मेडिकल क्षेत्र में एस0जी0पी0जी0आई0 को सेण्टर ऑफ एक्सिलेंस के रूप में देखा जाता है: मुख्यमंत्री

Lucknow

(www.arya-tv.com)उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने  एस0जी0पी0जी0आई0, लखनऊ में 601 करोड़ रुपये से अधिक की 07 परियोजनाओं का लोकार्पण किया। लोकार्पित परियोजनाओं में इमरजेंसी मेडिसिन विभाग एण्ड किडनी ट्रांसप्लाण्ट सेण्टर, एडवान्स्ड ब्रॉन्कोस्कोपी लैब, 100 रूम रिसर्च स्टुडेण्ट हॉस्टल, टाइप-3 के 80 नर्स आवास, रोबोटिक एण्ड मिनिमली इनवेज़िव सर्जरी के लिए 03 मॉड्यूलर ऑपरेशन थियेटर, 33/11 के0वी0 विद्युत उपकेन्द्र तथा मरीजों के तीमारदारों की आवासीय व्यवस्था के लिए 52 कक्षों के अतिथि गृह सम्मिलित हैं।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रदेश सरकार द्वारा एस0जी0पी0जी0आई0, लखनऊ में एडवांस्ड पीडियाट्रिक सेण्टर की स्थापना की घोषणा की, जिसकी लागत लगभग 500 करोड़ रुपये होगी। सरकार इस परियोजना को समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ाएगी।

मुख्यमंत्री  ने कहा कि एस0जी0पी0जी0आई0 का गौरवशाली अतीत रहा है। उन्होंने कहा कि अतीत के साथ-साथ भावी योजनाओं के लिए भी काम किया जाना चाहिए, जिससे उन उपलब्धियों के साथ कुछ नया जोड़ने का प्रयास भी हो। मेडिकल क्षेत्र में एस0जी0पी0जी0आई0 को सेण्टर ऑफ एक्सिलेंस के रूप में देखा जाता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1947 से 2017 तक प्रदेश में मात्र 12 मेडिकल कॉलेज थे। वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने का प्रयास किया गया है। आज उसी का परिणाम है कि 75 जनपदों में से 61 जनपदों में मेडिकल संस्थान या मेडिकल कॉलेज के रूप में बन चुके हैं। मेडिकल कॉलेज बनाने का कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। प्रदेश के सी0एच0सी0, पी0एच0सी0, जिला चिकित्सालय व मेडिकल कॉलेज के निर्माण तथा एम्स जैसे 02 संस्थान प्रदेश में फंक्शनल हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने बेहतरीन कोविड प्रबन्धन करके प्रथम एवं द्वितीय लहर को नियंत्रित करने में सफलता प्राप्त की। उन्होंने कहा कि कोरोना के दृष्टिगत एस0जी0पी0जी0आई0 के प्रो0 हेमन्त की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश कोविड प्रबन्धन एक्स्पर्ट ग्रुप तैयार किया गया था। इस ग्रुप ने न केवल संस्थान के लिए बल्कि राज्य के अन्दर मेडिकल टेलीकंसल्टेशन के माध्यम से प्रत्येक मेडिकल संस्थान को इन सुविधाओं के साथ जोड़ने का कार्य किया और इन्हें गाइडेंस प्रदान किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद इमरजेंसी मेडिसिन विभाग एण्ड किडनी ट्रांसप्लाण्ट सेण्टर का निर्माण 03 वर्ष की रिकॉर्ड अवधि में पूरा हुआ। उन्होंने कहा कि एक सर्वे के मुताबिक प्रदेश में 50 हजार से अधिक मरीजों को डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लाण्ट की जरूरत है, जिसे इस केन्द्र के माध्यम से सरलतापूर्वक पूरा किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में प्रदेश में लम्बित परियोजनाओं को वर्तमान प्रदेश सरकार ने पूरा करने का कार्य किया है। प्रधानमंत्री जी द्वारा नवम्बर, 2021 में सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना का लोकार्पण किया गया है। यह परियोजना लगभग 50 वर्षाें बाद अपना मूर्तरूप ले सकी। इसी प्रकार, बाण सागर परियोजना भी लम्बे समय बाद पूरी हुई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश इनसेफेलाइटिस जैसी बीमारी त्रस्त था। वर्ष 1977 से 2017 तक इस क्षेत्र में इनसेफेलाइटिस से असमय बच्चे कालकवलित हो जाते थे। प्रधानमंत्री  ने स्वच्छ भारत मिशन के माध्यम से जो संदेश दिया वह सभी प्रकार की बीमारियों से लड़ने में सहायक हुआ। वर्तमान प्रदेश सरकार ने इसके समाधान में उपचार से अधिक अन्तर्विभागीय समन्वय को महत्व दिया। इसके अन्तर्गत स्वास्थ्य विभाग को नोडल विभाग बनाया गया। साथ ही, चिकित्सा शिक्षा, ग्राम्य विकास, पंचायतीराज, नगर विकास, महिला एवं बाल विकास विभागों को जोड़ने का कार्य किया गया। इसके अलावा, बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग को भी जोड़ा गया। इसके माध्यम से शुद्ध पेयजल, स्वच्छता व सैनिटाइजेशन को विशेष महत्व दिया गया तथा कुपोषित परिवारों को पोषाहार उपलब्ध कराया गया। इन सभी विभागों की समीक्षा करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गयी, जो प्रत्येक 15 दिन पर समीक्षा करती थी। इस समिति की मासिक समीक्षा मेरे द्वारा भी की जाती थी। परिणाम रहा कि जिस बीमारी का समाधान 40 वर्षाें में नहीं हो पाया था, उसका समाधान मात्र 04 वर्षाें में हो गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब मुझसे कोई पूछता है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है? तो मैं कह सकता हूं कि पहले हजारों बच्चे इनसेफेलाइटिस से मरते थे, अब नौनिहालों को वर्तमान सरकार ने नया जीवन दिया है। यह पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है।

मुख्यमंत्री ने चिकित्सकों से आह्वान किया कि वे एक चिकित्सक के रूप में अपना रिसर्च पेपर अवश्य तैयार करें। क्योंकि यह रिसर्च पेपर अन्य चिकित्सकों व इससे जुड़े लोगों के लिए एक स्टडी मैटेरियल होगा। उन्होंने कहा कि आप में से बहुत से चिकित्सक किसी अन्य संस्थान अथवा निजी प्रैक्टिस में अपनी सेवाएं देंगे। इस दौरान आप द्वारा किया गया शोध आपके स्वयं के लिए व अन्य लोगों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि एस0जी0पी0जी0आई0 ने अपने कार्याें से देश व विदेश में ख्याति अर्जित की है। मुख्यमंत्री ने मेडिकल क्षेत्र को बढ़ावा देने का कार्य किया है। वर्ष 2016-17 में चिकित्सा के लिए मात्र 1,914 करोड़ रुपये का बजट प्राविधान था। वर्ष 2021-22 में 8,128 करोड़ रुपये का किया गया। इसके साथ ही, यू0जी0, पी0जी0 व सुपर स्पेशियलिटी सीटों को बढ़ाने का कार्य भी किया गया है।

इस अवसर पर केन्द्रीय आवास एवं शहरी कार्य राज्य मंत्री कौशल किशोर, चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री संदीप सिंह, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार, एस0जी0पी0जी0आई0 निदेशक प्रो0 आर0के0 धीमान, चिकित्सकगण सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।