विश्व गौरैया दिवस पर आंगन से लेकर चंबल की वादियों तक चहक रही गौरैया

Agra Zone UP

आगरा(www.arya-tv.com) कीटनाशकों, पेड़ों के कटान के कारण लुप्त होने के कगार पर पहुंच गई गौरैया चंबल की वादियों से लेकर कीठम के नजदीक बसे घरों के आंगन में फुदक रही हैं। गौरैया के चहकने की आवाजें चंबल के घरों में खूब सुनाई दे रही हैं। अब यहां इनका कुनबा 6 हजार से ज्यादा हो चुका है। घड़ियाल, मगरमच्छ, डॉल्फिन देखने आने सैलानियों के मन को गौरैया का कलरव भा रहा है।

बाह के रेंजर आरके सिंह राठौड़ ने बताया कि कच्चे घरों पर पड़ने वाले छप्पर की जगह पर पक्के घर बन गये, जिससे गौरैया के घोंसले छिन गये। फसलों में कीटनाशकों के अंधाधुंध छिड़काव, मोबाइल टावरों के रेडिएशन, पेड़ पौधों के अवैध कटान के चलते गौरैया के प्राकृतिक घरौंदे नष्ट हो गये हैं। वन विभाग चंबल के गांवों में लकड़ी से बने घरौंदे देकर ग्रामीणों को गौरैया के संरक्षण के लिए प्रेरित कर रहा है।

नेशनल चंबल सेंक्युरी प्रोजेक्ट के डीएफओ दिवाकर श्रीवास्तव ने बताया कि मार्च से जून तक होने वाले प्रजनन के सीजन में वन विभाग चंबल में  गौरैया के घोंसले की निगरानी करता है। घोंसले में गौरैया 3 से 5 अंडे देती है। एक पखवाडे़ में अंडों से चूजे निकलते हैं। सूनी हुई चंबल की वादी में अब इनका 6 हजार का कुनबा हो गया है। पेड़ों पर भी इनके घोंसले देखने वालों के लिए सुखद अनुभव है।