भारत और पाकिस्‍तान में शांति कराएगा मनमोहन-मुशर्रफ फार्मूला? बातचीत को गिड़गिड़ाई कठपुतली सरकार

International

(www.arya-tv.com) पाकिस्‍तान में शहबाज शरीफ के इस्‍तीफा देने के बाद अब केयरटेकर सरकार ने पदभार ग्रहण कर लिया है। पाकिस्‍तानी सेना प्रमुख के इशारे पर अनवारुल हक काकड़ को इस केयरटेकर सरकार का मुख‍िया चुना गया है। पाकिस्‍तानी सेना की इस कठपुतली केयरटेकर सरकार ने अब भारत से बातचीत के लिए गिड़गिड़ाना शुरू कर दिया है। यही नहीं पाकिस्‍तान के केयरटेकर विदेश मंत्री जलील अब्‍बास जिलानी ने मनमोहन सिंह और जनरल परवेज मुशर्रफ के शांति योजना को फिर से आगे बढ़ाने पर जोर दे दिया। उन्‍होंने कहा कि इससे दोनों ही परमाणु हथियार संपन्‍न देशों के बीच शांति आएगी।

पाकिस्‍तानी अखबार एक्‍सप्रेस ट्रिब्‍यून की रिपोर्ट के मुताबिक जिलानी ने एक दशक पुराने शांति प्‍लान को फिर से बहाल करने पर जोर दिया। पाकिस्‍तानी मंत्री का इशारा जनरल मुशर्रफ और मनमोहन सिंह के बीच बने शांति प्‍लान की ओर था। जिलानी साल 2003 में भारत में उप उच्‍चायुक्‍त रह चुके हैं। उन्‍हें बाद में भारत की ओर से अवांछित घोषित कर दिया गया था। जिलानी को कश्‍मीर के अलगाववादी गुटों को पैसा कराने का दोषी पाया गया था। इसके बाद जिलानी को नई दिल्‍ली से जाना पड़ा था।

पाकिस्‍तान की आगामी सरकार के लिए जमीन होगी तैयार!

जिलानी भले ही केयर टेकर विदेश मंत्री हैं और उनके पास पाकिस्‍तान की विदेश नीति को बदलने के लिए पर्याप्‍त समय और जनादेश नहीं है, लेकिन यह भविष्‍य की सरकार के लिए जमीन तैयार कर सकता है। खासतौर पर किस तरह से भारत के साथ रिश्‍ते को लेकर किस दिशा में बढ़ा जाए। जिलानी के करीबी सूत्रों ने कहा कि वह भारत के साथ रिश्‍ते सुधारने के पक्ष में है। सूत्रों ने कहा कि जिलानी का मानना है कि पाकिस्‍तान को मुशर्रफ और मनमोहन के शांति प्रक्रिया के आधार पर फिर से बातचीत शुरू करने के विकल्‍प पर विचार करना चाहिए।

पाकिस्‍तानी विदेश मंत्री का मानना है कि दोनों देशों के बीच साल 2004 और साल 2007 के बीच हुई बातचीत को फिर से शुरू किया जा सकता है। इस शांति प्रक्रिया को कश्‍मीर समेत तेजी से बढ़ते विवादों के समाधान के लिए सबसे सतत प्रयास माना जाता है। उस दौर में भारत और पाकिस्‍तान के बीच पर्दे के पीछे से हुई बातचीत से एक समय में कश्‍मीर विवाद के समाधान की दिशा में एक संभावित रोडमैप भी बन गया था। पाकिस्‍तान के तत्‍‍कालीन विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी ने सबके सामने माना था कि दोनों पक्षों ने कश्‍मीर प्रस्‍ताव पर नॉन पेपर भी साझा किया है।

मुर्शरफ की एक गलती और नहीं हो सका भारत से समझौता

उस समय ऐसा माना जाता है कि भारत और पाकिस्‍तान सिचाचिन और सर क्रीक विवाद सुलझाने के करीब पहुंच गए थे। ऐसा कहा जाता है कि साल 2007 में मनमोहन सिंह के पाकिस्‍तान दौरे पर इस समझौते पर हस्‍ताक्षर होना था। हालांकि जनरल मुशर्रफ ने अचानक से सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को हटा दिया जिससे देश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया और मुशर्रफ को आखिरकार सत्‍ता छोड़नी पड़ी। जिलानी उस समय पाकिस्‍तानी विदेश मंत्रालय में थे और उन्‍हें हर घटनाक्रम की जानकारी थी। इस बात की संभावना है कि जिलानी भविष्‍य की सरकार के लिए भारत के साथ बातचीत की जमीन तैयार कर सकते हैं।