जहां नारियों का सम्मान होता है, वहां देवताओं का वास होता है: राष्ट्रपति

Lucknow
  • राष्ट्रपति ने कृष्ण कुटीर आश्रय सदन, जनपद मथुरा में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित किया
  • बाल विवाह, सती प्रथा और दहेज प्रथा की तरह विधवा जीवन की कुरीति को भी समाज से दूर करना होगा
  • तिरस्कृत माताओं और बहनों के जीवन को सुधारने के लिए राजाराम मोहन राय, ईश्वरचन्द विद्या सागर और स्वामी दयानन्द द्वारा किए गए प्रयासों को आगे बढ़ाना होगा
  • मुख्यमंत्री जी सभी माताओं और बहनों के जीवन को सुगम और सरल बनाने के लिए प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रहे: राष्ट्रपति
  • महिलाओं के पुनर्विवाह, आर्थिक स्वावलम्बन, पारिवारिक सम्पत्ति में हिस्सेदारी, सामाजिक अधिकारों की रक्षा जैसे उपाय किये जाएं: राष्ट्रपति
  • कम उम्र की विधवा महिलाओं के पुनर्विवाह के प्रयास होने चाहिए, इस सामाजिक परिवर्तन के लिए समाज के साथ-साथ सामाजिक संस्थाओं और आम लोगों को आगे आने की आवश्यकता: राज्यपाल
  • यह एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम, जिसमें देश के राष्ट्रपति जी ने महिलाओं के साथ संवाद करके उनके दुःख दर्द को समझा, उनका यह कार्य रूढ़िवादी व्यवस्था पर एक प्रहार: मुख्यमंत्री
  • आयुष्मान भारत योजना तथा मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के अन्तर्गत माताओं को स्वास्थ्य सुविधा प्रदान की जा रही
  • वृन्दावन के साथ-साथ बनारस, अयोध्या, गोरखपुर और प्रदेश के अन्य स्थानों पर भी निराश्रित महिलाओं के लिए इस प्रकार के आश्रय स्थलों के निर्माण की कार्यवाही की जा रही
  • प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार द्वारा किए जा रहे 08 वर्षों के कार्यों का परिणाम लोगों के जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में देखने को मिल रहा
  • केन्द्र और राज्य सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा निरन्तर सुविधाओं को आगे बढ़ाने के लिए कार्य किया जा रहा
  • राष्ट्रपति, राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री ने श्री बांके बिहारी जी मन्दिर में श्री बांके बिहारी जी का दर्शन-पूजन किया
  • कृष्ण कुटीर आश्रय सदन में माताओं के लिए बनाए गए अस्पताल का निरीक्षण कर वृद्ध माताओं को दी जाने वाली सुविधाओं की जानकारी प्राप्त की
  • राष्ट्रपति ने कृष्ण कुटीर में रहने वाली माताओं द्वारा तैयार किए गए विभिन्न प्रकार के उत्पादों का अवलोकन किया
  • राष्ट्रपति ने निराश्रित माताओं को आवश्यक सामग्री प्रदान की

(www.arya-tv.com)भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द जी ने कहा कि माँ अनेक कठिनाइयों को सहन करके अपने बच्चों का पालन-पोषण करती है तथा उन्हें योग्य बनाती है। लेकिन समाज के कुछ व्यक्तियों द्वारा महिलाओं को उपेक्षित करके जीवन अकेला गुजारने के लिए मजबूर कर दिया जाता है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि जहां नारियों का सम्मान होता है, वहां देवताओं का वास होता है। इसलिए हमें माता और बहनों का सम्मान करना चाहिए।

