(www.arya-tv.com) तमिलनाडु सरकार में PWD मंत्री ईवी वेलु ने कहा कि अरुणाचलेश्वर मंदिर के आसपास नॉनवेज बेचने पर सरकार रोक नहीं लगा सकती। होटलों में लोगों के नॉनवेज खाने पर भी पाबंदी नहीं है। हाल ही में राज्यपाल आर एन रवि ने इस पर आपत्ति जताई थी। वो तिरुवन्नामलई के प्रसिद्ध अरुणाचलेश्वर मंदिर में शुक्रवार (12 अगस्त) को पूजा-अर्चना के लिए गए थे।
राज्यपाल ने मंदिर जाने वाले गिरिवलम पथ के किनारे होटलों में नॉनवेज की बिक्री पर दुख जताया किया था। उन्होंने कहा था- मंदिर के आसपास सिर्फ शाकाहारी खाना मिलना चाहिए। रविवार (13 अगस्त) को मंत्री वेलु ने इस पर कहा- हम किसी को नॉनवेज खाने से नहीं रोक सकते। यह लोगों की अपनी चॉइस होती है। इसमें सरकार दखल नहीं दे सकती।
मंत्री ने कहा कि होटलों के मालिक खुद तय कर सकते हैं कि उन्हें क्या बेचना या क्या नहीं। उन्हें पता है कि तिरुवन्नमलई एक पवित्र जगह है। मैं उनका धन्यवाद करूंगा, अगर वो अपनी दुकान हटा लेंगे। हम जबर्दस्ती नहीं कर सकते। हर महीने पूर्णिमा के मौके पर मंदिर के आसपास सभी नॉन-वेजिटेरियन होटलों को दो बार बंद किया जाता है।
अरुणाचलेश्वर मंदिर दक्षिण भारत के प्रसिद्ध शिवालयों में एक है। यह मंदिर करीब 1200 साल पुराना है। माना जाता है कि अरुणाचलेश्वर दुनिया का सबसे बड़ा शिव मंदिर है। इसे 7वीं शताब्दी में बनाया गया था। यहां भगवान शिव की अग्नि के रूप में पूजा होती है।
हर महीने पूर्णिमा के दिन यहां हजारों श्रद्धालु आते हैं। मान्यता है कि तिरुवन्नमलई वह स्थल है, जहां शिवजी ने ब्रह्माजी को श्राप दिया था। भगवान शिव का भव्य मंदिर अरुणाचल पहाड़ की तराई में है। वास्तव में यह पर्वत ही शिवजी का प्रतीक है। यहां स्थापित लिंगोत्भव नामक मूर्ति में प्रभु शिवजी को अग्नि रूप में, विष्णु जी को उनके चरणों के पास वाराह रूप में और ब्रह्माजी को हंस के रूप बताया गया है।
कार्तिक पूर्णिमा पर मंदिर में शानदार उत्सव होता है। इसे कार्तिक दीपम कहते हैं। इस मौके पर विशाल दीपदान किया जाता है। हर पूर्णिमा को गिरिवलम पथ पर परिक्रमा का विधान है। श्रद्धालु यहां अन्नामलाई पर्वत की 14 किलोमीटर लंबी परिक्रमा कर शिवजी से कल्याण की प्रार्थना करते हैं। ऐसी धारणा है कि इस मंदिर में नंगे पांव जाने से पापों से छुटकारा पाकर मुक्ति मिल सकती है।