इनसे जासूसी कर रहा अमेरिका; सरकारी काम में नहीं यूज होंगे एपल प्रोडक्ट्स

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(www.arya-tv.com) रूस की डिजिटल डेवलपमेंट मिनिस्ट्री ने सरकारी कर्मचारियों के लिए आईफोन के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया है। शुक्रवार को मंत्री मकसुत शाडेव ने इसकी जानकारी दी। इंटरफैक्स न्यूज एजेंसी के मुताबिक, एपल के बाकी प्रोडक्ट्स जैसे आईबुक, टैबलेट्स के इस्तेमाल पर भी रोक लगाई गई है। इन डिवाइस से कोई भी सरकारी कामकाज नहीं किया जा सकेगा।

रूस की फेडरल सिक्योरिटी सर्विस FSB के मुताबिक, इन डिवाइस के जरिए अमेरिका उनकी जासूसी कर रहा है। 2 महीने पहले FSB ने दावा किया था कि अमेरिका हजारों आईफोन्स को हैक कर चुका है और इनमें अमेरिकी सर्विलांस सिस्टम मौजूद हैं। FSB ने कहा था- अमेरिकी हैकर्स ने जासूसी अभियान में इजराइल, सीरिया, चीन और NATO सदस्यों के डिप्लोमैट्स को निशाना बनाया।

FSB का दावा- सोवियत संघ में रहे देशों की हो रही जासूसी
FSB का यह भी दावा है कि कई स्थानीय रूसी लोग और सोवियत संघ का हिस्सा रहे देशों में काम कर रहे डिप्लोमैट्स के फोन भी हैक किए गए थे। अमेरिका की स्पेशल सर्विस इस खुफिया ऑपरेशन को अंजाम दे रही थी। एजेंसी का यह भी दावा है कि अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी (NSA) और एपल कंपनी के बीच करीबी सहयोग है।

एपल ने कहा था- हमने कभी ऐसा नहीं किया न करेंगे
हालांकि, FSB ने इस बात के कोई सबूत नहीं दिए थे कि एपल कंपनी को इस जासूसी की जानकारी थी। वहीं, एपल कंपनी ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था- हमने कभी भी किसी देश की सरकार के साथ मिलकर फोन में छेड़छाड़ नहीं की है और न ही कभी करेंगे।

कैस्पर्स्की लैब ने कहा- 2019 से हो रही जासूसी
NSA ने इस बारे में कोई बयान देने से इनकार कर दिया। दूसरी तरफ, मॉस्को की कैस्पर्स्की लैब कंपनी ने कहा कि इस ऑपरेशन के जरिए उसके कई कर्मचारियों के डिवाइस के साथ छेड़छाड़ की गई। कैस्पर्स्की ने एक ब्लॉग में कहा- जासूसी के सबूत सबसे पहले 2019 में मिले थे और ये अब तक जारी है। हालांकि, उन्होंने दावा किया कि वो इस साइबर अटैक का प्रमुख टारगेट नहीं थे।

रूसी अधिकारियों को आईफोन नहीं इस्तेमाल करने का आदेश
FSB की रिपोर्ट के बाद रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा था- इससे साबित होता है कि अमेरिका में बने आईफोन्स पूरी तरह से पारदर्शी नहीं हैं। इन पर साइबर हमले करके बड़े पैमाने पर डेटा इकट्ठा किया जा रहा था। मंत्रालय के मुताबिक, अमेरिकी खुफिया एजेंसी सालों से इंटरनेट यूजर्स की जानकारी के बिना उनका डेटा इकट्ठा करने के लिए IT कंपनियों का इस्तेमाल कर रही है।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बेलफर सेंटर साइबर 2022 पावर इंडेक्स के मुताबिक, साइबर पावर के मामले में अमेरिका सबसे आगे है। उसके बाद चीन, रूस, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया का नंबर आता है। इससे पहले क्रेमलिन ने रूस में 2024 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को देखते हुए अधिकारियों से आईफोन्स का इस्तेमाल बंद करने को कहा था। उन्होंने आशंका जताई थी कि अमेरिका की इंटेलिजेंस एजेंसियां इसके जरिए रूस पर नजर रख रही हैं।