अंतराष्ट्रीय कांफ्रेंस का सफलता पूर्वक आयोजन किया

Lucknow
  • अंतराष्ट्रीय कांफ्रेंस का सफलता पूर्वक आयोजन किया

गुरुपूर्णिमा के पावन अवसर पर इण्डिया एजुकेशन रिसर्च फाउंडेशन एवं भारतीय शिक्षा शोध संस्थान के संयुक्त तत्त्वाधान में आयोजित अंतराष्ट्रीय कांफ्रेंस का सफलता पूर्वक आयोजन किया गया। कार्यक्रम की औपचारिक शुरुवात अतिथियों के दीप प्रज्ज्वलन एवं सरस्वती वंदना से हुयी। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में विश्व विख्यात साहित्यकार प्रो.सूर्य प्रकाश दीक्षित मुख्यवक्ता के रूप में प्रो. उमेश वशिष्ठ पूर्व संकायाध्यक्ष शिक्षा संकाय लखनऊ विश्वविद्यालय एवं विशिष्ट अतिथि प्रो. के.सी.साहू ,शिक्षा संकाय, शान्तिनिकेतन का गरिमामयी उपस्थिति रही । अगली कड़ी में डॉ. रितु त्रिपाठी चक्रवर्ती के अतिथियों के स्वागत एव परिचय भाषण हुआ।

मुख्य वक्ता के अपने उद्द्बोधन में भारतीय ज्ञान परम्परा में गुरु, आचार्य, शिक्षक,पुरोहित, मानसगुरु, सद्गुरु , गुरुनाम जैसे सम्प्रत्यों पर प्रकाश डालते हुए भारत की समृद्ध परम्परा के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने ने आगे कहा कि औपनिवेशिक सत्ता ने देश को गुलाम बनाने के लिए इस देश की समृद्ध गुरु शिष्य परम्परा को निशाना बनाया क्योकि वे जानते थे जब तक इस देश के लोगो में अपनी संस्कृति, परम्परा का गर्व उसके जेहन में रहेगा उसे ज्यादा दिन तक गुलाम नहीं बनाया जा सकता। इसलिए उन्होंने इस देश की शिक्षा को इंगलैंडीकरण कर दिया,आगे वे कहते है कि वर्तमान समय में शिक्षक सिर्फ बेतन भोगी कर्मचारी बनने की दिशा में अग्रसर है।

मुख्य अतिथि प्रो. उमेश वशिष्ठ ने कहा एक गुरु है जो अपने शिष्य को अपने से ऊँचे पदों पर देखना चाहता है। हर विद्यार्थी को ऐसे शिक्षक का तलाश करना चाहिए जो उसके जीवन का क्लास पढाता हो | देश की पपरम्परा में शिक्षक अपने चरित्र और ईमानदारी से विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का निर्माण करते थे। देश के विश्वगुरु बनने का सपना एक स्वस्थ गुरु शिष्य परम्परा के रास्ते से होकर जाएगा। तत्पश्चात कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि का उद्द्बोधन प्राप्त हुआ जिसमे उन्होंने कहा कि इस सम्पूर्ण जगत में ज्ञान का संचार इसी परम्परा की दें है। तत्पश्चात भारतीय शिक्षा शोध संस्थान के सचिव श्रीमान विजय शर्मा का उद्द्बोधन प्राप्त हुआ जिसमे उन्होंने उपनिषद पर वृस्तित चर्चा की और समाज पर उसके प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला गया। तदुपरांत लखनऊ विश्वविद्यालय, शिक्षा संकाय के सह आचार्य आकांक्षा सिंह द्वारा अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया गया। सत्र का सफल संचालन डॉ. दिव्या पुज्वानी के द्वारा किया गया विशेष सानिध्य डॉ. शिव भूषण त्रिपाठी का भी प्राप्त हुआ |इसी के साथ स्वागत सत्र का समापन हुआ। चाय काल के बाद 2 आनलाईन और 2 आफलाइंन समान्तर तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। जिसमे सत्राध्यक्ष एवं सह सत्राध्यक्ष क्रमशः डॉ. सुनीता सिंहबनारस हिन्दू विश्वविद्यालय ,डॉ रितेन्द्र बंगाल, डॉ. किरण लता डंगवाल, डॉ दिव्या पुज्वानी, रमेश सुपकर, डॉ एच .के . राजपाल, डॉ. पाथलोथ ओमकार डॉ वर्तिका श्रीवास्तव, डॉ. विनोद कुमार सिंह, डॉ. अपर्णा सक्सेना, डॉ. एस. पी सिंह. डॉ देवयानी अवस्थी के रूप में मार्गदर्शन प्राप्त हुआ एवं देश भर से लगभग 100 से अधिक शोधार्थी- विद्यार्थियों ने अपने शोध पत्रों का वाचन किया। तत्पश्चात कार्यक्रम के समापन सत्र का आयोजन किया गया। जिसमे अतिथियों का स्वागत सह परिचय भाषण डॉ. आकांक्षा सिंह के द्वारा किया गया।

विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. मैथू स्वेदोलाफ़ संयुक्त राष्ट्र अमेरिका का उद्द्बोधन हुआ। जिसमे उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे विविधता वाला राष्ट्र है ,अलग अलग संस्कृतिक पहचान के बावजूद उसे एकता के सूत्र में पिरोने में इस देश के शिक्षकों का अहम योददान है। भारतीय संस्कृति हजारों वर्षों के बाद भी अपने मूल स्वरूप में जीवित है जिसके मूल में गुरुशिष्य परम्परा का गहरा योगदान है। विशेष वक्तब्य के रूप में डॉ गणेश निगमसमन्वयक , यूनेस्कों का उद्बोधन हुआ जिसमे उन्होंने कहा कि गुरु शिष्य का सम्बन्ध पिता पुत्र का रहा है , परन्तु अब इन मूल्यों का क्षरण चिंता का विषय है। तत्पश्चात अगले वक्ता के रूप में प्रो. बसंत बहादुर सिंह देविअहिल्या विश्वविद्यालय इंदौरका सानिध्य प्राप्त हुआ जिसमे उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति का प्रधान गुण भौतिक और आध्यात्मिक तत्वों को साथ लेकर चलने का है।

एक विश्व एक परिवार, गुरुशिष्य परम्परा से ही सम्भव है। कार्यक्रम का वृस्तित रिपोर्ट सुप्रभा डे (शोधछात्रा) के द्वारा एवं स्वागत सत्र का धन्यवाद ज्ञापन डॉ. मुकेश कुमार विभागध्यक्ष , महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के द्वारा किया गया। इस मौके पर बाबा साहेब आंबेडकर विश्वविद्यालय , लखनऊ विश्वविद्यालय, महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के शोधार्थी सक्रिय रूप में सहभागिता की। इस मौके पर प्रो. आशीष श्रीवास्तव संकायाध्यक्ष (शोध एवं विकास, आई यु सी टी ) डॉ , सुभाष मिश्र बाबा साहेब अम्बेडकर विश्वविद्यालय, डॉ. वैभव कुमार सिंह, डॉ राम मोहन केसरवानी, डॉ. संजय यादव , आई आई टी ई गाँधी नगर, राहुल पाल,अंगद सिंह, आस्तिक मिश्र, मेनका, गौतम, निधि सिंह, पार्थ, सुजोय, शुभ्रा, प्रणव, आलोक सरकार आदि लोग उपस्थित थे।