से एक हैं जो भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं।
उन्होंने अहमद पटेल को दोबारा राज्यसभा भेजने के लिए 2017 में बंगलूरू के पास कांग्रेस के 44 सांसदों को एक रिसॉर्ट में ठहराया हुआ था। पिछले साल कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए जेडीएस-कांग्रेस का गठबंधन करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। दस्तावेज बताते हैं कि सिद्धार्थ के खिलाफ जांच तब शुरू हुई जब शिवकुमार के आर्थिक सलाहकार एन चंद्रशेखर सुकापुरी की खोज की गई।
गोवा-कर्नाटक के आयकर विभाग के प्रधान मुख्य आयुक्त बीआर बालाकृष्णन ने कहा, ‘किसी एक की जांच से दूसरे की जांच होना सामान्य है। यह उसी तरह का एक मामला है।’ बालाकृष्णन बुधवार को सेवानिवृत्त हो गए हैं। अपने सुसाइड नोट में सिद्धार्थ ने आयकर विभाग के महानिदेशक द्वारा शोषण की बात कही है। मुख्य आयुक्त बनने से पहले कृष्णन महानिदेशक थे और उन्होंने शोषण की बात सिरे से खारिज की है।
शिवकुमार और सुकापुरी के यहां 2 अगस्त, 2017 को आयकर विभाग की छापेमारी हुई थी। जिसके बारे में विभाग के अधिकारियों का कहना था कि इसमें कांग्रेस नेता के करीबी के कैफे कॉफी डे और एम सोल स्पेस के साथ कथित आर्थिक लेन-देन मिला है। शिवकुमार के भाई और सांसद डीके सुरेश का दावा है कि आयकर विभाग सिद्धार्थ के माइंडट्री वाले शेयरों को अटैच करना चाहता था लेकिन जांच के शुरुआती स्तर पर होने की वजह से ऐसा नहीं हो पाया।
बता दें कि सिद्धार्थ एक समय माइंडट्री के सबसे बड़े शेयरहोल्डर थे लेकिन इस साल मार्च में उन्होंने अपने 20.41 फीसदी हिस्सेदारी एलएंडटी को बेच दी। इससे उन्हें 2858 करोड़ का फायदा हुआ और उन्होंने 2900 करोड़ का कर्ज चुकाया।