‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा, सरकार दे रही चीन से कॉम्पोनेंट का इंपोर्ट घटाने पर जोर

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(www.arya-tv.com)सरकार चाहती है कि घरेलू कार कंपनियां इलेक्ट्रिक व्हीकल के कॉम्पोनेंट और दूसरे ऑटोमोटिव पार्ट्स चीन से मंगाना कम कर दें। दरअसल, दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति यानी भारत अपनी सप्लाई चेन को नए सिरे से गढ़ना चाहता है।

नीति आयोग के CEO अमिताभ कांत ने कहा, ‘जिन ऑटोमोटिव कॉम्पोनेंट को खासतौर पर सस्ता होने के चलते चीन से मंगाया जाता है, उनमें से कुछ को देश में बनाना जरूरी है। हमें इलेक्ट्रिक व्हीकल कपोनेंट का आयात करनेवाला देश नहीं बनना चाहिए, जैसा हम सोलर सेक्टर में बने हैं।’

जो चीजें चीन से बड़े पैमाने पर मंगाई जाती हैं, उनमें सरकार कमी लाना चाहती है

भारत चीन से इंपोर्ट घटाते हुए अपनी सप्लाई चेन को डायवर्सिफाई करने पर काम रही है। जो चीजें चीन से बड़े पैमाने पर मंगाई जाती हैं, उनमें सरकार कमी लाना चाहती है। इस काम में वह पिछले साल गलवान घाटी में सीमा विवाद को लेकर हुए खूनी संघर्ष के बाद से लगी हुई है।

इधर, कोविड और चीन के साथ बने ग्लोबल ट्रेड टेंशन ने भी ऐसी स्थितियां पैदा कर दी हैं, जिनमें ग्लोबल कंपनियां अपना सप्लाई चेन रिस्क घटाने के लिए भारत के इस पड़ोसी के यहां से अपना मैन्युफैक्चरिंग बेस शिफ्ट करने को सोचने पर मजबूर हो रही हैं।

EV में इस्तेमाल होने वाले पार्ट के लिए चीन पर निर्भरता खत्म किए जाने की जरूरत

कांत ने कहा कि भारत इलेक्ट्रिक गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाले चुंबक, सेमीकंडक्टर से बनने वाले कॉम्पोनेंट और दूसरे पार्ट के लिए चीन पर निर्भर है। इसे घटाने की नहीं, खत्म किए जाने की जरूरत है। उन्होंने यह बात ऑटोमोटिव कॉम्पोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यक्रम में कही।

उन्होंने कहा, ‘लोकलाइजेशन बढ़ाकर, आयात पर निर्भरता घटाकर सप्लाई चेन रिस्क घटाना होगा। मैं चीन की बात कर रहा हूं।’ उन्होंने कहा कि भारतीय मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को भविष्य के लिए तैयार रहना चाहिए। ग्लोबल वैल्यू चेन में रणनीतिक जगह बनाने का लक्ष्य बनाना चाहिए।

गाड़ियां महंगी होने और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर कम होने से EV में शिफ्टिंग की रफ्तार कम

सरकार कार कंपनियों को इलेक्ट्रिक व्हीकल की तरफ शिफ्ट होने के लिए बढ़ावा दे रही है, लेकिन गाड़ियां महंगी होने और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत कम होने के चलते शिफ्टिंग की रफ्तार दूसरे देशों से धीमी है। यहां हर साल जितनी गाड़ियां बिकती हैं, उनमें इलेक्ट्रिक व्हीकल सिर्फ 1% होती हैं।

देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति ज्यादा लागत के चलते इलेक्ट्रिक व्हीकल नहीं बनाती। इसी कार्यक्रम में कंपनी के चेयरमैन आर सी भार्गव ने कहा, ‘देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का दौर तब आएगा, जब कस्टमर को उनमें दूसरी गाड़ियों से ज्यादा फायदा दिखेगा। इसमें वक्त लगेगा।’