(www.arya-tv.com) आगरा में बढ़ती बंदरों की संख्या और उनके हमलों ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए नगर निगम ने बंदरों की नसबंदी के साथ अब रेस्क्यू सेंटर खोलने की योजना तैयार की है। इसके लिए वन विभाग से अनुमति मांगी है।दरअसल ताजमहल से लेकर कलेक्ट्रेट, एसएन मेडिकल कॉलेज, रेलवे स्टेशन, स्कूल तथा कॉलेजों में बंदरों के आतंक से हर कोई परेशान है। आगरा में हर महीने 2 हजार से अधिक लोग बंदरों द्वारा काटने की घटनाएं होती हैं। आगरा में बंदरों की संख्या 35 हजार के पार हो चुकी है। नगर निगम द्वारा बंदरों की नसबंदी की जा रही है लेकिन वन विभाग ने 500 बंदरों की नसबंदी करने की ही स्वीकृति दी है। ऐसे में बंदरों की समस्या का नगर निगम ने स्थायी समाधान करने के लिए नया रास्ता खोजा है।
नगर निगम के पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डॉ. अजय कुमार सिंह ने बताया कि वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के परिशिष्ट-2 की प्रविष्टि 17 ए के अनुसार बंदर वन्य जीव है और संरक्षित हैं। वन विभाग से 500 बंदरों की नसबंदी की अनुमति मिली थी। ताजमहल और एसएन मेडिकल कॉलेज आदि क्षेत्र से बंदरों को पकड़कर उनकी नसबंदी की जा रही है। साथ ही इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए नगर निगम ने वन विभाग को बंदरों के लिए रेस्क्यू सेंटर खोलने की योजना तैयार कर प्रस्ताव भेजा है।
शहर में कई जगह खोले जाएंगे सेंटर
डॉ. सिंह ने बताया कि रेस्क्यू सेंटर शहर में उन खाली स्थानों पर खोले जा सकेंगे जहां बंदर आसानी रह सकेंगे। इसके पीछे नगर निगम की मंशा यह कि जब बंदरों को एक ही स्थान पर खेलने तथा खाने को मिलेगा तो वे शहर की कॉलोनियों और बाजारों में आतंक नहीं मचाएंगे। इससे बंदरों के हमले रुकेंगे। साथ धार्मिक दृष्टि से बंदरों को फीडिंग कराने के इच्छुक व्यक्ति इन स्थानों पर बंदरों को खाना दे सकेंगे।