भारत में रहकर पाकिस्तान की ओर टकटकी क्यों लगाए हैं रिबेरो साहब! एजेंडे की भी हद होती है

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(www.arya-tv.com) भेड़िया आया, भेड़िया आया और एक दिन सच में भेड़िया आ गया। आगे की कहानी भी पता ही होगी। भारत में भी एक वर्ग 2014 से ही भेड़िया आने की रट लगा रहा है। कोई दावा कर रहा है कि भेड़िया आ चुका है, कोई कहता है अभी आया भले ही नहीं हो लेकिन आएगा जरूर।

जूलियो रिबेरो (Julio Ribeiro) भी इसी भविष्यवक्ता श्रेणी के रुदाली हैं। मुंबई पुलिस कमिश्नर रह चुके हैं। उनका दावा है कि भारत एक दिन पाकिस्तान बन जाएगा, अंतर रहेगा तो बस इतना कि पाकिस्तान इस्लामी आतंकवाद का गढ़ है जबकि भारत में हिंदू कट्टरपंथ का जोर होगा।

उन्होंने भविष्य के भारत को नाम भी दे दिया है- भगवामय पाकिस्तान। अब रिबेरो को कौन समझाए कि वैचारिक संघर्ष में हार-जीत लगी रहती है, लेकिन पछाड़ खाने के बाद इस स्तर की हताशा ठीक नहीं कि बुद्धि घुटनों में आ जाए।

रिबेरो को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के क्रिया-कलापों और उनकी सरकार की नीतियों से गहरा विरोध है। बहुत क्षुब्ध जान पड़ते हैं बीते दिनों के कमिश्नर साहब। वो कहते हैं, ‘पाकिस्तान में हिंदू और ईसाई दोयम दर्जे के नागरिक के तौर पर खौफ में जी रहे हैं। ऐसा यहां (भारत में) भी हो सकता है। मुझे यही डर है।

भारत भगवामय पाकिस्तान हो जाएगा।’ वो प्रधानमंत्री मोदी की दिल्ली में ईसाई समुदाय के साथ हुई बातचीत का हवाला देकर कहते हैं कि ये सब तो केरल के ईसाइयों के बहलाने का तिकड़म है। रिबेरो कहते हैं, ‘वो (पीएम मोदी) केरल के बड़े ईसाई समुदाय को लुभाने में जुटे हैं।

एक बिशप तो उनका शिकार हो गया। मुझे लगता है कि चूंकि एक बिशप फंदे में आ गया तो दूसरे भी आ सकते हैं। देखते हैं वो (पीएम मोदी) क्या करना चाहते हैं। हमारे दोस्त भी समझने लगे हैं कि ये सभी चीजें सिर्फ वोट के लिए हैं।’

यहां तक के बयान से तो साफ झलकता है कि रिबेरो साहब भविष्य को अच्छी तरह पढ़ चुके हैं। उन्हें पीएम मोदी की मंशा और भारत के भविष्य का अच्छे से पता चल चुका है, लेकिन आगे के बयान में वो खुद ही संदेह जताने लगते हैं।

वो कहते हैं, ‘उम्मीद की जा रही है कि क्रिसमस मेसेज संभवतः (पीएम मोदी का) दिल बदलने का संकेत है। अगर ऐसा है तो यह अच्छी चीज होगी। लेकिन मुझे इसमें संदेह है क्योंकि इरादा तो एक भगवामय पाकिस्तान बनाने का ही है।’ रिबेरो जी लगे हाथ यह भी बता देते कि पीएम मोदी को क्या करना चाहिए जिससे कि उन्हें विश्वास हो कि उनका इरादा ईसाई समुदाय का सिर्फ वोट लेने का नहीं,

वाकई उनके कल्याण का भी है? वैसे तो पीएम के लिए ऐसी क्या मजबूरी होगी कि वो रिबेरो साहब को संतुष्ट करने की सोचें भी? अगर पीएम उन्हें तवज्जो दे दें तब तो पता नहीं देश में रातोंरात कितने रिबेरो उग जाएंगे।

फिर भी सवाल है कि आखिर रिबेरो साहब को कैसे यकीन हो कि भारत, भगवामय पाकिस्तान बनने के रास्ते पर नहीं है और पीएम मोदी अल्पसंख्यक समुदाय से सिर्फ उनका वोट पाने के लिए राब्ता नहीं करते?

कांग्रेस पार्टी और करीब-करीब सभी क्षेत्रीय दल खुद को अल्पसंख्यकों का हितैषी होने का ही दावा करती है। एक भी पार्टी तो नहीं जो खुद को अल्पसंख्यकों का रहनुमा नहीं बताती। एक बीजेपी ही तो हिंदुओं हितों का संरक्षक होने के प्रतीकात्मक संकेत देने की हिम्मत कर पाती है।

तो रिबेरो साहब को यह बताना चाहिए कि मुसलमानों और इसाइयों का वोट लेने वाली कांग्रेस और क्षेत्रीय पार्टियों ने उन्हें किस तरक्की के सिंहासन पर बिठाया है? जब दशकों से गैर-बीजेपी दल अल्पसंख्यकों के वोट बैंक लपकने के तिकड़म करते रहे और बदले में ‘दोयम दर्जे’ की जिंदगी दी तो रिबेरो साहब को बुरा क्यों नहीं लग रहा? अब पीएम मोदी ने इसाइयों से बात की तो इसमें भी उनकी मंशा पर सवाल है।

