ये कैफे खौफ की दीवार को करते हैं धराशाई, जनता की खातिरदारी करती है ‘भौकाल’ पुलिस

Meerut Zone

(www.arya-tv.com) अपराध के सामाजिक सरोकार होने के कारण पुलिस का समाज के साथ प्रत्यक्ष और घनिष्ठ संबंध हैं। आला अधिकारी भी पुलिस-पब्लिक के मधुर संबंधों पर जोर देते हैं। मेरठ, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर की पुलिस लाइंस में स्थापित कैफे इसी कवायद का हिस्सा हैं। दीवारों पर भौकाल, राउडी राठौर, शोले, अंधा कानून, शक्ति, शूल आदि फिल्मों के पोस्टर पुलिस के ‘सिंघम’ अवतार को दर्शाते हैं तो एक ही टेबल पर चाय की संयुक्त चुस्कियां पुलिस-पब्लिक के बीच बनी खौफ की दीवार भी धराशाई करती नजर आती हैं।

2019 में पूर्व डीजीपी ओपी सिंह ने लखनऊ में पुलिस कैफेटेरिया खुलवाया था। उसी तर्ज पर मेरठ पुलिस लाइन में भी चाय की पुरानी कैंटीन को नोएडा और दिल्ली की तर्ज पर कैफेटेरिया में तब्दील किया है। कैफेटेरिया के काउंटर को पुलिस जीप का रूप दिया है। छत पर एक मोटी रस्सी बांधी गई है। एसपी यातायात जितेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि यहां चाय सात रुपये, फलों का जूस 20 रुपये, काफी 10 और कोल्ड काफी 20 रुपये की है। खाना और नाश्ता भी बाजार से काफी सस्ता है। रोजाना औसतन 100 ग्राहक पहुंच रहे हैं। वाईफाई सुविधा है। एसएसपी प्रभाकर चौधरी का कहना है कि पुलिस व आमजन को कैफेटेरिया में नया अनुभव हो रहा है।

पुलिस लाइन में संचालित ‘बेलआउट कैफे’ के अंदर गजब का इंटीरियर तथा दीवारों पर लिखे स्लोगन पुलिस की स्वच्छ छवि को दर्शाने की एक कोशिश है। यहां चाय, काफी, कोल्ड काफी, खाना और तमाम व्यंजन उपलब्ध हैं। पुलिसकर्मी तथा आमजन एक साथ खाना खाने पहुंच रहे हैं। दीवारों पर भौकाल, राउडी राठौर, शोले, अंधा कानून, शक्ति, शूल आदि फिल्मों के पोस्टर लगाए गए हैं। बच्चों के लिए खास पेंटिंग की गई है। जिले में तैनात आइपीएस प्रीति यादव ने इस कैफे का इंटीरियर डिजाइन तथा नामकरण किया है। एसएसपी आकाश तोमर कहते हैं, नो प्राफिट-नो लास पर आधारित यह कैफे पुलिस-पब्लिक के बीच दूरी घटाने में अहम भूमिका निभाएगा।

पुलिस लाइन में खुले पुलिस कैफे में दीवारों पर पुलिस की चीता मोबाइल वाली बुलेट बाइक और पुलिसकर्मियों की फोटो टंगी हैं। छत और दीवारों पर काला पेंट है, जिस पर पुलिस के प्रति सकारात्मक विचार लिखे हैं। मुख्य गेट पर शिकायत-सुझाव पेटिका टंगी है। सात अगस्त 2020 को कैफे की शुरुआत एसएसपी अभिषेक यादव ने की थी। वह भी परिवार के साथ यहां आते हैं। जंक फूड के बजाय ग्राहकों को हेल्दी फूड दिया जाता है। 15-20 हजार रुपये प्रतिमाह बचत करके पुलिस विभाग को दिए जाते हैं।