(www.arya-tv.com) लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर से जुड़े दो विधेयक पेश किए थे। इनका नाम जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 है। सदन में बिलों पर हुई चर्चा का अमित शाह ने बुधवार को जवाब दिया।
इसके बाद दोनों बिल लोकसभा से पारित हो गए। इस दौरान अमित शाह ने यह भी बताया कि पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) के लिए 24 सीटें आरक्षित की गई हैं। इसकी वजह यह है कि PoK हमारा है। इसके जरिये सरकार ने अपनी मंशा साफ कर दी है।
उसने बता दिया है कि पीओके को लेकर उसके स्टैंड में रत्तीभर फर्क नहीं आया है। वह इस क्षेत्र से पाकिस्तान को खदेड़कर मानेगी। आखिर क्या है PoK? PoK की इन 24 सीटों का चक्कर क्या है? ये दो बिल सरकार क्यों लाई है? आइए, यहां इन सवालों को समझने की कोशिश करते हैं।
क्या है PoK?
इस सवाल का जवाब जानने के लिए आजादी से पहले के पन्ने पलटने होंगे। 1947 के बंटवारे के वक्त और इसके पहले तक जम्मू-कश्मीर आजाद रियासत थी। अंग्रेज इस रियासत को इसके तत्कालीन महाराजा हरिसिंह को सौंप गए थे।
जब दूसरी रियासतों का भारत में विलय हो रहा था, उस वक्त हरिसिंह हीलाहवाली करने में लग गए। वह इस स्वतंत्र रियासत के महाराजा बने रहना चाहते थे। इस बीच पाकिस्तान की फौजों ने कबाइली बनकर कश्मीर पर हमला कर दिया।
हरिसिंह के विलय समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद भारतीय फौजें कश्मीर में पहुंच गईं। हालांकि, तब तक कश्मीर के एक हिस्से पर कब्जा हो चुका था। उस वक्त हमारी फौजें आसानी से पाकिस्तान को खदेड़ भी देतीं।
लेकिन, तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पाकिस्तान के साथ युद्ध के समय संघर्ष विराम का फैसला लिया। सिर्फ यही नहीं, वह जम्मू-कश्मीर के मामले को संयुक्त राष्ट्र में लेकर चले गए। यह मामला वहां तभी से फंसा है। पाकिस्तान के कब्जे वाले इस क्षेत्र को ही PoK कहते हैं।
पाकिस्तान ने PoK के साथ क्या किया?
पाकिस्तान के कब्जे वाले भारत के इस हिस्से में लोग भारी तकलीफ से गुजर रहे हैं। पाकिस्तान PoK को सेना और आईएसआई के आतंकी शिविरों के तौर पर इस्तेमाल करता है।
यहां से सभी तरह की भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान इस क्षेत्र को पाकिस्तान नियंत्रित कश्मीर करार देता है। वहीं, भारत अपने इस हिस्से को PoK कहता है।
क्या है जम्मू-कश्मीर से जुड़े विधेयकों को लाने के पीछे मंशा?
सरकार जम्मू-कश्मीर से जुड़े दो विधेयक संसद में लेकर आई है। इनमें से एक है जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक। दूसरा है जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक। पहला विधेयक जम्मू कश्मीर आरक्षण अधिनियम 2004 में संशोधन करता है।
यह अनुसूचित जाति और जनजाति के अलावा अन्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों को नौकरियों और व्यावसायिक संस्थानों में आरक्षण प्रदान करता है।
दूसरी ओर जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 में संशोधन करता है। प्रस्तावित विधेयक से विधानसभा सीटों की कुल संख्या बढ़कर 83 से बढ़कर 90 हो जाएगी।
इसमें अनुसूचित जाति के लिए 7 सीटें और अनुसूचित जनजाति के लिए 9 सीटें आरक्षित हैं।साथ ही उपराज्यपाल कश्मीरी प्रवासी समुदाय से एक महिला सहित दो सदस्यों को विधान सभा में नामांकित कर सकते हैं। पीओके लिए 24 सीटें आरक्षित की गई हैं
PoK के लिए 24 सीटें आरक्षित करने का मतलब क्या है?
जम्मू-कश्मीर राज्य के विभाजन से पहले विधानसभा में कुल 111 सीटें थीं। इनमें कश्मीर डिवीजन में 46, जम्मू डिवीजन में 37, लद्दाख में चार और बाकी 24 सीटें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यानी पीओके के लिए आरक्षित थीं।
4 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया। इससे राज्य को मिला विशेष स्थिति का दर्जा खत्म हो गया। इसके बाद जम्मू-कश्मीर में 107 सीटें रह गईं।
विधानसभा मानचित्र को फिर से तैयार करने के लिए 2020 में केंद्र सरकार ने परिसीमन आयोग का गठन किया। उसने जम्मू क्षेत्र के लिए छह अतिरिक्त सीटों (संशोधित 43) और कश्मीर घाटी के लिए एक (संशोधित 47) की सिफारिश की।
इससे विधानसभा सीटों की कुल संख्या हो गई 90 हो गई। इसमें पीओके में रहने वाले लोगों के लिए आरक्षित 24 सीटें शामिल नहीं हैं। ये सीटें तब तक खाली रहेंगी जब तक कि इस क्षेत्र पर पाकिस्तान का कब्जा खत्म नहीं हो जाता।
साथ ही वहां रहने वाले लोग अपने प्रतिनिधियों का चुनाव नहीं कर लेते। यह सरकार की पीओके को पाकिस्तान के कब्जे से खाली कराने की प्रतिबद्धता को भी जाहिर करता है।