दरअसल, रिबेरो अब तक समझ ही नहीं पाए या समझकर भी खुद को या फिर दुनिया को धोखे में रखना चाहते हैं कि मोदी सरकार का तो एक महत्वपूर्ण एजेंडा ही है- तुष्टीकरण का विरोध। यह कहती है- सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास लेकिन तुष्टीकरण किसी का नहीं।

आईपीएस रहे रिबेरो यह नहीं समझते हों, ऐसा लगता तो नहीं। वैसे कई बार बहुत बड़ा समझा जाने वाला व्यक्ति वक्त आने पर सच में बहुत बौना साबित होता है तो रिबेरो की समझ को लेकर कुछ दावा नहीं किया जा सकता है। संभव है कि वो आईपीएस तो बन गए, लेकिन कुछ मायनों में उन्होंने अपने विवेक का विस्तार नहीं होने दिया हो।

संभव है कि छोटी सोच के साथ जीने में ही उन्हें मजा आ रहा हो। खैर, उनकी सोच उन्हें मुबारक, लेकिन कोई बौना पहाड़ की ऊंचाई पर उंगली उठाने लगे तो उसकी अक्ल ठिकाने लगाना हर जिम्मेदार व्यक्ति का दायित्व होता है।

पीएम की मंशा पर सवाल उठाने वाले रिबेरो की दरअसल चाहत यह है कि मोदी सरकार भी अल्पसंख्यक राग पर तुष्टीकरण के भौंडे नृत्य में कमर लचकाते हुए दशकों की परंपरा कायम रखे। मुसलमानों, अल्पसंख्यकों के हितों की बात तो हर चौक-चौराहे पर हो,

लेकिन हिंदू हितों पर चर्चा की सुगबुगाहट भी नहीं सके। ऐसा हुआ तो भारत, भगवामय पाकिस्तान हो जाएगा। जरा रिबेरो साहब बताएं कि पाकिस्तान में कितने हिंदू और ईसाई, मुसलमानों को धमकियां देते हैं और इस्लाम का अपमान करते हैं?

आज भी दर्जनों वीडियोज सोशल मीडिया पर तैर रहे हैं जिनमें मुसलमान हिंदुओं और यहां तक कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धमकियां दे रहे हैं। यहां तक कि कई छोटे-छोटे मुसलमान बच्चे भी हिंदुओं को खुलेआम काफिर कहते हैं और उनसे नफरत का बेहिचक इजहार करते हैं।

नूपुर शर्मा कांड में कम से कम आठ हिंदुओं की गर्दनें काट ली जाती हैं। यहां एक बड़ा मुस्लिम नेता कहता है कि 15 मिनट के लिए पुलिस को हटा लो फिर देखो हिंदुओं का क्या होता है।

फिर आम हिंदू क्या, मुसलमानों का जत्था पुलिस को नहीं बख्शता, वो निडर होकर पत्थरबाजी करता है। अगर यह मुसलमानों की दोयम दर्जे की जिंदगी का प्रतीक है तो रिबेरो की समझ पर तरस खाने के सिवा कोई और कर भी क्या सकता है।

रिबेरो एक भी उदाहरण तो दें कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय ने अपवाद के तौर पर भी ऐसा कुछ किया है जो भारत का अल्पसंख्यक हर दिन कर रहा है। पाकिस्तान में हिंदुओं और ईसाइयों ने कितने मुसलमानों की गर्दनें उतारीं, कितनी मुस्लिम बच्चियों को टुकड़े-टुकड़े करके सूटकेस में भर दिए?

पूरे उत्तर पूर्वी भारत को ईसाई बना दिया गया है। आज पंजाब में हिंदुओं का धर्मांतरण करवाकर ईसाई बनाने का अभियान जोरों पर है, फिर भी यहां इसाइयों पर दोयम दर्जे के नागरिक होने का खतरा है। रिबेरो साहब, ये भारत है, भगवामय भारत जिसमें आप ऐसे बेसिर-पैर की बातें करके हिंदुओं के खिलाफ एजेंडा चला सकते हैं।

आपको भी पता है कि भारत के भगवामय पाकिस्तान होने जैसी कोई आशंका नहीं है, वरना सत्ताधारी दल आपके बयानों का जवाब नहीं दे रहा होता, सीधे पाकिस्तानी स्टाइल में इलाज कर देता। इसलिए रिबेरो साहब और आप जैसों को सलाह है- भेड़िया-भेड़िया की फालतू रट छोड़िए वरना गलती से भी भेड़िया आ गया तो आगे की कहानी मालूम ही है।

हां, आप अपने एजेंडे को हवा देते रहकर भी बेफिक्री की जिंदगी बिता सकते हैं क्योंकि कोई सच्चा देशभक्त भगवामय भारत को तो दिल में बसाएगा लेकिन इस पर पाकिस्तान की थोड़ी सी छाप भी पड़ने नहीं देगा।