पत्नी को भाजपा में क्यों शामिल कराना चाहते हैं मुनव्वर

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(www.arya-tv.com)

‘सियासी गुफ्तगू मत कीजिए, अच्छा नहीं लगता,
रफू पर फिर रफू मत कीजिए, अच्छा नहीं लगता,
बहाया कीजिए दो-चार आंसू भी मुहब्बत में
इबादत बेवुज़ू मत कीजिए अच्छा नहीं लगता’

मेरा नहीं बोलना भी…बोलने जैसा ही है

मशहूर शायर मुनव्वर राणा कहते हैं, ‘मैं चाहता हूं कोई भी चुनाव जीतकर आए। वह इस उत्तर प्रदेश में मोहब्बत का ऐसा फूल खिलाए। नफरत का गंदा पानी दिखाई ना दे। बेटी को कांग्रेस से टिकट मिलने पर बोले, हम अब मोदी जी से कहकर अपनी पत्नी को भाजपा में शामिल करवाते हैं। अबकी सियासत में सबकी प्यास बुझा लेने देते हैं। फिर हंसते हुए कहते हैं कि, लेकिन इस पर हमारी पत्नी नाराज हो जाती है’।

सीएम योगी पर तंज कसते हुए मुनव्वर कहते हैं, अब बड़ा मुश्किल वक्त है। मेरा नहीं बोलना भी…बोलने जैसा ही है। एक मेरे दोस्त हुआ करते थे वहदुल्ला सलीम। उन्होंने कहा था…
‘कुछ इश्क था कुछ मजबूरी थी
सो मैंने जीवन वार दिया
मैं कैसा जिंदा आदमी था
एक शख्स ने मुझको मार दिया’

आखिरी पड़ाव पर मैं तमाशा बन गया हूं

उन्होंने कहा कि उम्र के आखिरी पड़ाव पर मैं तमाशा बन गया हूं। मुझे अफसोस होता है। बेटी को टिकट मिलने पर उन्होंने बाप का दर्द बयां करते हुए एक कहानी सुनाई। बोले-हमारा सूरत-ए-हाल यही है। कहानी कुछ यूं है कि एक किसान की कई बेटियां थीं। एक बेटी किसान को ब्याही थी। दूसरी बेटी कुम्हार को ब्याही थी। जब किसान बेटी के घर गया तो उसने कहा, बाबा मेरे लिए इतनी दुआ जरूर कर देना कि बारिश हो जाए।

बेटी से बाप ने कहा ठीक है। फिर वह बाप दूसरी बेटी के घर पहुंचा। उस बेटी ने भी घर से निकलते वक्त कहा कि बाबा तुम दुआ करना कि बारिश न हो पाए क्योंकि हमारे सभी घड़े मटके खराब हो जाएंगे। अब उस बाप के लिए बहुत ही मुश्किल हालात हो जाते हैं।

ऐसे ही हमारे बेटे जो हैं उनको सियासत का शौक है। वह किसी भी पार्टी के साथ नहीं है। हमारे साथ ही वह रहते हैं। लेकिन लड़कियां जो हैं, वह पराया धन है। वह अपने-अपने घर की हो गईं। पांच बेटियों में तीन को नेतागिरी का शौक है।

अभी इलेक्शन का तापमान बढ़ा हुआ है

मुनव्वर कहते हैं कि मैं बेटी को टिकट मिलने के बाद अपनी पत्नी को कहता हूं कि तुम चलो तुमको ले चलते हैं मोदी जी से मिलवा देते हैं। आपको भाजपा में शामिल कर लें। और सबको एक ही जगह टिकट मिल जाए। सब सियासत की प्यास बुझा लें, लेकिन इस पर हमारी पत्नी नाराज हो जाती हैं।

राणा ने कहा अभी इलेक्शन का तापमान बढ़ा हुआ है। सबको मेरी दुआएं हैं। सबके साथ सिर्फ मेरी बेटी ही नहीं कोई भी बेटी हो। वह कामयाब हो। मेरे जैसा फकीर तो केवल दुआ दे सकता है। चाहे कोई जीते कोई हारे।

सियासत मतलब की है मेरा सियासत से कोई मतलब नहीं
मुनव्वर कहते हैं कि सियासत मतलब की है। हमारा कभी सब्जेक्ट नहीं रहा है। मैं राजनीति से बहुत दूर भागता हूं। मेरा कोलकाता में कम्युनिस्टों का बहुत साथ रहा। कांग्रेसियों का बहुत साथ रहा। हमारे भाजपा वालों से बहुत अच्छे ताल्लुकात हैं।

एक बेटी सपा तो दूसरी कांग्रेस में
CAA-NRC प्रोटेस्ट के दौरान मुनव्वर की बेटियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। मुनव्वर राणा की पांच बेटियां हैं। इनमें तीन सुमैया, फौजिया और उरुशा सियासत में हैं। सुमैया और उरुशा कांग्रेस में शामिल हो गईं थीं। हालांकि सुमैया बाद में कांग्रेस छोड़कर सपा में शामिल हो गईं। सोमवार को कांग्रेस ने उरुशा को उन्नाव की पुरवा विधानसभा से टिकट भी दे दिया है।