(www.arya-tv.com) मेरठ में कॉलेज के एक कर्मचारी ने अपने ऑफिस में फांसी लगाकर जान दे दी। डकैती के मामले में पुलिस ने शक के आधार पर उठाया और तीन दिन थाने में बैठा रखा था। उसके बाद से वह डिप्रेशन में चल रहे थे। पत्नी से कहते पुलिस दोबारा पूछताछ के लिए ले गई तो क्या होगा। थाने जाते ही पूरी इज्जत मिट्टी में मिल गई। अब कुछ नहीं बचा। सब इज्जत चली गई। अब परिवार का क्या होगा।
पड़ोसियों ने बताया कि थाने से आने के बाद से फेरम किसी से बात नहीं करते थे। वह गुमसुम रहते थे। यही कहते थाने चला गया सारी इज्जत चली गई। लोग मुझे अपराधी समझेंगे, अब कुछ नहीं बचा। फेरम न ढंग से खा रहे था, न सो पा रहे थे।
इंचोली थाना क्षेत्र के बीटा गांव के रहने वाले फेरम सिंह राणा गंगानगर एफ ब्लॉक में परिवार के साथ रह रहे थे। वह मेरठ कॉलेज में कर्मचारी थे और प्रॉपर्टी डीलिंग का कार्य भी करते थे। फेरम सिंह राणा के परिवार में पत्नी गीता, तीन बेटे प्रणव (12), हिमांशु (11) और कार्तिक (09) हैं। बड़े भाई आजाद राणा, भतीजे प्रिंस और उसका भाई है।
पड़ोसियों ने बताया कि फेरम पर भतीजों को पढ़ाने की जिम्मेदारी थी। अक्सर भतीजे चाचा के पास रहते। कोई उम्मीद नहीं कर सकता था कि फेरम ऐसा कर सकते हैं। मगर उनके साथ पिछले दिनों जो घटना हुई उससे वह परेशान थे।
“5 मिनट में घर आने का कहा था”
पत्नी गीता ने बताया, “वह बच्चों से 5 मिनट में घर लौटने की बात कह रहे थे। मगर, काफी देर तक वह घर नहीं आए। फोन भी नहीं उठा तो चिंता हुई। इसके बाद परिवार के सभी लोग कार्यालय गए। जहां उसका शव लटका मिला।”
स्थानीय लोगों थाने का किया घेराव
फेरम की मौत से उसके परिजनों, रिश्तेदारों से लेकर स्थानीय लोगों में पुलिस के लिए काफी गुस्सा है। गुर्जर समाज भी पुलिस की इस कार्यप्रणाली से नाराज है।फेरम की मौत की खबर सुनकर लोगों ने अपनी नाराजगी जताई। पुलिस का घेराव कर विरोध प्रदर्शन किया। मौके पर 4 थानों की फोर्स बुलानी पड़ी। वहीं गुर्जर समाज फेरम को न्याय दिलाने के लिए आंदोलन की तैयारी में है।
राज्यमंत्री के फोन पर भी नहीं लिया संज्ञान
फेरम के परिजनों ने कहा कि ऊर्जा राज्य मंत्री सोमेंद्र तोमर ने भी पुलिस को फोन कर फेरम सिंह की साफ छवि की बात कही थी। राज्यमंत्री दिनेश खटीक, सरधना विधायक अतुल प्रधान ने भी बताया था,
मगर उन्हें छोड़ा नहीं गया। फेरम सिंह की मौत के बाद से गुर्जर बिरादरी में भी रोष है। रविवार को गंगानगर के पार्षद गुलवीर के साथ बिरादरी के तमाम लोग थाने पहुंचे और घेराव किया।