रूस को यूक्रेन के सरहदी इलाकों से कदम पीछे खींच लेने चाहिए। इसी में सबकी भलाई

# ## International

(www.arya-tv.com) यूक्रेन और रूस के बीच जंग की आशंका बनी हुई है। ब्रिटेन, अमेरिका और नाटो देश रूस पर दबाव बना रहे हैं कि वो यूक्रेन पर हमले के इरादे को छोड़ दे। इस बीच, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने मंगलवार को यूक्रेन विजिट पर जाने का फैसला किया है। रूस-यूक्रेन विवाद के बीच किसी राष्ट्राध्यक्ष का यह पहला कीव दौरा होगा। माना जा रहा है कि जॉनसन वहां प्रेसिडेंट जेलेंस्की से मुलाकात करेंगे और जंग की सूरत में रूस के खिलाफ कार्रवाई पर रणनीति तय करेंगे।

दौरे के एक दिन पहले जॉनसन ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन को दो टूक शब्दों में चेतावनी दी। कहा- रूस को यूक्रेन के सरहदी इलाकों से कदम पीछे खींच लेने चाहिए। इसी में सबकी भलाई है।

वो जंग के मंसूबे छोड़ दे
यूक्रेन दौरे पर जा रहे बोरिस जॉनसन के बारे में माना जा रहा है कि वो वहां से भी पुतिन को यही सख्त संदेश देंगे कि वो जंग के मंसूबे छोड़ दे। जॉनसन के साथ विदेश मंत्री लिज ट्रूस भी जा रही हैं। कीव रवाना होने से पहले जॉनसन ने एक इंटरव्यू में कहा- मैं प्रेसिडेंट पुतिन से वही कहना चाहता हूं जो पहले भी कह चुका हूं। उनके लिए अब भी मौका है कि वो कदम पीछे खींच लें। अगर रूस ने 2014 की गलती दोहराई तो दुनिया के लिए भी इसके बहुत खतरनाक नतीजे होंगे। खुद रूस भी इससे बच नहीं पाएगा। यूक्रेन के लोग जान दे देंगे, लेकिन वो रूस के आगे झुकेंगे नहीं।

काउंसिल में यूक्रेन मसले पर विचार होगा
सोमवार को यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में यूक्रेन मसले पर विचार होगा। माना जा रहा है कि यहां अमेरिका और ब्रिटेन एक साथ होंगे, जबकि रूस का साथ चीन दे सकता है। चीन में 4 फरवरी से विंटर ओलिंपिक्स होने हैं। अमेरिका के सहयोगी देशों जैसे ब्रिटेन, जापान और कनाडा ने इन खेलों को डिप्लोमैटिक बायकॉट किया है। इसके मायने ये हुए कि इन देशों के एथलीट्स तो यहां जाएंगे, लेकिन कोई ऑफिशियल किसी प्रोग्राम में शामिल नहीं होगा।

ब्रिटेन भी यूरोप का ही हिस्सा
ब्रिटेन भी यूरोप का ही हिस्सा है और उसे लगता है कि अगर रूस ने यूक्रेन पर कब्जा कर लिया तो इससे उसे और पूरे यूरोप को खतरा पैदा हो जाएगा। यूक्रेन और ब्रिटेन के करीब कारोबारी रिश्ते हैं। यही वजह है कि ब्रिटेन ने जंग की आशंका देखते हुए सबसे पहले यूक्रेन को सैन्य मदद भेजी। उसने एंटी टैंक वेपन्स और मिसाइलें कीव भेजीं। इतना ही नहीं अपने 30 सैनिकों का एक दस्ता कीव भेजा ताकि वो वहां की मिलिट्री को इन हथियारों के इस्तेमाल की ट्रेनिंग दे सकें। ब्रिटेन और अमेरिका के अलावा नाटो के सभी देश चाहते हैं कि यूक्रेन इस संगठन में शामिल हो जाए। दूसरी तरफ, रूस को लगता है कि अगर यूक्रेन नाटो का हिस्सा बन गया तो उसकी सुरक्षा को बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा।