जीवन में गिरकर कैसे उठना है, हमें बाज से सीखना चाहिए यह प्रकृति ही हमें सिखाती है।

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  • दोस्तो, आज का टॉपिक है: Bounce Back. जीवन में गिरकर कैसे उठना है, हमें बाज से सीखना चाहिए यह प्रकृति ही हमें सिखाती है।
Vishal Saxena

(www.arya-tv.com)प्रकृति के नियम बड़े ही निराले है जीवन भी देते है, कष्ट भी, फल भी और मृत्यु भी, प्रकृति से छेड़छाड़ का ही नतीजा है कारोना और प्रकृति ही हमें सिखाती है कि आगे बढ़ कर सफलता कैसे प्राप्त की जा सकती है।

सोने की निखार तभी होती है जब वो आग में तपता है, और जीवन में निखार भी तपने से ही आता है और प्रकृति का नियम भी यही है।

बहुत कुछ हमारी आंखों के सामने हो रहा है, हमारी आंखों के सामने बहुत कुछ घटित हो रहा है पर हम अनभिज्ञ हैं, हमें समझ ही नहीं आ रहा प्रकृति हमें रोज सिखा रही कि जलना तो पड़ेगा ही।

देखो कहानी इसकी, यह बर्ड किंगडम का राजा है ईगल, प्रकृति रोज सिखाती है अगर आप किंगडम का राजा बनना चाहते हैं तो आपको जलना पड़ेगा ही।

70 साल औसतन उम्र होती है इसकी पर इसकी कहानी का ट्विस्ट क्या है और ट्विस्ट यह है जब यह 40 साल का हो जाता है तब इसकी चोंच bent हो जाती है सॉफ्ट हो जाती है शिकार नहीं कर पाता और इसके जो पंख है वह इतने भारी हो जाते हैं कि शरीर से चिपक जाते हैं तो उसको उड़ने में तकलीफ होती है और तो और उसके पैरों के नाखून जिससे वह शिकार पकड़ता है वह भी टेढ़े हो जाते हैं।

अब इसके पास चॉइस है या तो यह मर जाए क्योंकि उड़ने में तकलीफ है शिकार पकड़ नहीं सकता और अगर पकड़ भी लिया तो चोंच से मार नहीं सकता, या तो वो 40 साल में मर जाए पर मैं आपको बताना चाहूंगा कि प्रकृति सिखाती है की ईगल ऐसा नहीं करता 40 साल की उम्र में ईगल अपने एरिया की सबसे ऊंची चोटी पर चला जाता है और सामने वाले पत्थर पर अपनी चोंच मार-मार कर तोड़ता है लहूलुहान हो जाता है खून से लथपथ हो जाता है और मारता रहता है मरता रहता है और अपनी चोंच तोड़ देता है इसलिए की प्रकृति उसको नई चोंच देगी पर यह तोड़ने का जो प्रोसेस है वह बहुत पीड़ादायक है, सेम कहानी है यह जो उसके पैर के नाखून होते हैं उसको रगड़ता है शीला के ऊपर और रगड़ रगड़ कर- रगड़ रगड़ कर उसको भी तोड़ देता है कितना pain फुल होता होगा पर हर ईगल की जिंदगी में 40 साल में यह दिन आता है।

और कहानी यहां खत्म नहीं होती और नई चोंच आती है तो चोंच से अपने ही परों को तोड़ता है अपने शरीर से उखाड़ता है क्योंकि उसके यह पर उड़ने के लायक नहीं रहे भयंकर पीड़ा होती होगी, भयंकर, पर हर ईगल इस प्रोसेस से गुजरता है और 40 साल के इस प्रोसेस में 6 महीने बाद वह एक नया ईगल हो के 30 साल और जीता है, “तो आहुति तो देनी पड़ेगी आपको” आज, कल या परसो चॉइस आपकी है।

मैं फिर कहता हूं कि आज कंफर्टेबल हो जाएंगे तो बाद में जिंदगी अनकंफरटेबल हो जाएगी और अगर आज अनकंफरटेबल होंगे तो कल जिंदगी कंफर्टेबल पर हो जाएगी।

विशाल सक्सेना (लेखक आर्य टीवी के विशेष संवाददाता हैं और समय समय पर सामाजिक मुद्दों पर लिखते रहतें हैं।)