सीबीआई जांच में बाहर आ सकते संजीत हत्याकांड के राज

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कानपुर (www.arya-tv.com) संजीत अपहरण व हत्याकांड में पुलिस की भूमिका शुरुआत से ही सवालों के घेरे में रही। पुलिस ने इतनी लापरवाही बरती कि परिवार को सड़क पर आंदोलन करना पड़ा। घरवालों ने बदमाशों से मिलीभगत का आरोप लगाया था। तत्कालीन एसपी साउथ अपर्णा गुप्ता, सीओ गोविंदनगर मनोज गुप्ता व थानेदार रणजीत राय समेत 11 पुलिसवालों को निलंबित कर दिया गया था, लेकिन पुलिस की लापरवाही के कारण आज तक संजीत का शव बरामद नहीं हो सका। अब सीबीआइ जांच में कई सवालों के जवाब मिलने की उम्मीद है। मुमकिन है कि शव बरामद हो जाए।

22 जून 2020 को निजी अस्पताल की पैथोलाजी के 28 वर्षीय लैब टेक्नीशियन बर्रा निवासी संजीत यादव का अपहरण हो गया था। 26 जून को पिता चमन सिंह ने बर्रा थाने में अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया। 29 जून को बदमाशों ने चमन के फोन करके 30 लाख रुपये की फिरौती मांगी थी। इसके बाद पुलिस ने अपहरणकर्ताओं को पकडऩे के लिए चमन सिंह से रकम का इंतजाम करने के लिए कहा। 13 जुलाई को बदमाशों ने चमन सिंह से गुजैनी में हाईवे पुल के ऊपर से रेलवे लाइन पर फिरौती की रकम से भरा बैग फिंकवाया। पुलिस भी पुल के आसपास रही, लेकिन उसने बदमाशों को पकडऩे की कोशिश तक नहीं की। इसके चलते बदमाश बैग लेकर आराम से फरार हो गए थे।

परिवार ने किया था हंगामा

अगले दिन परिवारवालों ने एसएसपी दफ्तर में हंगामा कर दिया था। उन्होंने बर्रा पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए और कहा कि पुलिस ने फिरौती दिलवा दी, लेकिन बेटे को बरामद नहीं किया। हंगामा होने और विपक्ष के मुद्दा बनाने के बाद तत्कालीन एसपी साउथ समेत 11 पुलिसवालों को निलंबित कर दिया गया। नई टीम ने सर्विलांस की मदद से वारदात का राजफाश करते हुए संजीत के दो पुराने दोस्तों व एक महिला समेत आठ आरोपितों को जेल भेजा था। संजीत का फोन भी बरामद किया था।

फतेहपुर तक पांडु नदी में की गई थी तलाश

गिरफ्तारी के बाद आरोपितों ने पुलिस को बताया था कि 26 जून 2020 को ही उन्होंने संजीत का कत्ल कर शव पांडु नदी में फेंक दिया था। इसके बाद पुलिस व पीएसी के गोताखोरों ने कई दिन फतेहपुर तक सर्च आपरेशन चलाया, लेकिन संजीत का शव बरामद नहीं हुआ। स्वजन लगातार सीबीआइ जांच की मांग कर रहे थे। दो अगस्त 2020 को सरकार ने सीबीआइ जांच की सिफारिश केंद्र सरकार से की थी। केंद्र ने इसी वर्ष सितंबर में सीबीआइ जांच पर सहमति जताई। इसके बाद सोमवार को सीबीआइ ने केस दर्ज कर जांच शुरू की।

दोस्त ने रची थी साजिश

अपहरण व हत्या का पूरा प्लान संजीत के पुराने दोस्त कुलदीप ने बनाया था। वह पूर्व में संजीत के साथ पैथोलाजी के लिए सैंपल कलेक्शन का काम देखता था। उसने रतनलाल नगर में किराये पर कमरा लिया था और 22 जून की रात संजीत को शराब पिलाने के बहाने कमरे पर ले गया था। वहां उसे बंधक बना लिया और चार दिन तक बेहोशी के इंजेक्शन देता रहा। कुलदीप के साथ वारदात में उसके साथी रामजी शुक्ला, ज्ञानेंद्र यादव, नीलू, सिम्मी, चीता, प्रीति शर्मा उर्फ सीमा भी शामिल थे। सभी को जेल भेजा गया था। इसके अलावा अपहरणकर्ताओं को फर्जी आइडी पर सिमकार्ड देने वाले सचेंडी के दुकानदार कृष्ण कुमार तिवारी को भी जेल भेजा था। एक आरोपित राम आशीष का अब तक पता नहीं लगा। पुलिस ने आठ आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी थी, बाद में आरोपितों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में भी कार्रवाई की थी।

एडीजी की जांच में नहीं आई बैग में रकम होने की बात

फिरौती का बैग बदमाशों के पास जाने के बाद पुलिस अधिकारियों व संजीत के स्वजन के बीच रकम को लेकर भी तनातनी हो गई थी। स्वजन ने कहा था कि बैग में फिरौती के 30 लाख रुपये थे, जबकि पुलिस ने कहा कि बैग में रकम नहीं केवल कागज व एक सर्विलांस वाला फोन था। इसी बात की जांच के लिए शासन ने एडीजी बीपी जोगदंड को जांच सौंपी थी। एडीजी ने अपनी जांच में पाया कि बैग में रकम नहीं थी, क्योंकि चमन सिंह रकम का इंतजाम नहीं कर सके थे।