2024 लोकसभा चुनाव से पहले NDA को झटका! BJP से हाथ नहीं मिलाएगा अकाली दल, बताई ये वजह

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(www.arya-tv.com) लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी और अकाली दल के बीच गठबंधन की अटकलों पर पूरी तरह से विराम लग गया है। अकाली दल ने साफ कर दिया है कि वह 2024 के चुनाव में बीजेपी से गठबंधन नहीं करेगा।

अकाली दल की दो टूक से एनडीए को झटका लगा है। पार्टी के वरिष्ठ अकाली नेता नरेश गुजराल ने बुधवार को बताया कि एनडीए के पूर्व सदस्य शिरोमणि अकाली दल ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा के साथ कोई गठबंधन नहीं करने का फैसला किया है।

गुजराल ने कहा कि पार्टी की सांसद हरसिमरत कौर बादल के लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव और महिला आरक्षण विधेयक के दौरान पिछले दो भाषण इस बात के संकेत थे कि अकाली दल, भाजपा के साथ साझेदारी नहीं करेगा।

डीएमके की तर्ज पर करेंगे पार्टी मजबूत

पार्टी नेता नरेश गुजराल ने बीजेपी के साथ ‘कोई गठबंधन नहीं’ करने के फैसले पर विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा, अकाली एक क्षेत्रीय पार्टी है। हमारा फोकस पंजाब है। उन्होंने कहा कि हमें करुणानिधि मॉडल का पालन करना चाहिए।

हर बार जब उनकी (दिवंगत द्रमुक प्रमुख) पार्टी हार गई, तो वह राज्य में पार्टी की स्थिति को मजबूत करने के लिए वापस मैदान में उतर गए। लोकसभा में हमें 4 सीटें मिलेंगी या 5, यह हमारे लिए कोई मायने नहीं रखता। हमें पंजाब में रहना होगा, अगले चुनाव के लिए तैयार रहना होगा। गुजराल ने कहा कि भारत में पार्टियों का गठबंधन हमें बहुत बड़ा फायदा देता है।

उन्होंने कहा कि अगर पंजाब में कांग्रेस और आप का गठबंधन होता है, तो अकाली दल अपने कार्यकर्ताओं और जमीनी स्तर के नेताओं के साथ बड़ी ताकत बनकर उभरेगा। उन्होंने कहा कि यहां तक कि राज्य में हाल ही में आई बाढ़ के दौरान भी जमीन पर उतरने वाले अकाली दल के ही नेता थे।

बदल गया है बीजेपी का रंग-ढंग

भाजपा के साथ शिरोमणि अकाली दल के गठबंधन के बारे में बात करते हुए गुजराल ने कहा कि दिवंगत अकाली दल प्रमुख प्रकाश सिंह बादल का मुख्य ध्यान पंजाब में हिंदू-सिख एकता पर था, जो 1984 में टूट गई थी। यह एकता पंजाब के खून में है।

इसी वजह से बीजेपी के साथ हमारा गठबंधन था। उन्होंने कहा कि आज बीजेपी का रंग-ढंग वैसा नहीं है जैसा पहले थे। उन्होंने कहा कि सिख मुख्य रूप से किसान हैं जो यह नहीं भूले हैं कि किसान आंदोलन में 750 लोग मारे गए।

केंद्र की तरफ से कानूनों को वापस लेने के दौरान किए गए वादे अभी तक पूरे नहीं हुए हैं। उन्होंने भाजपा के साथ अकाली के अलग होने को उचित ठहराते हुए कहा कि पार्टी ने बसपा के साथ गठबंधन में रहने का फैसला किया है।