पूर्वांचल विद्युत वितरण के निजीकरण का विरोध:25 सितंबर से 2 अक्टूबर तक जताएंगे विरोध

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(www.arya-tv.com)वाराणसी में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की सुगबुगाहट से कर्मचारियों में रोष है। कर्मचारियों ने पंडित दीन दयाल उपाध्याय के जन्मदिन 25 सितंबर से महात्मा गांधी के जन्म दिन 2 अक्टूबर तक लोकसभा के सभी सांसदों को ज्ञापन देने की रणनीति तैयार की है। मंगलवार को आज जिला कांग्रेस कमेटी वाराणसी एवं पंडित कमलापति त्रिपाठी फाउंडेशन ने संघर्ष समिति को अपना समर्थन भी दिया है। राज्य विद्युत परिषद के जनपद अध्यक्ष, एसडीओ संजय कुमार और जेई गुलाब चंद ने बताया कि निजीकरण से 21 जिलों में 10 हजार डायरेक्ट और 30 इन डायरेक्ट (संविदा) कर्मी प्रभावित होंगे। 23 जुलाई को केंद्रीय मंत्री के बैठक में निजीकरण को लेकर प्लानिंग हुई है।

हजारों सरकारी नौकरियों पर खतरा आएगा

जेई संजय कुमार ने बताया कि सरकार अब सरकारी नौकरी को खत्म करना चाहती है। अभी जो बिजली की दर आम आदमी के लिए करीब 7 रुपए प्रति यूनिट है, वो निजीकरण के बाद सीधे 10 रुपए प्रति यूनिट से ज्यादा हो जाएगा। संविदा कर्मचारियों का समझौता हमारे निगम से है। जिसको प्राइवेट कंपनी कभी नहीं मानेगी।

2010 से आगरा में निजीकरण से सरकार को लगातार नुकसान

विद्युत कर्मचारी संयुक्त समिति के मीडिया सचिव अंकुर पांडेय ने बताया कि सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक आगरा में अब तक उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन को 600 करोड़ का नुकसान हो चुका है। वहां कंपनी सरकार से साढ़े तीन रुपए प्रति यूनिट बिजली खरीद कर साढ़े छह से सात रुपए में बेच रही है। जबकि, वही हम पूर्वांचल में सीधे 7 रुपए प्रति यूनिट बिजली जनता को दे रहे हैं। बीच का पैसा प्राइवेट कंपनी को आखिर क्यों दिया जा रहा है। इसी वजह से 600 करोड़ का घाटा अब तक हुआ है।

निगम को न चलने वाली योजनाओं से नुकसान होता है

अंकुर पांडेय ने बताया की टेक्निकल और कमर्शियल लास पहले 52 प्रतिशत था, जो अब 26 प्रतिशत तक आ गया है। ये नुकसान जैसे सरकार द्वारा अंडरग्राउंड केबलिंग करवाई गई, इसके टेंडर के पैसे कंपनी को मिले भी गए और कंपनी काम को अधूरा छोड़ चली गयी। ये नुकसान कॉमर्शियल और टेक्नीकल दोनों हुआ। वैसे ही पहले स्मार्ट मीटर, डिजिटल मीटर जैसी योजनाओं में लंबा नुकसान हो चुका है। फायदा प्राइवेट कंपनियों को ही हुआ है। रूरल एरिया के सब्सिडी के पैसे, सरकारी विभागों के पैसे, सरकारी योजनाओं की वजह से वित्तीय नुकसान होता है, फिर भी निगम 7 रुपए प्रति यूनिट आसानी से वसूल लेता है।