राष्ट्रपति ने यह विचार आज कृष्ण कुटीर आश्रय सदन, जनपद मथुरा में आयोजित कार्यक्रम के अवसर पर व्यक्त किए। इस अवसर पर उन्होंने विधवा एवं निराश्रित महिलाओं से भेंट की। उन्होंने कहा कि वेदों की रचना करने वाली लोपामुद्रा, अपाला और घोषा जैसी महिला ऋषियों वाले समाज में महिलाओं के तिरस्कार की स्थितियां बनती हैं, यह एक कड़वा सच है। हमें बाल विवाह, सती प्रथा और दहेज प्रथा की तरह विधवा जीवन की कुरीति को भी समाज से दूर करना होगा। समाज को इसके प्रति अपना नजरिया बदलने की आवश्यकता है। समाज को जागृत होना होगा और अनेक संतांे और समाज सुधारकों को तिरस्कृत माताओं और बहनों के जीवन को सुधारने के लिए राजाराम मोहन राय, ईश्वरचन्द विद्या सागर और स्वामी दयानन्द द्वारा किए गए प्रयासों को आगे बढ़ाना होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जी सभी माताओं और बहनों के जीवन को सुगम और सरल बनाने के लिए प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रहे हैं। केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा वृन्दावन में कृष्ण कुटीर का निर्माण किया गया है। मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में अब कृष्ण कुटीर को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भरपूर सहयोग दिया जा रहा है। वृन्दावन की माता एवं बहनों के लिए प्रदेश सरकार द्वारा मासिक पेंशन की भी व्यवस्था की गई है और माताओं की देखभाल केन्द्र व राज्य सरकार मिलकर कर रही हैं। राष्ट्रपति जी ने केन्द्र व राज्य सरकार के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि प्रदेश की राज्यपाल जी एवं मुख्यमंत्री जी ने महिलाओं के दुःख दर्द सुनने और उनकी पीड़ाओं को कम करने तथा उनसे मिलने का कार्यक्रम बनाया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि समाज में इस प्रकार के आश्रय गृहों की आवश्यकता नहीं पड़नी चाहिए। एक ऐसा माहौल तैयार किया जाना चाहिए, जिसमें समाज में जागरूकता उत्पन्न हो और महिलाओं के पुनर्विवाह, आर्थिक स्वावलम्बन, पारिवारिक सम्पत्ति में हिस्सेदारी, सामाजिक अधिकारों की रक्षा जैसे उपाय किये जाएं। साथ ही, महिलाओं को आत्मसम्मान तथा आत्मविश्वास से भरपूर जीवन जीने का अवसर दिया जाए। माताओं को समाज की मुख्यधारा में शामिल किया जाए और उनका सम्पर्क बढ़ाया जाए तथा तीज-त्यौहारों में भी उनको शामिल किया जाए।

राष्ट्रपति ने कहा कि पुराने प्रचलन में विधवा महिलाएं सफेद साड़ी पहनकर रहती थीं, लेकिन आज रंगीन कपड़े पहनती हैं। यह एक क्रान्तिकारी परिवर्तन है। बदलते भारत की तस्वीर हमारी माताएं भी देखना चाहती हैं। राष्ट्रपति जी ने मुख्यमंत्री जी एवं सुलभ इण्टरनेशनल संस्था के संस्थापक श्री बिन्देश्वरी पाठक तथा अन्य समाज सेवी संस्थाओं से आग्रह किया कि इन माताओं को देश व प्रदेश का दर्शन कराया जाए।

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनन्दीबेन पटेल ने ब्रज की भूमि को पवित्र बताते हुए कहा कि यह राधा और कृष्ण की लीलाओं की स्थली है। यहां अनेक प्रसिद्ध मन्दिर-श्री बांके बिहारी जी, गोविन्द जी, राधाबल्लभ, निधिवन, वैष्णो देवी आदि मन्दिर विद्यमान हैं। उन्होंने कहा कि वृन्दावन की प्राकृतिक छटा देखने योग्य है। यह नगर हिन्दू समाज की धार्मिक आस्थाओं से जुड़ा है। यही कारण है कि अनेक विधवा महिलाओं को वृद्धावस्था में यहां जीवन-यापन करने के लिए छोड़ दिया जाता है। यहां प्रदेश ही नहीं, बल्कि अनेक देशों व प्रदेशों से महिलाएं आती हैं। वर्तमान में कृष्ण कुटीर आश्रय सदन में 157 महिलाएं जीवन-यापन कर रही हैं। उन्होंने कहा कि कृष्ण कुटीर आश्रय सदन में 1,000 महिलाओं के रहने की व्यवस्था है, जिसका प्रबन्ध केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा किया जा रहा है।

राज्यपाल  ने कहा कि जहां भी विधवा एवं निराश्रित महिलाएं परेशान हों, उन्हें लाकर इस आश्रम में रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि अक्सर कम उम्र में महिलाओं की शादी कर दी जाती है। कम उम्र की विधवा महिलाओं के पुनर्विवाह के प्रयास होने चाहिए। इस सामाजिक परिवर्तन के लिए समाज के साथ-साथ सामाजिक संस्थाओं और आम लोगों को आगे आने की आवश्यकता है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है, जिसमें देश के राष्ट्रपति जी ने महिलाओं के साथ संवाद करके उनके दुःख दर्द को समझा है। उनका यह कार्य रूढ़िवादी व्यवस्था पर एक प्रहार है। राष्ट्रपति जी ने श्री बांके बिहारी जी के दर्शन के पश्चात् इन महिलाओं से संवाद बनाया है, जिसके लिए मुख्यमंत्री जी ने उनका हृदय से आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि केन्द्र व राज्य सरकार का उद्देश्य है कि इन महिलाओं का जीवन सुगमता से व्यतीत हो और इन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी न हो।