(www.arya-tv.com) लोकसभा में सरकार के खिलाफ लाए गए विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर आज से चर्चा शुरू होगी। पिछले हफ्ते लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इसे स्वीकार कर लिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 अगस्त को चर्चा का जवाब दे सकते हैं। सदन में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई की ओर से यह अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लोकसभा की सदस्यता बहाल होने के बाद मंगलवार को सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर शुरू होने वाली चर्चा में भाग लेने की तैयारी कर रहे हैं। वह विपक्ष की तरफ से चर्चा की शुरुआत कर सकते हैं। आइए, यहां जानते हैं कि अवश्विास प्रस्ताव क्या होता है और मोदी सरकार के खिलाफ लाए गए इस प्रस्ताव के क्या मायने हैं?
अविश्वास प्रस्ताव क्या है?
भारत जैसे लोकतंत्र में कोई सरकार तभी सत्ता में रह सकती है जब वह संसद के निचले सदन लोकसभा में अपना बहुमत साबित कर सके। अविश्वास प्रस्ताव संविधान की ओर से सरकार के बहुमत का परीक्षण करने का तंत्र है। संविधान का अनुच्छेद 75(3) कहता है कि मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है। सांसदों की सामूहिक जिम्मेदारी को परखने के लिए लोकसभा अविश्वास प्रस्ताव की अनुमति देती है, जिसे अविश्वास प्रस्ताव भी कहा जाता है।
निचले सदन का कोई भी सांसद, जिसके पास 50 सहयोगियों का समर्थन है, किसी भी समय मंत्रिपरिषद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सकता है। इसे लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों के नियम 198 के तहत निर्दिष्ट किया गया है।
अविश्वास प्रस्ताव से जुड़े 10 पॉइंट
1. 26 जुलाई को लोकसभा ने बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था।
2. अविश्वास प्रस्ताव के नियमों के अनुसार, प्रस्ताव का समर्थन करने वाले सांसद सरकार की कमियों को उजागर करते हैं। ट्रेजरी बेंच मुद्दों पर प्रतिक्रिया देकर विपक्ष को जवाब देती है।
3. बहस के अंत में प्रस्ताव पर लोकसभा सदस्यों के बीच मतदान होता है। यदि प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो सरकार को कार्यालय खाली करना होता है। हालांकि, मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में विपक्ष के पास सरकार गिराने के लिए अपेक्षित संख्या बल नहीं है।
4. कांग्रेस नेता शशि थरूर और गौरव गोगोई पहले ही मान चुके हैं कि विपक्ष के पास प्रस्ताव पारित करने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं है। लेकिन, इस प्रस्ताव का इस्तेमाल विपक्ष सरकार को मणिपुर की स्थिति के बारे में जवाब देने को मजबूर करने के लिए कर सकता है।
5. संख्या के लिहाज से एनडीए सरकार के पास 331 सदस्य हैं। अकेले बीजेपी के पास 303 सांसद हैं। संसद में बहुमत का आंकड़ा 272 है। दूसरी ओर I.N.D.I.A. ब्लॉक के पास 144 सांसद हैं।
6. बीआरएस, वाईएसआरसीपी और बीजेडी जैसी ‘तटस्थ’ पार्टियां हैं, जिनकी सामूहिक ताकत 70 है।
7. अतीत में लोकसभा में 27 अविश्वास प्रस्ताव आए हैं। लेकिन, अभी तक कोई भी सफल नहीं हो सका है।
8. हालांकि, 1979 में मोरारजी देसाई सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया जिसके कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। यह और बात है कि बहस अनिर्णायक रही और कोई मतदान नहीं हुआ।
9. अब तक, तीन बार सत्तारूढ़ सरकार विश्वास मत में अपना बहुमत साबित करने में विफल रही। ये सरकारें उस समय गिर गईं जब विश्वास मत सत्र पर चर्चा के बाद मतदान हुआ। इनमें 1990 में वी.पी. सिंह सरकार, 1997 में एच.डी. देवेगौड़ा सरकार और 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार शामिल हैं।
10. लोकसभा में सरकार के खिलाफ लाए गए विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर मंगलवार से आरंभ हो रही चर्चा से पहले राहुल गांधी की सदस्यता की बहाली विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के हौसले को बढ़ाने वाली है। संभावना यह भी है कि वह विपक्ष की तरफ से चर्चा की शुरुआत करें।